Thursday, 07 ,August 2025
RNI No. MPHIN/2018/76422
: mahikigunj@gmail.com
Contact Info

HeadLines

आखिर शिक्षा व्यवस्था की जड़े कमजोर की जिम्मेदारी किसकी... | मतदाता सूची पुनरीक्षण पर इतना बवाल...! आयोग जवाब दे... | एनआरबी ट्रांसपोर्ट पर माल गुम नहीं होता कर दिया जाता है...! | राजस्थान की घटना के बाद सक्रिय हुए ग्रामीण, जर्जर स्कूल भवन को लेकर दर्ज करवाई शिकायत | गौ सेवा सर्वोत्तम और परोपकार से बढ़कर कोई पुण्य नहीं होता है- शास्त्री जी | डा. का फर्जी स्थानांतरण आदेश का बड़ा मामला आया सामने | झाबुआ कलेक्टर के साथ हुई यह दुर्घटना सामान्य या षड्यंत्र...? | पुलिस व्यवस्था की खुली पोल, लाखों रुपए के इलेक्ट्रॉनिक सामान की हुए चोरी | उपराष्ट्रपति का इस्तीफाः असंतोष की शुरुआत या स्वास्थ्य का बहाना ...? | भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की गाड़ी से बड़ी दुर्घटना, तीन जख्मी | मातृशक्ति महिला मंडल ने निकाली कावड़ यात्रा | हाउस सेरेमनी व शपथ विधि समारोह संपन्न | बड़े तालाब में डूबने से व्यक्ति की मौत | इरादे तो सैकड़ो बनते हैं बनकर टूट जाते हैं कावड़ वही उठाते हैं जिन्हें भोले बुलाते हैं | महिला एवं बाल विकास मंत्री ने हरिहर आश्रम में पार्थिव शिवलिंग का किया जलाभिषेक | गुजरात की घटना से सबक नहीं लिया तो यहां भी पड़ सकती हैं इंसानी जान खतरे में | सेवानिवृत्त शिक्षक विजयसिंह देवड़ा का आकस्मिक निधन | नशा मुक्ति जागरूकता रैली का आयोजन, निकली गई रैली | आरसीबी की जीत के बाद रजत पाटीदार ने आचार्य देवेंद्र शास्त्री का लिया आशीर्वाद | पीहर पक्ष के साथ लोटी कनक, सुसराल वालो पर करवाया प्रताड़ना का मामला दर्ज |

देश में राजनीतिक दलों की स्थिति मतलब हमाम में सब नंगे
09, May 2024 1 year ago

image

दल-बदल, ब्लेक मेलिंग, खरीद-फरोख्त पर आकर टिक गई राजनीति

खतरे में लोकतंत्र, खुले आम उड़ाई जा रही धज्जियां

माही की गूंज, झाबुआ।

  वैसे तो हिंदुस्तान की राजनीति अब किसी से छुपी या दबी नहीं रही है। राजनीति में हर वह हथकंडा अपनाया जा रहा है जो शायद अपनाया नहीं जाना चाहिए था। मगर यहां अब लोकतंत्र की हत्या को गर्वोक्ति समझा जाने लगा है। इसलिए देश के लोकतंत्र में राजनीति की गलियों में ईमानदारी की कामना करना बेमानी ही होगा। जिस तरह की राजनीति आज के दौर में देखने को मिल रही है वह बहुत ही भयावह दिखाई पड़ रही है। राजनीतिक दलों ने अपनी सारी की सारी मर्यादाएं छिन्न-भिन्न कर के रख दी है। हर वह काम जायज समझ कर किया जा रहा है जो नाकाबिले बर्दास्त है। भाषाई मर्यादा तो बहुत पहले ही राजनीति से गायब हो चुकी है। अब तो सिर्फ शारीरिक नंगाई ही बाकी दिखाई दे रही है। इसके अलावा तो राजनीतिक पार्टियों ने अपना पूरा नंगापन दिखा दिया है। राजनीति के नाम पर कई ऐसे काम किए जा रहे है जो राजनीति की अस्मित्ता को तार-तार कर रहे है।

