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बिना चेक और ट्रायल किए पंचायत ने हैंडओवर कर ली व्यवस्था, नही पहुंच पा रहा सभी नलों तक पानी, फिल्टर भी हुआ खराब
माही की गूंज, बामनिया
कहते है अगर शाशन द्वारा दी जाने वाली राशि का उपयोग सही हाथो में नही हो तो सरकार की सुविधा देने की मंशा पर पानी फिर जाता है। ऐसा ही कुछ देखने को ग्राम पंचायत बामनिया में मिल रहा है, जहां पूर्व पंचायत, जनप्रतिनिधियों और आमजन के अथक प्रयासों से ढाई करोड़ की नल-जल योजना के अंतरगत स्वीकृती हुई थी, योजना मूर्त रूप लेती इससे पहले ग्राम पंचायत में नई बॉडी का गठन हो गया। वही आम जन को उम्मीद थी कि, पंचायत योजना का काम करने वाली एजेंसी के साथ मिल कर नगर को अच्छी सौगात देगी, लेकिन जनता के अरमानों पर पानी फिर चुका है। ढाई करोड़ की योजना महज देखने की रह गई है, नई पंचायत बॉडी का कार्यालय अपने अंतिम वर्ष में है, लेकिन इन चार सालों से अधिक के समय मे नल-जल योजना को सुचारू रूप से शुरू नही कर पाए। योजना के लिए लगाए गए प्लांट की स्थिति इतनी दयनीय है कि, ग्राम पंचायत को इतने समय के बाद भी अपनी पुरानी व्यवस्था के भरोसे ही रहना पड़ रहा है। प्लांट पर लगा फिल्टर खराब हो चुका है और नगर में बिछाई गई पाईपलाइन इतनी घटिया दर्जे की बिछाई गई कि, ग्राम पंचायत द्वारा किए गए सभी नल कनेक्शनो तक पानी ही नही पहुंच पा रहा है। गत दिनों पाईपलाइन को चेक करने के लिए फिर से खोला गया तो चौकीदार फलिए, और कल्लू बाबू वाली लाइन में पानी का सप्लाई ही नही हुआ, सभी ओर से प्रयास करने के बाद भी इन दोनों जगह पानी नही जा सका। वही ग्राम के कई वार्डो में आधे कनेक्शन तक ही पानी पहुंच रहा है, जिससे पंचायत के सामने एक साथ सभी नल कलेक्शनो तक पानी पहुचाने का संकट खड़ा हो गया, जिस कारण अब पुरानी ही व्यवस्था पर लौटना पड़ रहा है।
पंचायत ने अधूरी पाईपलाइन को ही कर ली हैंडओवर
कार्य के अनुबंध की शर्तों के मुताबिक ठेकेदार को पाईपलाइन का कार्य पूर्ण कर एक वर्ष तक मेंटेनेंस करना था, लेकिन मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत ने आधी-अधूरी योजना को बिना ट्रायल करे ही अपने हैंडओवर कर लिया। अब नल-जल योजना में हो रही खराबी की सुधारने के लिए ग्राम पंचायत को अपरिपक्व लोगो पर निर्भर होना पड़ रहा जिनके द्वारा किए जा रहे सुधार नाकाफी साबित हो रहे है।
फिल्टर खराब, मिलेगा गंदा पानी
लाड़की बैराज पर योजना को संचालित करने के लिए 15 हार्स पावर की मोटर लगा रखी है जहां से पानी कुप में और कुप से फ़िल्टर प्लांट में आता है, जहां से पानी फिल्टर होकर पानी की टंकी में जाता है और वहां से ग्राम में पानी सप्लाई किया जाता है। लेकिन योजना में लगा फिल्टर प्लांट खराब पड़ा है, जिस कारण पानी डेम से कुप तक नही लाया जा रहा है, अगर पानी बिना फिल्टर के ही गंदा पानी ग्राम में सप्लाई किया तो लोगो मे बीमारीया होने का खतरा बढ़ जाएगा।
विभाग बता रहा योजना संचालित, मौके पर सब गायब
पूरी योजना का कार्य पीएचई विभाग की देख-रेख में किया गया लेकिन विभाग द्वारा कार्य मे कोई रुचि नही ली और ठेकेदार ने मनमाने ठंग से कार्य कर इतिश्री कर ली। कार्य के उपयंत्री बामनिया का कहना है कि, नई पाईपलाइन ओर स्वीकृत करवाकर जोड़ी जाएगी।
पूरे मामले को देखा जाए तो ग्राम पंचायत और पीएचई विभाग की भारी लापरवाही के कारण नगर को मिली ढाई करोड़ की इतनी बड़ी सौगात केवल कागजो पर सिमट कर रह गई है। पीएचई विभाग को ये भी नही पता कि, योजना का संचालन नही किया जा पा रहा है और केवल योजना को टेस्ट करने के नाम पर ही विभाग ने ठेकेदार को हरी झंडी देकर भुगतान कर दिया और अब नई पाईपलाइन की बात कर शासन को चुना लगाने की नए रूप से तैयारी की जा रही।
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