
गौ-माता के हत्यारों को फांसी देने की मांग करने वाले भाजपा के साथ हिंदू संगठन का मोन होना भी कई सवाल कर रहा खड़े
माही की गूंज, खवासा।
गाय को मां का दर्जा दिया गया है, इसी लिए हम गाय को गौ-माता कहते हैं और गाय की रक्षा के लिए भाजपा के साथ कई हिंदू संगठनों ने अपने मोर्चे खोलें। यहां तक कि, गौ-माता के हत्यारों को फांसी तक देने की मांग कर चुके है। लेकिन उसके बावजूद भी जिले में अपनी मां कही जाने वाली गौ-माता की हत्या कर उसका सेवन करने वाले अपने आप को राक्षस प्रवृत्ति का होना तो सिद्ध कर ही रहे हैं, परंतु गौ-माता की हत्या करने व उसका सेवन करने की रिपोर्ट पुलिस चौकी व थाने तक पहुंचती है, तो भी पुलिस मामले को रफा-दफा करने का पूरा मौका भांजगड़ी कर करने को कहती है। वही मामला भाजपा से लेकर हिंदू संगठन का नेतृत्व करने वाले तक भी पहुंचता है पर वह भी अपनी चुप्पी साध लेते हैं, ऐसे में गौ रक्षा की बात करना ही शायद बेईमानी ही नजर आती है।
गाय की चोरी कर मौत के घाट उतारकर सगे भाई के साथ 5 जनों ने गौ मांस का किया बटवारा
मामला खवासा चौकी के अंतर्गत ग्राम पंचायत परवाड़ा का है, जहां उकाला फलिए का निवासी टीटा पिता भुरजी जाति देवदा के घर में बंदी गाय को बुधवार-गुरुवार की मध्य रात्रि में चोरी की गई। अपनी चोरी हुई गाय को ढूंढने के लिए टीटा फलिए के घर-घर में पूछने गया कि, किसी ने मेरी गाय को देखा है क्या...? इसी बीच टीटा के परिवार का ही एक सदस्य मुकेश पिता देवचंद्र देवदा के घर पहुंचा तो वहां मुकेश भोजन कर रहा था और अपने भोजन में गाय के मांस का सेवन कर रहा था, जिसे देख टीटा अचंभित तो हुआ, लेकिन मामले का खुलासा करने हेतु सय्यमीत हुआ और सजगता से टीटा ने पूछा मुकेश गाय का यह मटन कहां से लेकर आया, जिस पर मुकेश ने लक्ष्मण पिता दोला देवदा का नाम लिया। टीटा, लक्ष्मण के घर पहुंचा और गाय के मांस के बारे में पूछा जिस पर टीटा को भी गाय का मांस देने के लिए लक्ष्मण तैयार हो गया। टीटा ने थेली में प्रूफ के बतौर लक्ष्मण से गाय का मांस लिया और उसके बाद लक्ष्मण को कहा कहीं तुमने ही रात में मेरी गाय को चुराकर उसकी हत्या कर वही मांस मुझे दे रहे हो सही-सही बता दो। जिस पर लक्ष्मण ने टीटा के घर से गाय चोरी करना कबूल किया और टीटा को आश्वस्त किया कि, गाय के रुपये तुझे दे, देंगे, यह मामला यहीं खत्म कर दे। लेकिन टीटा लक्ष्मण के द्वारा गाय का मांस दिया हुआ मय प्रूफ के साथ गौ-माता के हत्यारों के विरुद्ध प्रथम रिपोर्ट दर्ज करवाने हेतु लिखित रिपोर्ट के साथ प्रूफ के रूप में गाय के मांस से भरी थेली भी पुलिस के सुप्रुत की। पुलिस ने गौ हत्यारों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की। 3 दिन बाद शनिवार को बिना रिपोर्ट दर्ज ही लक्ष्मण को पुलिस पकड़ कर खवासा पुलिस चौकी ले आई और पूछताछ में लक्ष्मण ने खुलासा किया कि, गाय चोरी से लेकर उसकी हत्या व गौ-मांस के बंटवारे तक में उसका सगा भाई भवर सिंह भुरजी देवदा के साथ मुकेश देवचंद्र देवदा, कमल दोलसिंग मेडा, गलियां पिता झिता डामर भी साथ थे और पांचों ने गौ मांस का बंटवारा किया का पूरा खुलासा पुलिस के सामने हो गया।
भांजगड़ी कर मामले को निपटाने के आदेश दिए खवासा पुलिस ने
गाय की चोरी से लेकर उसकी हत्या व उसमें सम्मिलित व्यक्ति जिन्होंने गौ मांस का आपसी में बंटवारा किया का खुलासा होने के बाद, जनसेवा देशभक्ति की बात करने वाली पुलिस को गौ-माता के हत्यारों के विरुद्ध सूचना रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद तत्काल मामला दर्ज करना था। परंतु अपने निजी स्वार्थ के लिए आरोपियों के साथ टीटा को भांजगड़ी कर मामले को रफा-दफा करने के आदेश दिए और गौ-माता के हत्यारों ने टीटा के न चाहने के बाद भी पुलिस के कहने पर भांजगड़ी कर आपसी समझौता करने पर मजबूर होना पड़ा। वही गांव के कुछ लोग भी उक्त मामले में गौ-माता के हत्यारों के विरुद्ध कार्रवाई करने की जिद पर अडे रहे थे।
जिस संबंध में गौतम पिता कलजी डामर ने माही की गूंज को बताया कि, टीटा के साथ हम सब थे और टीटा की रिपोर्ट के बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की, खवासा पुलिस मामले को रफा-दफा करने के लिए आपसी में भांजगड़ी कर लो की बात करती रही। जिस पर मेरे द्वारा चौकी प्रभारी गणावा जी को कहा कि, आपको जो रिपोर्ट दी है वह मुझे दिखाओ, मैं उसका फोटो मोबाइल में लेना चाहता हूं। जिस पर चौकी प्रभारी गणावा आवेश में आ गए और मेरे साथ मां-बहन कर मुझे चौकी से बाहर निकलने की बात कह दी।
पुलिस से गूंज प्रतिनिधी ने उक्त मामले की जानकारी ली तो, चौकी प्रभारी गणावा ने बताया कि, बात सही है कि, टीटा की गाय चोरी कर उसके सगे भाई के साथ 5 जनों ने गाय को मारकर मांस के बटवारे की उक्त हरकत की है पर ये आपसी भांजगड़ी कर रहे हैं।
थांदला एसडीओपी श्री गवली से भी इस संबंध में चर्चा की कि, खवासा पुलिस ही एफआईआर दर्ज करने के बजाए भांजगड़ी कर गौ हत्या जैसे मामले को निपटाने की बात कर रही है। जिस पर खिसयानी बिल्ली की तर्ज पर गवली साहब से भी कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिला।
पुलिस द्वारा गौ हत्यारों को इस तरह से दिए संरक्षण के साथ उक्त पूरे मामले की जानकारी भाजपाइयों के साथ हिंदू संगठनों के पास भी पहुंची पर उनके भी मौन के साथ गौ हत्यारे बाहर घूम रहे हैं और ऐसे में क्षेत्र में गौ रक्षा करने की बात बेईमानी ही साबित होगी और गौ हत्या के मामले आगे भी आने की संभावना है यह पुलिस व हिंदू संगठनों ने सुनिश्चित कर दिया है।
गौ-माता पूछ रही मेरी रक्षा करने की बात करने वाले ही क्यो गौ हत्यारो को दे रहे सरक्षण...?