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जल जीवन मिशन के तहत स्कूल एवं आंगनवाड़ी में लगाई जा रही है गुणवत्ता विहीन
प्लास्टिक की घटिया टंकी ,नल और पाइप लाइन रहेंगे कुछ दिन के मेहमान
माही की गूंज, भामल
सरकार अपनी और सरकारी तंत्र को कितना भी मजबूत कर सुविधा देने का प्रयास करे लेकिन बिचोलिये, दलाल, ठेकेदार और कमीशनखोर अधिकारी मिल कर सरकार की मंशा पर पानी फेर कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। शासन की और से स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्रों पर लग रही पानी की टंकी में सामान घटिया किस्म के लगाए जा रहै और फिटिंग का कार्य गुणवत्ता विहीन कार्य किया जा रहा है। प्रदेश सरकार करोड़ो रुपए की विभिन्न कार्य की योजना बनाई जाती है, लेकिन धरातल पर अधिकारी कागजो पर सब हरा-हरा ही दिखा रहे है, निर्माण एजेंसी पीएचई विभाग की जिम्मेदार द्वारा इस और कोई ध्यान नही दिया जा रहा है, प्रदेश सरकार ने जल जीवन जल मिशन के तहत पानी उपलब्ध करवाने का दावा कर योजना के मुताबिक खर्च भी कर रही है, लेकिन कार्य को देख कर लगता नही की इस योजना में हुए खर्च का लाभ जिनके लिए किया गया उनको लम्बे समय तक मिल पाएगा। जल जीवन जल मिशन के तहत स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्रों में भी पीने के पानी की और मिड डे मील बनाने और हाथ धोने, शौचालय में इस्तेमाल के लिए जल आपूर्ति प्रदान करने के उद्देश्य से कार्य शुरू किया गया, जिसकी निवेदिता प्रक्रियाओं केंद्र के माध्यम से गुजरात की किसी फर्म एलएल कंस्ट्रक्शन का ठेका जिले में हुआ है, जिसने पेटी-पेटी ठेकेदार पद्धति से सभी जगह प्लास्टिक की टंकी आंगनवाड़ी एवं स्कूलों में लगाई जा रही है। जानकारी के अनुसार पूर्व में सर्वे के अनुसार जहां आंगनवाड़ी एवं स्कूल के समीप हेडपंप है वहां एक हॉर्स पावर की मोटर एवं अन्य पाइप से नल फिटिंग बेसिंग भी लगाए जा रहे हैं, जिसकी निर्माण एजेंसी पीएचई के माध्यम से ठेकेदार के माध्यम से कार्य करवाया जा रहा है, उक्त कार्य की गुणवत्ता की बात की जाए तो इस कार्य में अभी से ही निम्न व घटिया सामग्री के उपयोग की शिकायतें सामने आने लगी है, कुछ ऐसा ही झाबुआ जिले में चल रहा है जिसकी पीएचई विभाग की निगरानी में ठेकेदार द्वारा चयनित आंगनवाड़ी स्कूलों में एक प्लास्टिक की टंकी के साथ ही नल फिटिंग, बेसिंग आदि सुविधाएं ठेकेदार के माध्यम से लगाई जा रही है, ठेकेदार द्वारा कई स्कूलों में तू चल मैं आया की तर्ज पर घटिया सामग्री का उपयोग करके सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है और कार्य पूर्ण बताकर भारी भरकम बिल लगाकर राशि निकालने का खेल भी जोरों पर खेला जा रहा है। अगर वो ठेकेदार द्वारा किए कार्य की जांच की जाए तो कहीं फूटी टंकी लगा दी गई तो कई छेद वाली तो कहीं पर वाल सही नही लगाया जा रहा है। खास बात तो यह है कि जिस विभाग द्वारा लगाई जा रही है उसका इंजीनियर भी उसी समय उपस्थित नहीं रह पाता है तो साथ जानकारी रखने वाले बताते हैं कि, इंजीनियर साहब थांदला में बैठे-बैठे ही मूल्यांकन करके फाइल को रफा-दफा करते हैं, हालांकि कोरोना की वजह से भी स्कूल तो नहीं खुल रहे हैं मगर स्कूल व आगनवाडी में बेसिंग लटकते हुए आसानी से दिखाई दे रहे हैं, बताते हैं पूर्व में भी दो-तीन वर्ष पहले चयनित ग्राम की सभी मिडिल स्कूल एवं आंगनवाड़ी में इस तरह की टंकी पूर्व में भी लगाई जा चुकी है लेकिन कई जगह आज भी खण्डर स्थिति में दिखाई दे रही है, कई नल टूटे पडे हैं, प्रतिवर्ष पीएचई विभाग के माध्यम से चयनित स्कूल एवं आंगनवाड़ी केंद्रों पर इस तरह की बच्चों को पानी पीने की सुविधा उपलब्ध सरकार द्वारा करवाई जाती है जिस जिसके माध्यम से समस्त बच्चों को समुचित जल व्यवस्था की आपूर्ति की जाती है लेकिन लगता है इसमें भी कहीं ना कहीं जिम्मेदार अधिकारियों के साथ ठेकेदार की मिलीभगत उजागर कर रही है जबकि ठेकेदार द्वारा उक्त कार्य करने के लिए जो टेंडरविधि होती है, उसकी विज्ञप्ति जारी की जाती है जो नियम व शर्तें थी इसमें दर्शाए की थी उनका भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।