Saturday, 19 ,April 2025
RNI No. MPHIN/2018/76422
: mahikigunj@gmail.com
Contact Info

HeadLines

ईट से भरी ट्राली पलटी, बड़ी दुर्घटना टली | प्रभु येशु के अनूठे प्रेम को शिष्यों के पैर धोकर सेवा का संकल्प लिया | केबिनेट मंत्री भूरिया के विधानसभा क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार के बड़े मामले उजागर | भ्रष्टाचारियों व अपराधियों का गढ़ बनता जिला... | भगवान भाव का भूखा, हम सिर्फ पत्थर समझ कर पूज रहे है- पंडित मनीष भैया | कछुआ गति से चल रहा कार्य, 2 साल बाद भी ग्रामीणों को नहीं मिला जल जीवन मिशन योजना का लाभ | अभिभाषक अविनाश उपाध्याय बने अभिभाषक संघ के अध्यक्ष | कलेक्टर करती है नगर में लगे कैमरों से निगरानी, कौन क्या करता है सब पता है...? | पत्रकारों का आक्रोश, अम्बेडकर गार्डन में देंगे धरना | समाज में जीने के लिए परिवार का अपनाना आवश्यक | अज्ञात संक्रमण से बालक की मौतः जिम्मेदार मौन | तीन दिवसीय मायरा कथा का हुआ भव्य समापन, श्री राधिका के भजनों पर झूमे श्रोता | कमीशन का खेल, भ्रष्टाचार की रेलमपेल... कैसे स्कूल चले हम...? | ग्राम/नगर रक्षा समिति सम्मेलन का हुआ आयोजन | जन चेतना शिविर – एसपी ने दी जागरूकता | भगोरिया मेले की धूम, आदिवासी समाज ने पारंपरिक नृत्य कर बढ़ाई शोभा | राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर हुई परिचर्चा | ग्राम पंचायत में पानी की समस्या को लेकर जनपद उपाध्यक्ष व ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन | मामला फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र का...! शिकायकर्ता लीलाबाई व ग्राम पंचायत सचिव के विरुद्ध मामला दर्ज | कक्षा 8वीं का विदाई समारोह संपन्न |

देश में राजनीतिक दलों की स्थिति मतलब हमाम में सब नंगे
09, May 2024 11 months ago

image

दल-बदल, ब्लेक मेलिंग, खरीद-फरोख्त पर आकर टिक गई राजनीति

खतरे में लोकतंत्र, खुले आम उड़ाई जा रही धज्जियां

माही की गूंज, झाबुआ।

  वैसे तो हिंदुस्तान की राजनीति अब किसी से छुपी या दबी नहीं रही है। राजनीति में हर वह हथकंडा अपनाया जा रहा है जो शायद अपनाया नहीं जाना चाहिए था। मगर यहां अब लोकतंत्र की हत्या को गर्वोक्ति समझा जाने लगा है। इसलिए देश के लोकतंत्र में राजनीति की गलियों में ईमानदारी की कामना करना बेमानी ही होगा। जिस तरह की राजनीति आज के दौर में देखने को मिल रही है वह बहुत ही भयावह दिखाई पड़ रही है। राजनीतिक दलों ने अपनी सारी की सारी मर्यादाएं छिन्न-भिन्न कर के रख दी है। हर वह काम जायज समझ कर किया जा रहा है जो नाकाबिले बर्दास्त है। भाषाई मर्यादा तो बहुत पहले ही राजनीति से गायब हो चुकी है। अब तो सिर्फ शारीरिक नंगाई ही बाकी दिखाई दे रही है। इसके अलावा तो राजनीतिक पार्टियों ने अपना पूरा नंगापन दिखा दिया है। राजनीति के नाम पर कई ऐसे काम किए जा रहे है जो राजनीति की अस्मित्ता को तार-तार कर रहे है।

