कानून का नहीं पुलिस का राज : पुलिस चाहे तो अपराध होने पर भी नहीं करती मामला दर्ज और पुलिस चाहे तो अपराध नहीं करने पर भी बना दे अपराधी
8 लेन वालों से सांठ-गांठ के साथ बेगुनाह को गुनेहगार की तरह ट्रीट करना पुलिस को पड़ा महंगा, महिला टीआई ने अपने बचाव के लिए लिखवाई महिला उत्पीड़न की झूठी रिपोर्ट फिर किया मामला रफा-दफा
माही की गूंज, खवासा।
वाह रे पुलिस तेरी कारस्तानी को जितना भी निहारा जाए उतना भी कम हैं। पुलिस जिसे चाहे अपराधी बना दे और पुलिस चाहे तो अपराध करने वाले को बेगुनाह साबित कर दें। ऐसी घटिया व मनमानी पुलिसिया कार्रवाई से ही पुलिस की विश्वनीयता दर पर दर घटती जा रहा है और उन्हें हडकिये कुतरे की तरह उपाधि देने में आमजन कोई चूक नहीं कर रहे है।
जिले में चल रहे भाजपा जिलाध्यक्ष के विरुद्ध महिलाओं के साथ शोषण करने का मामला भोपाल की गलियारों से लेकर उच्च न्यायालय तक पहुंच गया। परंतु सारे विधिसम्मत प्रमाण व ऑडियो रिकॉर्डिंग के बाद भी भाजपा जिला अध्यक्ष लक्ष्मण नायक के विरुद्ध मामला दर्ज नहीं कर, उसे गैर महिलाओं को गंदी नजर के साथ छेड़ने की छूट प्रदान कर दी गई है। माना जा रहा है जिसके तहत भाजपा जिला अध्यक्ष लक्ष्मण नायक भी जिले में महिलाओं पर बुरी नजर रखने वाला चरित्रहीन व्यक्ति की उपाधि प्राप्त कर किसी भी मंच पर जाता है तो फोटो सेशन के समय भी उसका ध्यान महिलाओं की तरफ़ ही रहता है। जैसे फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होकर चरित्रहीन उपाधि प्राप्त करने वाले लक्ष्मण नायक पर कई तरह की हास्यप्रद चर्चाये चलन में हो चुकी है। वहीं भाजपा जिला अध्यक्ष नायक के आतीत्य मंच पर उपस्थित होने पर अब महिलाए उक्त मंच पर जाने से भी कतराने लगी है। हमारा कानून महिलाओं के प्रति बुरी नजर से देख कर निहारने पर भी पुरुष अपराधी की श्रेणी में आता है, परंतु राजनीतिक संरक्षण के साथ पुलिस ने गैर महिलाओं को बुरी नजर से निहारने हेतु मानो चरित्रहीन भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण नायक को परमिशन दे दी है। वहीं जिले में ऐसे मामले भी देखे गए जिसमे खासकर वो पत्रकार भी रहे हैं, जिन्होंने अपनी कलम का निर्वाह इमानदार से किया। वही कही ना कही ऐसे पत्रकारों से आहत रहती पुलिस के पास जब समाचारो से आहत बदनीयती वाले व्यक्तियो ने महिलाओं का सहारा लेकर झूठी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई, तो पुलिस भी कानून की सच्ची रखवाली करने वाली है का ढकोसला कर बिना किसी जांच पड़ताल के ही महिला उत्पीड़न के मामले दर्ज कर दिए गये। जबकि ऐसा कोई अपराध नही किये गये। जब ऐसे मामलों में जिला स्तर के पुलिस अधिकारी भी महिला संबंधि मामलों में पत्रकारों को कहते नजर आते हैं कि, महिला द्वारा शिकायत पर पुलिस को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना ही पड़ती है, यह पुलिस का काम है। पर असलियत तो यह है कि पुलिस ही बिना अपराध के जिसे अपराधी मान ले उसके विरूद्ध त्वरित मामला दर्ज कर ले वही अपराध करने के बाद भी फरियादी, फरियाद लेकर थाने तो क्या भोपाल से लेकर न्यायालय तक भी चला जाए तो भी पुलिस उसे अपराधी नहीं माने तो उसके विरुद्ध मामला दर्ज नहीं हो। यही पुलिस की कार्यप्रणाली देखने में आ रही है।
पुलिस की कारस्तानी का एक और खुलासा 8 लेन के जीआर इंफ्रा के कर्मचारियो के साथ पुलिस को सांठगांठ पड़ी महंगी
