पुलिस ने 15 हजार रूपए लेकर बत्तमीजी करने वालो को भी कर दिया रिहा
पत्रकार को चौकी प्रभारी के साथ एक शराबी पुलिसकर्मी ने भी कार्रवाई करने का दिया था हवाला, पर नहीं की कोई कार्रवाई
माही की गूंज, खवासा।
खवासा पुलिस शायद अपनी सभी मान-मर्यादा को पैसो का ही दास बनकर खो रही है। बता दे, पिछले दिनों नारेला में एक बारात की कार को भामल संस्था में भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुके चैनसिंह राठौर के पुत्र ईश्वर पिता चैनसिंह राठौर व साथी लोकेश पिता रमेश प्रजापत निवासी नारेला ने अपनी तूफान जीप से शराब के नशे में धुत होकर टक्कर मार दी। टक्कर मारने के बाद अपनी गलती मानने की बजाए अपने भ्रष्ट पिता की तर्ज पर चलकर अपनी मुछां पर ताव देकर अपनी राठौरी बताकर ईश्वर व उसका साथी रमेश ऐसी दादागिरी करने लगे कि, रात में गांव का मोहल्ला ही बिगाड़कर नारेला शांतिप्रिय गांव को अशांति में तब्दिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
बात बहुत ज्यादा बिगड़ने पर देर रात्रि कुछ लोगों ने ईश्वर व रमेश द्वारा की जा रही दादागिरी व मारपीट की सूचना खवासा पुलिस चौकी को दी। खवासा पुलिस मौके पर पहुंची और ईश्वर व उसके साथी रमेश को समझाने का प्रयास किया तो, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दोनों शराबियों ने अपनी राठौरी दिखाकर पुलिस के साथ ही बत्तमीजी कर हाथापाई जैसी स्थिति कर दी।
पुलिस ने चौकी पर खुले में लाइट बंद कर मार-मारकर किया अपना गुस्सा शांत
पुलिस के साथ सार्वजनिक रूप से हुई बत्तमीजी व हाथापाई होने पर बात रास नहीं आई तो, दोनों को अपने काबू में लेकर तूफान जीप व बाराती की कार को खवासा चौक ले आई और चौकी के बाहर की लाईट बंद कर अपने कमर से पट्टा निकालकर कुत्तो की तरह पुलिस ने अपना गुस्सा उतारकर, ईश्वर व रमेश को पीटा। वहीं इस पिटाई में लाइट बंद होने के कारण पास में खड़े अपने ही पुलिसकर्मी पर भी पट्टे लगने से लाईट चालू कर पीटा। तो वहीं राहगीर उक्त पुलिस की पिटाई को देखने रुके तो उन्हें गुस्साई पुलिस ने फटकार लगाकर रवाना किया कि, तुमको भी खाना हो तो यहां खड़े रहो। जिस पर चलते राहगीर भी रवाना हो गए और पुलिस ने दोनों को मार-मारकर अपना गुस्सा शांत किया।
जब बात माही की गूंज तक पहुंची तो, जानकारी लेने हेतु प्रतिनिधि चौकी पर पहुंचा तो खवासा चौकी प्रभारी रज्जनसिंह गणावा ने माही की गूंज को जानकारी देते हुए बताया कि, ईश्वर व रमेश दोनों को चौकी के बंदीगृह में डाल रखा है, बारातियों के साथ दोनों ने विवाद किया और गाड़ी को भी नुकसान पहुंचाया। पुलिस को सूचना मिलने पर मौके पर पुलिस पहुंची तो हमारे पाटीदार साहब के साथ बत्तमीजी की गई है, जिनके खिलाफ अपराध दर्ज होगा, जांच एएसआई केके तिवारी कर रहे है।
जब प्रतिनिधि ने तिवारी साहब से बात की तो बताया कि, दोनों के फोटो बंदीगृह से बाहर निकालने के बाद खींचकर आपको व्हाट्सएप पर दे देंगे। बाराती कार मालिक शादी समारोह खत्म कर आने वाले है, उनके आने के बाद एफआईआर दर्ज की जावेगी। जिसके बाद फोटो के साथ पूरी जानकारी आपको देने के बाद ही आप समाचार प्रकाशित करना।
लेकिन पैसे के आगे अपनी सभी मान-मर्यादा व प्रतिष्ठा बेच चुकी खवासा पुलिस ने अन्य मामले की तरह इसमें भी लेन-देन कर आरोपितो को छोड़ दिया।
सूत्र की पुख्ता जानकारी अनुसार भामल निवासी एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी ने समाजवाद का हवाला देकर चैनसिंह के पुत्र को बिना मामला दर्ज किए मामले को रफा-दफा करने के लिए जोड़-तोड़ की, जिसमें कार मालिक के साथ समझौता किया। वहीं पुलिस ने भी अपनी गई प्रतिष्ठा को रात में ही उन्हें मार-मार कर पुरी कर दूसरे दिन गांधी छाप लेकर अपने जमीर को बेच रिटायर्ड पुलिसकर्मी की भांजगड़ी के साथ समझौता कर लिया।
मामला निपटने के बाद भांजगड़ी करने वाला रिटायर्ड पुलिसकर्मी ही स्वयं भामल में जाकर पुलिस से की पूरी भांजगड़ी की गाथा लोगों के समक्ष सुना दी कि, किस तरह से खवासा पुलिस को मामला रफा-दफा करने के लिए 15 हजार रूपए दिए और चैनसिंह के लड़के ईश्वर व उसके साथी रमेश को मात्र धारा 151 करवाकर मामले को रफा-दफा करवाया।
उक्त मामला ले-देकर रफा-दफा कर खिसयानी बिल्ली की तरह पत्रकार को कार मालिक ने रिपोर्ट नहीं की इसलिए कोई मामला दर्ज नहीं किया का हवाला देकर अपनी इतिश्री करती नजर आई।