         देश में इन दिनों लोकसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक माहौल गर्माया और आमजन शर्माया हुआ नजर आ रहा है। हर कोई राजनीति के इस स्तर को झूकी और शर्मिंदगी भरी निगाहों से देख रहा है। मगर आवाज उठाने में हर कोई लाचार नजर आ रहा है। मीडिया सत्ता को धोग दे रही है तो वहीं कुछ कलम के सिपाही मुखर होकर अपनी बात आमजन तक पहुंचा रहे है। मगर इनकी आवाज को भी सत्ता निगल लेना चाहती है। प्रशासन, पार्टी एजेंट की तरह काम पर लगा हुआ है। तो पार्टी कार्यकर्ता अपने आपको पीएम, सीएम से कम नहीं आंक रहे है। सत्ता के ईशारों पर नाचने वाली प्रशासन रूपी नचनिया इस तरह नाच रही है कि घुंघरू टूट जाए। निर्वाचन आयोग भी  लग रहे आरोपो के साथ अब शक के घेरे में है और सरकार का एजेंट माना जा रहा है। देश के हालात अब लोकतंत्र और राजनीति को लेकर बहुत ज्यादा बिगड़ते दिखाई दे रहे है। केंद्र में बैठी सरकार अब सब कुछ अपने हिसाब से करना चाहती है। विपक्ष को पूरी तरह से खत्म करने पर आमदा है। जो राजनीतिक दल सत्ता के खिलाफ हुंकार भरता है उसके नेता और लीडर बेवजह ही जेलों में ठूंस दिए जाते है। विपक्ष के नेता सत्ताधारियों से अपनी जान छुड़ाने खुद उनके साथ हो जाते है। सरकारी एजेंसियो का दुरूपयोग खुलकर हो रहा है, ये सरकारी एजेंसियां बिना किसी तथ्य और सबूत के बेलगाम घोड़े की तरह सत्ता के ईशारों पर दौड़ रही है के भी आरोप है। राजनीति अब दल-बदल, ब्लेक मेलिंग, खरीद-फरोख्त पर आकर टिक गई है। सत्ताधारी दल ने पूरे लोकतंत्र को चिढ़ाते हुए अपनी उटपटांग हरकतें शुरू कर दी है। विपक्षी दल के नेताओं को येन-केन प्रकारेण शाम, दाम, दंड, भेद अपना कर अपने साथ मिलाया जा रहा है। जैसा कि अब तक प्रचलित हो चुका है कि, सत्ताधारी दल यानी वॉशिंग मशीन। अगर आप सत्ताधारी दल के साथ हो लिए तो समझो आपके सारे गुनाह धुल जाएंगे। इसके कई उदाहरण पूरे देश में भरे पड़े है, लेकिन सत्ताधारी दल इसे सिरे से नकारता ही नजर आ रहा है मगर यह पब्लिक है सब जानती है...

          सूरत और इंदौर कांड ने सबको हिलाकर रख दिया है। इन दो जगहों पर खुलकर ओछी राजनीति देखने को मिली है। जहां विपक्ष को पूरी तरह से मिटाने की कोशिशें की गई है। बिना चुनाव के सत्ताधारी दल ने ऐसा खेल खेला कि विपक्ष को चारों खाने चित कर इन सीटों पर अपना कब्जा येन-केन प्रकारेण बना ही लिया। देश में चुनाव के पहले ही 543 मे से दो सीटें कब्जा ली गई। हालांकि ये कोई बड़ा आंकड़ा नहीं है। मगर इससे राजनीति का स्तर मापना आमजन के लिए आसान हो गया है। वैसे भी विपक्ष हमेशा सत्ता पर कई तरह के सवाल दागता आया है। चाहे एवीएम हेकिंग की बात हो या माफियाओं, गुंडों को संरक्षण देने या फिर देश के धन्नाओं को सरकार द्वारा दिए जा रहे सहयोग की, देश की सम्पत्ती बैचने और देश को बरबाद करने की। विपक्ष हमेशा से ही इन आरोपों को सत्ता पर लगाता आया है। मगर सत्ताधारी दल की बहुमत वाली सरकार ने किसी को भी अपनी गिनती में नहीं लिया।

          देश के राजनीतिक हालात ऐसे बन गए है कि, लोकतंत्र खतरे में आकर खड़ा हो गया है! खुलेआम लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई जा रही है। विपक्ष को इतना कमजोर कर दिया गया है कि वह अब सिर्फ देश की आमजनता से आस लगाए बैठा है। बाकी उसके हाथ में शायद कुछ है ही नहीं। हालात ऐसे हो गए है कि अब एक क्षत्र राज दिखाई देने लगा है। लोकतंत्र की आवश्यकता गौण दिखाई पड़ रही है। देश की राजनीतिक स्थिति मानों हमाम में सब नंगे की तरह दिखाई पड़ रही है।


माही की गूंज समाचार पत्र एवं न्यूज़ पोर्टल की एजेंसी, समाचार व विज्ञापन के लिए संपर्क करे... मो. 9589882798 |