यह तय है कि, पुलिस को जो आईना दिखाएं उसके विरूद्ध पुलिस अपराध दर्ज करने में कोई कसर नहीं छोड़े और जहां पुलिस की नब्ज फस जाती है, तो पुलिस अपने आप को बचाने के लिए किस निचले स्तर पर जा सकती है का खुलासा हम पूरी बेबाकी के साथ कर रहे है। मामला थांदला थाने की खवासा चौकी का है, जहां 8 लेन सड़क निर्माण कार्य करने वाली जीआर इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों से पुलिस ने ऐसी साठगांठ की कि, 8 लाइन वाले जिस और इशारा कर दे कि यह व्यक्ति 8 लाइन के कार्य में उनकी समस्याओं के साथ बाधा पहुंचा रहे हैं। तो पुलिस बेगुनाह होने के बावजूद सामने वाले को अपराधी की तरह ट्रीट कर उसे बिना किसी अपराध के ही चौकी या थाने पर ले जाकर पुलिसिया ट्रीटमेंट देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कहते हैं कभी-कभी शेर को सवा शेर मिल ही जाता है लेकिन कहते हैं कभी-कभी शेर को सवा शेर मिल ही जाता है और यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ 8 लाइन में कार्य के दौरान जीआर इंफ्रा के कर्मचारियों ने जिन-जिन व्यक्तियों की भूमि अधिग्रहण में आई उन्हें कई तरह से गुमराह कर परेशान करने व अपने अनुसार ही कार्य करने का दबाव बनाया। हर कार्य उनके हिसाब से हो कि नियत से यह साफ है कि, जीआर इंफ्रा कंपनी के कर्मचारियों ने पुलिस से लेकर पटवारी या जो भी अधिकारी जिनके माध्यम से उनका कार्य करने में थोड़ी बहुत भी तकलीफ आने पर उनके हिसाब से काम हो की नियत से सांठगांठ कर ली गई। नतीजन पुलिस भी जीआर इंफ्रा कंपनी का इशारा होते ही बेगुनाह व्यक्ति को ही बिना किसी अपराध के ही चौकी व थाने पर लाकर पुलिसीया ट्रीटमेंट दिया गया।
इसी कड़ी में लक्ष्मण पिता नारजी निवासी वडलीपाड़ा (भामल) की सर्वे नंबर 1312 सरकारी खाते की भूमि उसके हक में थी जिसका मुनाफा 80 हजार देने के साथ ही एक अन्य खाते की भूमि जो उपजाऊ नहीं थी को मिट्टी व लेवल कर खेती योग्य जीआर इंफ्रा लिमिटेड कंपनी के द्वारा बनाकर दिया जाएगा की बात कर्मचारियों ने समझौते के रूप में कही। साथ ही टोल प्लाजा पर नौकरी भी देने की बात समझौते के तहत कही थी।
लेकिन 19 अप्रैल 2021 के समझौते के साथ अपना उल्लू सीधा होने के बाद जीआर इंफ्रा कंपनी का लाइजनिंग मैनेजर अजय मनावत अपनी बात से मुकर गया ओर जिस पड़त भूमि को उपजाऊ उनके संसाधन के साथ करना थी जिसे नहीं किया गया। जब कुछ समय के बाद लक्ष्मण व उसकी पत्नी, परिवार ने अपने वादे अनुसार जीआर इंफ्रा कंपनी के कर्मचारियों को कार्य करने का कहा, तो लारजनिंग मैनेजर अजय मनावत ने खवासा तत्कालीक चौकी प्रभारी रज्जत सिंह गणावा को इशारा कर पुलिसीया ट्रीटमेंट देने की बात कही। जिस पर खवासा पुलिस घर जाकर लक्ष्मण के पुत्र अमित को पुलिस वाहन में जबरदस्ती बिठाकर खवासा चौकी ले आई।
यहां तक कि अमित ने बिना किसी अपराध के चौकी क्यों ले जा रहे हैं कहा, तो उसे थप्पड़ मार कर गाडी में बिठाया गया और खवासा चौकी पर लाकर बिना किसी अपराध के ही अमित को पुलिसीया ट्रीटमेंट देकर लॉकअप में डाल दिया। यह बात उसकी मां लीलाबाई व पिता लक्ष्मण को नागवारा लगी और पुलिस चौकी पर पुलिस से लीलाबाई ने एक ही सवाल किया कि, तुमने मेरे छोरे को किसकी शिकायत पर व किस अपराध में पकड़ कर लाए। तो पुलिस भी हरकत में आ गई और 8 लेन के कर्मचारी अजय मनावत द्वारा शिकायत की गई कहां गया। लेकिन जब अजय मनावत से पूछा गया कि, किस संबंध में शिकायत की गई, तो अजय मनावत एक सिरे से पुलिस में किसी भी प्रकार की शिकायत नहीं करने की बात कही।
पुलिस के विरूद्ध सीएम हेल्पलाईन में की शिकायत तो पुलिस ने पिता को ले जाकर किया लॉंकअप में बन्द
जिसके बाद अर्धनग्न स्थिति में ही पुलिसीया ट्रीटमेंट के बाद खवासा पुलिस ने अमित को परिवार के सुपुर्द किया। लेकिन बिना अपराध के व बिना किसी शिकायत के अपने पुत्र को पुलिस द्वारा अपराधी मानने व पुलिसीया ट्रीटमेंट देने के बाद पिता लक्ष्मण ने सीएम हेल्पलाइन पर पुलिस के खिलाफ शिकायत की, तो सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत कटवाने हेतु पुलिस ने अपने आतंक का परिचय देकर, लक्ष्मण को उठाकर थांदला थाने ले जाकर पुलिसिया ट्रीटमेंट के साथ लॉंकअप अर्धनग्न कर डाल दिया।
