माही की गूंज, थांदला।
नगर परिषद के चुनाव परिणाम आने के बाद 18 नवंबर को 5 वर्षों के बाद फिर से नगर सरकार के दायित्व का निर्वहन किसी महिला के हाथों में होगा। इस हेतु अधिकांश सत्ताधारी दल के नवनिर्वाचित पार्षद धार्मिक यात्रा हेतु निकल चुके हैं जो विभिन्न पर्यटन स्थल के साथ मंदिरों का भी दर्शन कर अपने आपको अध्यक्ष बनने की ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। नगर सरकार के गठन के बाद जो भी अध्यक्ष महिला होगी उसकी कमान भूमाफियाओ या महिलाओं के पति अथवा उनके सिपहसालारो के हाथों में होगी। 30 सितंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद 15 वार्डों में से 8 वार्ड में भारतीय जनता पार्टी 3 वार्ड में कांग्रेस व चार में निर्दलीय चुनाव जीते हैं। इन निर्दलीयों में से तीन भारतीय जनता पार्टी के बागी है वह एक कांग्रेस समर्थित पार्षद चुनाव बागी रूप से जीतकर नगर परिषद में पहुंचे हैं। यह तय है कि नगर परिषद में भाजपा ही काबिज होगी।
देखना दिलचस्प होगा की नगर सरकार में कौन महिला होगी अध्यक्ष
चुनावी दौड़ में नगर सरकार के चुनाव में अनुशासन का राग अलापने वाली भारतीय जनता पार्टी सत्ता मद में मदहोश होकर गुटों में विभक्त नजर आ रही है। भावी अध्यक्ष की दौड़ में भाजपा की ओर से वार्ड क्रमांक 1 से निर्वाचित पूर्व जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष स्वर्गीय गौर सिंह वसुनिया की पत्नी धापू बाई वसुनिया व वार्ड क्रमांक 14 से लक्ष्मी सुनील पणदा अध्यक्ष की रेस में आगे दिखाई दे रहे हैं। वहीं निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामर की माता भी श्रीमती लीला बाई को संगठन में अपनी पहले पेट जमाकर पुरे नगर मैं वोटों के प्रतिशत अधिक होनै से दावेदारी पेश करेगी।
निवर्तमान परिषद भ्रष्टाचार भाई भतीजावाद से ग्रस्त रही है। हो सकता है कि इसी वजह से वह अध्यक्ष की दौड़ में कठिनाई का सामना करें या संगठन को मनाकर दावेदारी मजबूत कर सकती है।
ना खेलेंगे ना खेलने देंगे के तर्ज पर बागी बिगाड़ेंगे समीकरण
भाजपा में गुटियता होने के कारण कांग्रेस की एकमात्र पार्षद वार्ड क्रमांक 15 से निर्वाचित वंदना सुधीर भाभर का नाम भी इस दौड़ में है। क्योंकि अध्यक्ष का चुनाव 15 पार्षदों को मिलकर करना है जो पार्षद वार्ड में धनबल के सहारे चुनाव जीते हैं। वह अध्यक्ष को अपना वोट इसी शर्त पर देंगे कि जैसे ईद के त्यौहार पर कुर्बानी के बकरे की कीमत बढ़ जाती है। वहीं पार्षद अपना स्वार्थ सिद्धि कर सकते हैं। 3 वार्डों में कांग्रेस 4 वार्डों में निर्दलीय एक भाजपा का नाराज गुट क्रास वोटिंग कर यह खेल खेल कर चुनावी बाजी पलट सकता है और म्रदयु व्यवहार की धनी वंदना सुधीर भाभर अध्यक्ष की दौड़ में अपना समीकरण बना सकती है। भाजपा सत्ता मोह से ग्रसित सत्ता मद में मदहोश भाजपा संगठन के लिए अध्यक्ष के रूप में निर्विवाद छवि के महिला को चुनना होगा। जो सभी पार्षदों को साध सके संगठन भी चंद रुपयों में टिकट बदल कर भाजपा के निष्ठावान नेताओं की छवि को धूमिल कर रहा है। भाजपा जिला अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह नायक को अब प्रदेश नेतृत्व अभी बाहर का रास्ता दिखा देगा। नायक पर चंदा वसूली दो थप्पड़ चारित्रिक पतन के आरोप भी सिद्ध हो चुके हैं।
गुलाम कादर विधायक प्रतिनिधि झाबुआ जिले में कांग्रेस पार्टी सत्ता में ना होकर विपक्ष की भूमिका अदा कर रही है। चाहे वह विधान सभा का चुनाव हो या जिला परिषद अध्यक्ष का एक महत्वपूर्ण पदों पर आज भी कांग्रेस का बीज है। वहीं भाजपा कमजोर नेतृत्व अनुभव ही लोगों को संगठन में तहजीज दी जा रही है। जिसका नतीजा भारतीय जनता पार्टी इस अंचल में कमजोर साबित हो रही है। वही हाल इस क्षेत्र में कांग्रेस का है जहां प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे कांग्रेस के विधायक वीर सिंह भूरिया ने हाल ही में अपने 8 माह के कार्यकाल हेतु निष्ठावान व झंडा ब्रदर कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर तथा मैदानी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर कमजोर कड़ी के गुलाम कादर को नगर परिषद में विधायक प्रतिनिधि नियुक्त किया है। जिसका कांग्रेस संगठन मै विरोध हो रहा है।
कैसे पाटेगा 6 करोड़ का कर्ज
निवृत्त मान अध्यक्ष नगर पर 6 करोड़ से अधिक का कर्ज विरासत में छोड़कर खाली खजाना नवीन अध्यक्ष के लिए छोड़ जा रहे हैं। यह पद नवीन अध्यक्ष के लिए कांटो के ताज के समान होगा देखना होगा कि पूर्व परिषद के तर्ज पर भाई भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। क्या उस परिस्थितियों में भी यह परिषद कुछ कर पाएगी अंत में निवर्तमान परिषद व वर्तमान परिषद के सम्मान में चंद पंक्तियां मेरे जेहन में आती है कि,
"ए दोस्त तू गम ना कर तकदीर बदलती रहती है शीशा तो वही रहता है पर तस्वीर बदलती रहती है।"