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धर्म पिता के समान है- आचार्य रामानुज
सिद्ध भूमि पीपलखूंटा में चल रही राम कथा में बही राम रूपी गंगा
माही की गूंज, मेघनगर
राम कथा में जन्म जन्मांतर के अपराध से मुक्ति मिलती है, जितना कथा श्रवण करने वालों को कथा का लाभ मिलता है उतना ही पुण्य कथा के संपन्न कराने वालों को प्राप्त होता है। उक्त प्रेरणादायी उदगार सिद्ध भूमि पीपलखूंटा में चल रहे राम कथा के छठवें दिन गुरुवार को व्यास पीठ से संबोधित करते हुए आचार्य रामानुज ने कही।
धर्म के नाम पर लड़ने वालों को सचेत करते हुए आचार्य ने कहा कि, धर्म पिता के समान है जो बच्चा पिता की उंगली पकड़कर चलता है वही सच्चा मानव होता है। आचार्य ने धर्म ठेकेदारों को सचेत करते हुए कहा कि, राम का सच्चा भक्त कभी अपना पिता नहीं बदलता है उन्होंने कहा कि, यदि मन में समर्पण का भाव भक्तों के मन में नहीं जगेगा तो मन में देवता के प्रति श्रद्धा व आस्था महज दिखावा साबित होगी।
नवम पाठ रामकथा के संदर्भ में पीपलखूंटा के महंत दया रामदास जी ने बताया कि, रामकथा में प्रतिदिन 25 विद्वान पंडितों द्वारा रामायण पाठ राम यज्ञ भी चल रहा है। कथा समापन पश्चात प्रतिदिन सिद्ध भूमि जमुना दास जी की गौशाला में गो पूजा आरती मां पद्मावती नदी के तट पर इकावन दीपको के साथ आरती भी की जा रही है। राम विवाह के संदर्भ पर रम्भापुर नायक समाज द्वारा भंडारा भी आयोजित किया गया। इस अवसर पर डॉ बसंत सिंह खतेडीया, नवल सिंह नायक, राम सिंह मेरावत भोजन शाला में मौजूद थे, विवाह उत्सव के लाभार्थी शांतिलाल पडियार, प्रकाश पडियार पोथी पूजन के प्रमुख यजमान घनश्याम अग्रवाल व नाथूलाल अग्रवाल ने भी पूजन कर पूज्य श्री का स्वागत किया।