         देश में इन दिनों लोकसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक माहौल गर्माया और आमजन शर्माया हुआ नजर आ रहा है। हर कोई राजनीति के इस स्तर को झूकी और शर्मिंदगी भरी निगाहों से देख रहा है। मगर आवाज उठाने में हर कोई लाचार नजर आ रहा है। मीडिया सत्ता को धोग दे रही है तो वहीं कुछ कलम के सिपाही मुखर होकर अपनी बात आमजन तक पहुंचा रहे है। मगर इनकी आवाज को भी सत्ता निगल लेना चाहती है। प्रशासन, पार्टी एजेंट की तरह काम पर लगा हुआ है। तो पार्टी कार्यकर्ता अपने आपको पीएम, सीएम से कम नहीं आंक रहे है। सत्ता के ईशारों पर नाचने वाली प्रशासन रूपी नचनिया इस तरह नाच रही है कि घुंघरू टूट जाए। निर्वाचन आयोग भी  लग रहे आरोपो के साथ अब शक के घेरे में है और सरकार का एजेंट माना जा रहा है। देश के हालात अब लोकतंत्र और राजनीति को लेकर बहुत ज्यादा बिगड़ते दिखाई दे रहे है। केंद्र में बैठी सरकार अब सब कुछ अपने हिसाब से करना चाहती है। विपक्ष को पूरी तरह से खत्म करने पर आमदा है। जो राजनीतिक दल सत्ता के खिलाफ हुंकार भरता है उसके नेता और लीडर बेवजह ही जेलों में ठूंस दिए जाते है। विपक्ष के नेता सत्ताधारियों से अपनी जान छुड़ाने खुद उनके साथ हो जाते है। सरकारी एजेंसियो का दुरूपयोग खुलकर हो रहा है, ये सरकारी एजेंसियां बिना किसी तथ्य और सबूत के बेलगाम घोड़े की तरह सत्ता के ईशारों पर दौड़ रही है के भी आरोप है। राजनीति अब दल-बदल, ब्लेक मेलिंग, खरीद-फरोख्त पर आकर टिक गई है। सत्ताधारी दल ने पूरे लोकतंत्र को चिढ़ाते हुए अपनी उटपटांग हरकतें शुरू कर दी है। विपक्षी दल के नेताओं को येन-केन प्रकारेण शाम, दाम, दंड, भेद अपना कर अपने साथ मिलाया जा रहा है। जैसा कि अब तक प्रचलित हो चुका है कि, सत्ताधारी दल यानी वॉशिंग मशीन। अगर आप सत्ताधारी दल के साथ हो लिए तो समझो आपके सारे गुनाह धुल जाएंगे। इसके कई उदाहरण पूरे देश में भरे पड़े है, लेकिन सत्ताधारी दल इसे सिरे से नकारता ही नजर आ रहा है मगर यह पब्लिक है सब जानती है...

          सूरत और इंदौर कांड ने सबको हिलाकर रख दिया है। इन दो जगहों पर खुलकर ओछी राजनीति देखने को मिली है। जहां विपक्ष को पूरी तरह से मिटाने की कोशिशें की गई है। बिना चुनाव के सत्ताधारी दल ने ऐसा खेल खेला कि विपक्ष को चारों खाने चित कर इन सीटों पर अपना कब्जा येन-केन प्रकारेण बना ही लिया। देश में चुनाव के पहले ही 543 मे से दो सीटें कब्जा ली गई। हालांकि ये कोई बड़ा आंकड़ा नहीं है। मगर इससे राजनीति का स्तर मापना आमजन के लिए आसान हो गया है। वैसे भी विपक्ष हमेशा सत्ता पर कई तरह के सवाल दागता आया है। चाहे एवीएम हेकिंग की बात हो या माफियाओं, गुंडों को संरक्षण देने या फिर देश के धन्नाओं को सरकार द्वारा दिए जा रहे सहयोग की, देश की सम्पत्ती बैचने और देश को बरबाद करने की। विपक्ष हमेशा से ही इन आरोपों को सत्ता पर लगाता आया है। मगर सत्ताधारी दल की बहुमत वाली सरकार ने किसी को भी अपनी गिनती में नहीं लिया।

          देश के राजनीतिक हालात ऐसे बन गए है कि, लोकतंत्र खतरे में आकर खड़ा हो गया है! खुलेआम लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई जा रही है। विपक्ष को इतना कमजोर कर दिया गया है कि वह अब सिर्फ देश की आमजनता से आस लगाए बैठा है। बाकी उसके हाथ में शायद कुछ है ही नहीं। हालात ऐसे हो गए है कि अब एक क्षत्र राज दिखाई देने लगा है। लोकतंत्र की आवश्यकता गौण दिखाई पड़ रही है। देश की राजनीतिक स्थिति मानों हमाम में सब नंगे की तरह दिखाई पड़ रही है।


माही की गूंज समाचार पत्र एवं न्यूज़ पोर्टल की एजेंसी, समाचार व विज्ञापन के लिए संपर्क करे... मो. 9589882798 |