तैयारियों को अंतिम रूप देने हेतु सर्वसमाज की बैठक सम्पन्न
माही की गूंज, खवासा।
1 सौ 25 वर्ष से अधिक पुराना प्राचीन जैन मंदिर खवासा का जीर्णोद्धार कर मंदिर को भव्य रूप दिया गया है। जिनालय की 26 नवम्बर को भव्य प्राणप्रतिष्ठा के आयोजन को लेकर कई दिनों से तैयारियां की जा रही है। उक्त भव्य आयोजन 22नवम्बर से 26 नवम्बर तक आहूत होगा।
आयोजन को अंतिम रूप देने एवं सफल बनाने हेतु श्वेताम्बर जैन संघ ने स्थानीय सर्वधर्मजनों को आमंत्रित कर रविवार की रात्रि में एक बैठक आयोजित की गई। उक्त बैठक में समस्त समाज के व्यक्ति, गणमान्य नागरिक एवं पत्रकारगण शामिल हुए।
बैठक में जैन समाज के वरिष्ठ कांतिलाल वागरेचा ने बताया कि, जैन समाज के इस नवनिर्मित मंदिर का प्राणप्रतिष्ठा के भव्य महोत्सव कार्यक्रम पूज्य संत श्रीमद विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी महाराज के दिव्य आशीर्वाद एवं प्रेरणा से होने जा रहा है। श्री वागरेचा ने 22 नवम्बर से 26 नवम्बर तक प्राणप्रतिष्ठा के होने वाले भव्य आयोजन की रूप रेखा को बताया तथा आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी धर्म प्रेमी एवं समाजजनों का सहयोग आवश्यक है कहा।
कमल कुमार चोपड़ा ने बताया कि, मंदिर करिब 125 वर्ष पुराना है और जैन परंपरानुसार 100 वर्ष के बाद मंदिर तीर्थ बन जाता है, इसलिए खवासा के लिए सौभाग्य की बात है कि, इस तीर्थ स्थल की प्राणप्रतिष्ठा का आयोजन आचार्य संत भगवान की पावन सानिध्य में होने जा रहा है। इस मंदिर का निर्माण वागरेचा परिवार के पूर्वोजो द्वारा ही किया गया था और जीर्णोद्धार भी इसी परिवार के वंशज द्वारा किया जा रहा है।
कार्यक्रम को भव्यता के साथ सफल बनाने हेतु रखी गई उक्त बैठक में डॉक्टर मुकेश पाटीदार, प्रेमसिंह चौधरी, मुकेश हांडीकुंडी, कैलाश कहार, शांतिलाल व्यास, शैतान भाई लोहार, नंदलाल मेंण, रमेश बारिया, ग्राम के पटेल हीरालाल पाटीदार, मनीष चौहान, बलराम बैरागी, कमलेश सर, कमलेश पाटीदार, सरपंच प्रतिनिधि शंकर खराड़ी आदिं ने कहा कि, खवासा का इतिहास हमेशा से ही सर्वधर्म व समभाव का रहा है और पूर्व में भी कई धार्मिक आयोजन सभी ने मिलजुल कर ही पूरी भव्यता के साथ सम्पन्न किए है और यह आयोजन भी खवासा की गरिमानुसार भव्य रूप में आयोजित होगा तथा सभी समाज के नागरिक व्यवस्थाओ में सहयोग तन-मन से करेंगे। उक्त बैठक में बड़ी संख्या में जैन समाज के साथ ग्राम के गणमान्य नागरिक एवं समस्त समाजजन के व्यक्ति उपस्थित थे।
प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारियों को अंतिम रूप देते हुए।