माही की गूंज, झाबुआ।
देश भक्ति जनसेवा का नारा लगाने वाली पुलिस कैसे धनभक्ति में लीन होकर रसूखदार आरोपियों को छोड़ देती है इसका उदाहरण काकनवानी थाना क्षेत्र में प्रवीण सोनी के यहां से चोरी हुई चांदी के मामले में सामने आया। उक्त चोरी हुई चांदी की खरीदी के मामले में मेघनगर के एक नकली समाजसेवी ज्वेलर्स व्यापारी को काकनवानी पुलिस द्वारा बिना आरोपी बनाए आर्थिक लाभ प्राप्त कर सांठगांठ की और छोड़ देना दर्शाता है कि, पुलिस के ऐसे कृत्य लगातार जनता की नजर में पुलिस की छवि धूमिल कर रहें हैं। चोरी के माल खरीदी के आरोपी को छोड़ने का ये कृत्य लगातार सोशल मीडिया प्लेटफार्म की भी सुर्खियां बना हुआ है। इस तथाकथित समाजसेवी ज्वेलर्स को पहले भी महाराष्ट्र की पुलिस, महाराष्ट्र में हुई डकैती के सोने को खरीदने के आरोप में आरोपित की निशानदेही पर पकडने आई थी मगर उस वक्त भी इसने पुलिस के साथ आर्थिक सांठगांठ कर ली थी और बच निकला था। चोरी और लूट का माल खरीदने वाले मेघनगर के इस जाने-माने ज्वेलेरी व्यापारी को कई बार विभिन्न राज्यों की पुलिस अपनी गिरफ्त में लेने तो आई मगर यह व्यापारी हर बार अपने आर्थिक रसूख के दम पर कानून के लंबे हाथों से बच निकलता रहा और फिर ये हर बार की तरह चोरी और लूट का सोना-चांदी की रकमे खरीदी के कार्यों में लिप्त हो जाता है। चोरी और लूट का करोड़ों का माल खरीद कर एक-दो कार्यक्रम कर समाजसेवी का चोला ओढ़ लेता हैं। मतलब जनता की आंखे छीनकर उन्हें चश्मे दान करने का पाखंड करने लगता है। पुलिस द्वारा सलिप्त आरोपियो को बीना आरोपी बनाए अपराधियों को छोड़ देने के कृत्यों की वजह से लगातार अपराधी और अपराधों में वृद्धि हो रही है और आम जनता भय में जीने को मजबूर है। झाबुआ जिले सहित मेघनगर में चोरी, लूट, डकैती का माल खरीदने वालों की भरमार है। मगर हर बार ये लोग मोटी रकम देकर आर्थिक सांठगाठ कर बच निकलते हैं। जिससे चोरी का माल खरीदने वाले इन लोगों और चोरों-लुटेरों के हौसले दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे हैं ।
क्या था घटना क्रम और कैसे करती है पुलिस जांच में खेल
कुछ दिनों पूर्व काकनवानी में सोने-चांदी का व्यवसाय करने वाले प्रवीण सोनी की दुकान से 500 ग्राम की लगभग चांदी चोरी हुई थी। इस चोरी में जिस आरोपी को पुलिस ने पकड़ा था उसने चुराई चांदी को मेघनगर के एक नामचीन ज्वेलेरी व्यापारी को बेचना बताया था। जिसके बाद काकनवानी पुलिस ने 25 अप्रैल को उक्त ज्वेलर्स को बुलाया था, जहा घंटों चली भांजगाड़ी के बाद देर रात उक्त ज्वेलर्स को धारा 411(चोरी का माल खरीदने)का आरोपी नही बनाया और मुख्य आरोपी से ही चांदी जप्ति दिखाकर गांधीछाप की कई गड्डी लेकर मामला सैटल कर लिया गया। जबकि कानूनी प्रक्रिया अनुसार पुलिस इस ज्वेलर्स को धारा 411 का आरोपी बनाकर न्यायालय से रिमांड मांग कर गहन पूछताछ करती तो कई अन्य चोरियों, लूट और डकैती के माल खरीदने का खुलासा कर सकती थी और जनता को भी उनके लूटे, चुराए गए समान की वापसी हो सकती थी। मगर पुलिस का गरीबों के लिए अलग कानून है और ऐसे रसूखदार अपराधियों के लिए अलग कानून है। अब देखना हैं आगे क्या होता है, इस पूरे मामले की पुलिस अधीक्षक जांच करवाकर चोरी खरिदी वाले ढोंगी समाजसेवी के साथ जिम्मेदार सभी अधिकारियों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई करते हुए इस रसूखदार ज्वेलर्स को चोरी का माल खारदीने का आरोपी बनवाकर कानून का रूतबा बुलंद करते हैं या इसके रसूख और पैसों के आगे हर बार की तरह न्याय और कानून आत्मसमर्पण कर देता है।