परिजनों ने लगाए आरोप-पुलिस के सामने दबाव के चलते युवक ने कीटनाशक पीकर दी जान
माही की गूंज, खवासा
जिले में जर, जोरू व जमीन के ऐसे विवाद हैं कि विवादों में एक-दूसरे को काटते और मरते भी देखा गया है। पर समय के साथ ऐसे विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
खवासा के समीपस्थ ग्राम पंचायत नरसिंगपाड़ा के निवासी भुंडा गणावा (60) की दो पत्नी है। बड़ी पत्नी भूला के 3 पुत्र तेरु, गुड्डू व राहुल तो वहीं छोटी पत्नी गोबरी के 2 पुत्र लक्ष्मण व कमलेश है। जानकारी अनुसार भुंडा ने छोटी पत्नी गोबरी से विवाह के बाद गांव के लोगों के मध्य संपत्ति का बटवारा दोनों पत्नी के मध्य किया था। जिसमें दोनों पत्नी को कितने भी पुत्र हो पर उसका हिस्सा उसकी मां के हिस्से में आए हिस्से में रहेगा। लंबा समय बीतने के बाद बड़ी पत्नी व उसके पुत्र व पिता की ओर से फिर से हिस्से को लेकर परिवार में चर्चा चली और दो पत्नी के बजाए पांच पुत्रों में हिस्सा हो जिस पर पारिवारिक विवाद चले। यानि बड़ी पत्नी के 3 पुत्र व छोटी पत्नी के 2 पुत्र होने के कारण छोटी पत्नी के हिस्से में दी गई जमीन का एक हिस्सा बड़ी पत्नी के पुत्र को देने की बात हुई, पर छोटी पत्नी गोबरी इस बात से अड़ी रही कि जो पूर्व में पति भुंडा ने दोनों पत्नी को कितने भी पुत्र हो पुत्र को मां के हिस्से में से ही बंटवारा होगा, इसलिए छोटी पत्नी किसी भी स्थिति में हिस्सा देने के लिए राजी नहीं हुई।
जानकारी अनुसार भुंडा ने बड़ी पत्नी के पुत्र तेरु के साथ छोटी पत्नी की कोख से जन्मे अपने ही पुत्र लक्ष्मण पर दबाव बनाने हेतु पुलिस चौकी में एक आवेदन दिया। पुलिस भी आपसी पारिवारिक विवाद में पंचायत के एक जनप्रतिनिधि के इशारे पर लक्ष्मण को लेने तेजपुरा पहुंच गई। घर पर लक्ष्मण नहीं मिला पर मां, पत्नी व उसकी छोटी बेटी मोनू मिली। पुलिस ने पुलिसिया पावर महिलाओं पर दिखाया तो लक्ष्मण की पुत्री ने कहा कि, मेरे पिता ने कोई गुनाह नहीं किया है, वह खवासा ही मजदूरी करने गया है। पुलिस को कही यह बात रास नहीं आई तो पुलिस ने लक्ष्मण की बेटी को ही दो झापड़ लगाने की बात कह दी। पुलिस के जाने के बाद मोनू ने अपने पिता को फोन कर पुलिस की पूरी हकीकत बताई। जिस पर लक्ष्मण 1 घंटे में ही घर पहुंच गया और लक्ष्मण के घर पहुंचने के कुछ देर बाद ही संख्या बल बढ़ाकर पांच पुलिसकर्मी फिर से बिना किसी एफआईआर के ही गिरफ्तार करने की मंशा से लक्ष्मण के घर पहुंच गए। प्रधान आरक्षक व एएसआई ने पुलिस की गाड़ी में बैठ चलने का दबाव लक्ष्मण पर बनाया। जिस पर लक्ष्मण, मेरा ऐसा क्या गुनाह है जो मैं पुलिस चौकी पर आऊं और पुलिस के साथ हुई कहासुनी के साथ ही पुलिस के दबाव के कारण लक्ष्मण घर के अंदर गया और कीटनाशक दवाई लाकर पुलिस के सामने ही पी गया। मौके पर उपस्थित पुलिस उसे कीटनाशक दवाई पीने से भी नहीं रोक पाई, पर आनन-फानन में पुलिस हरकत में आ गई और लक्ष्मण को खवासा अस्पताल लेकर आई। खवासा से पेटलावद ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान लक्ष्मण (35) की मौत हो गई।
गूंज ने तेजपुरा जाकर हकीकत जानी तो, उक्त पूरा मामला मृतक लक्ष्मण के छोटे भाई कमलेश, मां गोबरी व बेटी मोनू ने बताया। उन्होंने कहा कि, परिवार व पुलिस के दबाव के कारण ही लक्ष्मण ने अपनी जान ले ली है। जब पूर्व में दो पत्नियों के बीच हिस्से हो गए थे तो वर्षो बाद फिर नए हिस्से की बात कहां से आई और बिना किसी अपराध व एफआईआर के पुलिस ने लक्ष्मण पर इतना दबाव क्यों बनाया कि, उसको आत्महत्या करनी पड़ी? आरोपों के साथ ही पीड़ित परिवार व बेहाल लक्ष्मण की पत्नी कमला ने मांग की है कि, लक्ष्मण की मौत में तेरु, भुंडा एवं परिवार के साथ पुलिस के विरुद्ध भी जांच की जाए। जिन्होंने उसे आत्महत्या करने पर मजबूर किया गया है। उनके विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए।
इस संबंध में चौकी प्रभारी महावीर वर्मा ने बताया कि, लक्ष्मण के पिता भुंडा ने ही चौकी में आवेदन दिया था। जिस पर पुलिस गई थी। कीटनाशक पीने के बाद पुलिस ही लक्ष्मण को खवासा लेकर आई। यह सही है। यह भी सही है कि, लक्ष्मण के विरुद्ध कोई एफआईआर नहीं हुई थी, पर जांच हेतु लेने गए थे।
मृतक का भाई कमलेश मृतक की बेहाल पत्नी
मृतिक की पुत्री मोनू मृतक की माँ गोबरी