जब माही की गूंज प्रतिनिधि का फोन टीआई कौशल्या चौहान के पास गया तो मजबूरी में आधी रात को लक्ष्मण को छोड़ना पड़ा। पर टीआई कौशल्या चौहान ने अपनी कारस्तानी दिखाकर झूठे बयान का हवाला देकर प्रथम सीएम हेल्पलाइन को खत्म करवा दिया गया।
द्वित्तीय सीएम हेल्पलाइन को खत्म करने के लिए महिला टीआई ने, महिला शोषण की झूठी रिपोर्ट लिखवाकर मामले में किया समझौता
पुलिस अपने काम निकालने के लिए कितना गिर सकती है शायद यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। पहले पुत्र फिर पति को बिना अपराध थाने ले जाने पर लक्ष्मण की पत्नी लीला बाई ने पति के साथ पुलिस की प्रताड़ना की सीएम हेल्पलाइन में फिर शिकायत की तो पुलिस फिर हरकत में आई और 24 मार्च को खवासा चौकी पर लीलाबाई उसके पति लक्ष्मण व परिवार को थांदला टीआई कौशल्या चौहान ने आकर बुलवाया। और सीएम हेल्पलाइन सें शिकायत हटाने की बात कही।
चूकि 3 फरवरी को माही की गूंज मे मामले में पुलिस की कारस्तानी प्रकाशित हो चुकी थी के मद्देनजर टीआई चौहान चुप नजर आई और सीएम हेल्पलाइन से शिकायत हटाने का अनुरोध करती रही। परंतु परिवार पुलिस के विरुद्ध कार्रवाई के लिए अडीग रहा और एक ही सवाल टीआई चौहान से करा कि, अजय मनावत ने कोई शिकायत नहीं की तो पहले मेरे बेटे व फिर मेरे पति को क्यों पुलिस अपराधी की तरह ले गई। वहीं पुलिस चौकी पर अजय मनावत को बुलाती रही पर वह चौकी पर नहीं आया। तो टीआई चौहान ने अपनी कारस्तानी दिखाकर लीलाबाई से कहा आखिर तुम सीएम हेल्पलाइन की शिकायत किस आधार पर लेने को तैयार हो, तो अजय मनावत से चौकी पर बुलवाकर रूबरू मिलवाने की बात कही। जिसके बाद महिला पुलिस अधिकारी होकर अजय मनावत पर दबाव बनाने हेतु टीआई ने अपने पुलिस कर्मचारी पाटीदार को बोलते हुए लीलाबाई की ओर से अजय मनावत के विरुद्ध महिला उत्पीडन के संबंध में बुरी नियत से हाथ पकड़ने की रिपोर्ट आवेदन लिखवाया।
टीआई के द्वारा लिखवाई झूठी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि, 8 लाइन में कार्यरत अजय मनावत 22 मार्च को मेरे घर आया जिस समय मेरा पति घर नहीं था और तू अच्छी लगती है कह कर बुरी नियत से हाथ पकड़ा, चिल्लाने पर वह भागा और वह कहता गया कि, तू यह बात किसी से कहना मत नहीं तो तुझे खत्म करवा देंगे।
लीलाबाई ने उसके साथ ऐसा कुछ नहीं होने का हवाला दिया, लेकिन टीआई मैडम कहती रही, हमें हमारे हिसाब से कार्रवाई करने दो। वही झूठी रिपोर्ट के आधार पर चौकी पर अजय मनावत को बुलाकर ऐसा दबाव बनाया कि, जो वादा पूर्व में 8 लाइन की तरफ़ से लक्ष्मण व लीलाबाई को किया था, खेती कार्य करने हेतु खेत तैयार करवाकर काम करवाने का उल्लेख कागज पर करवाया और साक्ष्य के रूप में टीआई कौशल्या चौहान ने भी अपने हस्ताक्षर किए।
टीआई की उक्त कारस्तानी से साफ होता है कि, पुलिस चाहे तो बेगुनाह को गुनेहगार व गुनेहगार को बेगुनाह बनाकर कुछ भी कर सकती है यह तय है।
भाजपा का चरित्रहीन भाजपा जिला अध्यक्ष लक्ष्मण नायक फोटो सेशन के समय भी महिलाओ की तरफ ही अपनी नजर रखने का यह फोटो जमकर सोशल मिडीया पर वायरल होकर चर्चा का केन्द्र बना हुआ है।
जीआर कम्पनी का अजय मनावत
टीआई कौशल्या चौहान ने अपनी फसी को निकालने के लिए स्वंय ने अपने पुलिस कर्मचारी से लिखवाई महिला उत्पीडन संबधी झुठी रिर्पोट
उक्त कार्य करने का लिखित में अजय मनावत से लिखवाने के बाद पुलिस ने उक्त कार्य होने की जवाबदारी लेकर टीआई कौशल्या चौहान ने किये हस्ताक्षर
टीआई कौशल्या चौहान