राजनीतिक पार्टिया अपने पक्ष में चुनाव करवाने के लिए बूथ स्तर के मतदाताओं तक पहुंचा रही 20 व 50 के नोट देकर शराब...!
शराब दुकानों पर दो पहिया वाहनों के साथ लगने लगी अचानक भीड़
माही की गूंज , झाबुआ।
चुनावी आचार संहिता लगते ही प्रशासन सतर्क हो जाता है और सीमावर्ती क्षेत्र में चेक पोस्ट लगाकर सघन जांच कर कार्रवाई भी करती है। जिसमें परिवहन कर बड़ी मात्रा में नगदी या कीमती धातु ले जाने पर जप्त करती है। वहीं अन्य नशीले पदार्थ एवं अवैध शराब परिवहन एवं अवैध शराब अड्डों पर कार्रवाई कर अपना टारगेट भी पूरा करती है। तथा की जाने वाली प्रत्येक कार्रवाई व प्रशासनिक गतिविधि का लेखा जनसंपर्क के माध्यम से मीडिया तक पहुंचाया जाकर अपनी सक्रिय कार्रवाई का संदेश प्रशासन देती है। पर प्रशासन कितना भी अपनी सजगता का पाठ पढ़े लेकिन चुनाव में राजनीतिक पार्टिया भी प्रशासन एवं चुनाव आयोग की व्यवस्थाओ में सेंध लगाने में अक्सर ही सफल होती है। कारण ये ही कि प्रशासन के नुमाईंदे भले ही ऊपरी कार्रवाई के साथ अपना पाठ, आचार संहिता के दौरान पढ़ते हो लेकिन खासकर इन आदिवासी बाहुल जिलों में चली आ रही प्रथा जिसमें राजनीति पार्टी के उम्मीदवार अपने पक्ष में मतदान करवाने हेतु बुथ स्तर तक के मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब पहुंचाते हैं। साथ ही अब महिलाओं एवं बच्चों के लिए सेव- परमल भी पहुंचाने लगे हैं। इसी कड़ी में रतलाम संसदीय क्षेत्र की तीनों जिलों की शराब ठेके की दुकानों पर अचानक ही दो पहिया वाहनों की भीड़ लगने लगी है।
उक्त भीड़ के बारे में जाना तो यही सामने आया कि, पूर्व में राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार अपने नेताओं के माध्यम से शराब की दुकानों से क्षेत्र में ग्राम पंचायत या फलिया/बूथ स्तर पर चार पहिया वाहनों में शराब की पेटिया भर बांटी जाती थी, लेकिन चुनाव आयोग की सख्त नजर के चलते इन्होंने अपनी व्यवस्था चेंज कर बूथ स्तर के प्रभारी बनाए गए और उन्ही बूथ स्तर के प्रभारी के माध्यम से टोकन स्लिप के माध्यम से शराब ठेकों की दुकानों से शराब पहुंचाई जाने लगी। ताकि कोई शराब भी पकड़ ले तो किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के माथे नहीं आए और बूथ स्तर का कार्यकर्ता कार्रवाई का शिकार हो जाए। टोकन स्लिप का फार्मूला भी मीडिया के माध्यम से उजागर होने लगा तो शराब ठेकेदार को क्षेत्रवाइस क्रमश: छोटे नोट के सीरियल नंबर दे दिए जाते हैं और एक नोट उस सीरियल नंबर का जो उसकी पार्टी नेताओं के द्वारा दिया गया है । वह एक नोट ही ले जाकर बूथ स्तर का कार्यकर्ता जाकर शराब ठेके पर देता है, तो सेल्समैन सीरियल नंबर का मिलान कर पार्टी द्वारा निर्धारित अलग-अलग क्षेत्र वाइस शराब की पेटिया दे दी जाती है।
लोकसभा चुनाव 13 मई को होना है। प्रचार भी अपना अंतिम रूप ले चुका है। वहीं बुधवार से शराब ठेकों की दुकानों पर राजनीतिक पार्टियों के स्थानीय कार्यकर्ताओं की भीड़ दो पहिया वाहनों के साथ लगने लगी है। जो 11 मई शाम को शराब दुकान बंद होने के पूर्व तक ग्राम वाइस लगती रहेगी।
हमारे सूत्रनुसार बताया जा रहा है कि, इस बार बीजेपी बूथ स्तर पर 6 से 8 शराब की पेटिया दे रही है, जिसमें दो पेटी गोवा व्हिस्की एवं बाकी बियर की टीन वाली पेटिया। उक्त पेटिया शराब सेल्समैन द्वारा 20 रुपये की एक नोट लेता है उसका सीरियल नंबर चेक करता है और यह सभी शराब की पेटिया दे देता है। इसी तरह कांग्रेस, बीजेपी की तुलना में शराब की आधी पेटिया ही दे पा रही है। जिसमें एक से दो पेटी प्लेन (दुबारा) देशी शराब की पेटिया व बाकी बियर की टीन वाली पेटिया दी जा रही है। कांग्रेस का जाने वाला कार्यकर्ता इस बार सेल्समैन को 50 रुपये की एक नोट देता है और सेल्समेन इसका सीरियल नंबर का मिलान कर शराब की पेटिया दे रहा है।
वहीं सबसे बड़ी बात यह है कि, दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता शराब के ठेकों पर आपस में मिलते हैं और अपनी-अपनी पार्टी के नेताओं द्वारा निर्धारित की गई शराब की पेटिया ले जा रहे हैं पर इसकी कोई शिकायत भी चोर-चोर मौसरे भाई की तर्ज पर नहीं कर रहे हैं । चुनाव आयोग भले ही निष्पक्ष चुनाव करवाने की बात करें लेकिन यह राजनीतिक पार्टिया चुनाव आयोग को सेंध लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। और यह भी सही है कि स्थानीय स्तर के संबंधित अधिकारियों को इसकी पूरी जानकारी भी रहती है। लेकिन कार्रवाई का ढकोसला करने वाले अधिकारी इस और कोई कार्रवाई नहीं करते हैं।
जिला प्रशासन अगर बचे हुए घण्टो में ही अपनी ईमानदारी दिखाएं तो प्रत्येक गांव में जहा शराब ठेके संचालित हो रहे हैं वहां पर नजर लगाकर कार्रवाई करे तो, प्रत्येक जिले में एक-दो नहीं बल्कि हजारों कार्यकर्ता दो पहिया वाहन के साथ शराब की पेटियों के साथ मिल जाएंगे जो मतदाताओं को लुभाने के लिए ले जाई गई है और ले जाई जा रही है।
भीड़ में पुलिस जवान भी शराब लेने पहुचा, साथ ही यह भी स्पस्ट हो गया कि पुलिस के सामने ही ले जाई जा रही शराब।