जिमेदार अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान, जिला कलेक्टर से बंधी ग्रामीणों की आस
माही की गूंज, भामल।
शासकीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार तो सरकार द्वारा किया जाता है तो साथ ही ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ देने का भी ढिंढोरा पीटा जाता है। लेकिन जब कार्य पूर्ण होने के बाद भी अगर ग्रामीणों को योजना का पैसा न मिले तो इसे आप क्या कहेंगे...?
कुछ ऐसे ही मामले थांदला जनपद की ग्राम पंचायत रनी में सामने आए है। जहां कलालिया खाली फलिए में 2 पशु शेड का निर्माण होना था जहां ग्रामीणों ने पशु शेड तो बना दिए लेकिन उनका भुगतान आज दिनांक तक नहीं हो पाया है।
ग्रामीणों ने बताया कि, हमने कर्ज लेकर पशु शेड का निर्माण किया है लेकिन उसका भुगतान हमे अभी तक नही मिला। जिम्मेदारों को भी अवगत कराने के बाद भी हमारी ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया। हम ग्राम पंचायत से लेकर थांदला जनपद के अधिकारियों तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन फिर भी हमारी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। हमने जिनसे कर्ज लिया है वह हमें परेशान करने से भी नहीं चूक रहे हैं। अगर ऐसे ही शासन की योजना को धरातल पर लाभ देना था ओर समय पर पैसा भी नही देना था तो हमे गुमराह क्यो किया। हमें काफी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। हमने ग्राम पंचायत के सचिव से लेकर इंजीनियर तक को भी अवगत करवाया लेकिन बस वहां भी हमे आश्वासन दिया गया कि, आपका पैसा बहुत जल्दी मिल जाएगा लेकिम पैसा मिला ही नही।
ग्रामीण तोलिया पिता हवजी जाती कटारा, बाबू पिता राद्दु जाती मालीवाड़ा दोनों को पशु शेड का निर्माण किया है लेकिन अभी तक इनको भुगतान ही नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया कि, हमें जॉब कार्ड के माध्यम दोनो को 8 हजार ही मिल पाए जबकि सरकार की तरफ से हमको पशु शेड एक लाख दो हजार का भुगतान होना है, लेकिन अभी तक हम दोनो हितग्रहियों को आठ हजार ही मनरेगा से मिला है। उसके बाद से नो माह हो गए लेकिन बाकी का भुकतान ही नही हुआ है।