पुलिस अब भी लक्ष्मण को बचाएगी या न्यायालय के आदेश का पालन कर मामले का करेगी पटाक्षेप...?
माही की गूंज, झाबुआ।
अपनी लगोट के कच्चे होकर महिलाओ के प्रति बदनियती रखने के सम्बंध मे जिले में प्रचलित हो चुके भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह नायक व उसके साथी सहित कुल 5 लोगो के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय इंदौर में पेटलावद थाना क्षेत्र की महिला द्वारा यौन शोषण के मामले में रीड दायर की थी। जिसकी सुनवाई के बाद 8 फरवरी को माननीय उच्च न्यायालय इंदौर ने पुलिस अधीक्षक झाबुआ को मामले में उचित कार्यवाही के निर्देश जारी किए थे। उक्त मामले में न्यायालय द्वारा जारी आदेश की प्रति के साथ पीड़ित महिला ने पुलिस अधिक्षक कार्यालय पहुच कर एक बार फिर से भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह नायक और ब्रजभूषण सिंह परिहार के विरुद्ध आवेंदन देकर कार्रवाई की मांग की है। महिला ने आवेंदन में हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर भाजपा जिलाध्यक्ष पर दोबारा से गम्भीर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। पीड़ित ने बताया कि, आवेंदन देने के बाद एसपी ने एक बार फिर मामला जांच के नाम पर एसडीओपी पेटलावद को भेजने का कहा, जहा पहले से जांच लंबित हैं।
जांच को बनाया फुटबाल, पुलिस को करना होगा पटाक्षेप
लगभग एक साल से पुलिस फाइलों में दौड़ रहे जिलाध्यक्ष पर लगा यौन शोषण का मामला एसपी झाबुआ और एसडीओपी पेटलावद के बीच फुटबॉल बन गया है। पीड़ित महिला को दो अधिकारीयो से संतोषप्रद जबाब नही मिल रहा, न ही मामले में दर्ज बयान, जाँच प्रतिवेदन, नोटिस की प्रमाणित प्रति। महिला का आरोप है कि, एक और एसडीपीओ मेडम कहती हैं, मेरे द्वारा जांच कर मामला एसपी साहब को भेज दिया है। प्रमाणित दस्तावेज वही से मिलेंगे और जब एसपी से दस्तावेज मांगे जाते हैं, तो मामला जांच में होना बताया जाता है। महिला द्वारा न्यायालय में याचिका दायर करने के बाद दिए आवेदन को फिर से एसडीओपी पेटलावद के पास भेज दिया गया। जहा 5 दिन बाद पीड़िता के पति द्वारा एसडीओपी से संपर्क करने पर फिर से वही कहा गया, जो भी है हम जांच कर के मामला एसपी को भेज देंगे, आपको कागज वही से मिलेंगे। कुल मिलाकर राजनीतिक रसूक के चलते मामले को फुटबॉल बना कर दो पुलिस अधिकारीयो के बीच उलझाया जा रहा है। हालांकि उच्च न्यायालय से मिले पुलिस को नए निर्देश के बाद इस मामले का पटाक्षेप करना ही पड़ेगा। कानूनी जानकारों की माने तो पुलिस को इस मामले में प्रकरण दर्ज करना होगा या फिर पुलिस जाँच में लिखित में स्पष्ट कारणों सहित जबाब देना होगा कि, इस मामले में प्रकरण नही बनता।
दोबारा न्यायालय की शरण मे जाने की तैयारी
पीड़ित महिला के पति का कहना है कि, मेरे परिवार को जिलाध्यक्ष की शिकायत के बाद से प्रताड़ित किया जा रहा है। जिले में जब भी कोई सत्ताधारी दल का नेता या मंत्री आता है तो पुलिस को भेज कर मेरे परिवार पर नजर रखी जाती है। मेरे द्वारा किये जा रहे सरकारी कामो के भुगतान को भी रोका जाता है। न्यायालय के आदेश के बाद भी पुलिस स्पष्ट नही कर रही है कि, उनकी जांच में क्या हुआ और न ही जांच के दस्तावेज उपलब्ध करवा रही है। पीड़िता के पति ने कहा है कि, अगर पुलिस ने मामले को स्पष्ट नही किया तो दोबारा न्यायालय की शरण मे जाएंगे।
जांच अधिकारी पेटलावद एसडीओपी सोनु डावर का कहना है कि, उन्होंने जांच प्रतिवेदन बना कर एसपी साहब को भेज दिया है ।
पीडित महिला उच्च न्यायालय के आदेश के साथ पहुची एसपी कार्यलय।