ग्रामीण मंडल द्वारा जारी सूचना पर इंतजार कर निराश लौटे कार्यकर्ता
माही की गूंज, बामनिया
नवागत भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मणसिंह नायक के स्वागत का दौर चल रहा है। सोमवार को नए जिलाध्यक्ष का पेटलावद और बामनिया का दौरा था। जहा बामनिया में भाजपा कार्यकर्ता उत्साह के साथ अपने नए जिलाध्यक्ष का इंतजार कर रहे थे। ग्रामीण मंडल के पदाधिकारी के और मंडल के ग्रुप में जारी मैसेज के अनुसार कार्यकर्ता इंतजार कर रहे थे। बहुत समय में ऐसा पेहला मौका था जब जिलाध्यक्ष स्वतंत्र रूप से सांसद के साथ न होकर स्वयं कार्यकार्ताओं की बीच पहुंच रहे थे, लेकिन अंतिम समय में बामनिया का दौरा अनचाहे ढंग से बामनिया से दो किलामीटर पहले ग्राम रामपुरिया में ही समाप्त हो गया। पेटलावद से बामनिया के लिए निकले जिलाध्यक्ष को ग्राम रामपुरिया के भाजपा कार्यकर्ता एवं रामपुरिया स्थित गौशाला को संचालक और कुछ बामनिया के भाजपा नेताओं ने स्वागत के लिए रोक लिया। बातो ही बातों में ऐसी परिस्थिती निर्मित हुई बामनिया रेस्ट हाउस पर होने वाला स्वागत कार्यक्रम रामपुरिया में ही समाप्त हो गया। ग्रामीण मंडल के पदाधिकारियों ने इस बात की जानकारी ग्रुप में सार्वजनिक नहीं की और बामनिया रेस्ट हाउस पर खडे कार्यकर्ताओं में दो-चार को रामपुरिया ही बुला लिया गया। कुछ कार्यकर्ता अपने नए जिलाध्यक्ष की आगवानी के लिए वहीं खड़े रहें, लेकिन आखिर में निराश होकर लौट गए जब जानकारी मिली कि जिलाध्यक्ष रामपुरिया से ही वापस लौट गए।
गुटबाजी हावी, भ्रम को समझ नहीं पाए जिलाध्यक्ष
सबसे बड़ी चुनौती के रूप में नए जिलाध्यक्ष के समक्ष गुटबाजी से पार पाने की चुनौती होगी। जिस हालात में नए जिलाध्यक्ष बनाए गए है। उससे अध्यक्ष न बन पाने वाले नेता और अपना अध्यक्ष नहीं बैठाने का मलाल मन लिए नेता हर संभव चुनौती संगठन के साथ रह कर पेश करेंगे ये तय है। इसी का नमूना बामनिया स्वागत कार्यकम में देखने को मिला। नवागत जिलाध्यक्ष को भ्रम में डालकर कि सभी बामनिया के कार्यकर्ता यहीं उपस्थित है और बाकी को भी यहीं बुला लिया जाए, यह बोलकर बामनिया जाने से रोककर स्वागत कार्यक्रम रामपुरिया में ही निपटा दिया। जिससे बामनिया सहित आसपास के भाजपा नेता और कार्यकर्ता निराश हो गए जबकि किसी भी गुटबाजी से बचने के लिए अध्यक्ष महोदय को रामपुरिया में बिना तय कार्यक्रम के हुए स्वागत को निपटा कर बामनिया पहुंचना था। यहां रामपुरिया में मिले कम कार्यकर्ताओं के बीच सांसद समर्थक नेताओं ने अपने दिल्ली भोपाली सूत्रों तक बखान कर अपने प्रभावी होने का गैर जरूरी प्रर्दशन किया ताकि जिला संगठन में मनचाही जगह प्राप्त कर अपना दबदबा बना सके। लेकिन जिस प्रकार की नए जिलाध्यक्ष की शैली बताई जा रही है। उसके अनुसार लक्ष्मणसिंह नायक दबाव-प्रभाव की राजनीति में पड़ने वाले नहीं है, लेकिन उनको ये नहीं भुलना चाहिए कि राजनीतिक विरोधी अपना कद बढाने के लिए अपने स्तर से कितना भी गिर सकते है। ऐसी गुटबाजी वाली राजनीति से पार पाकर बैशाखी पर खडे संगठन को अपने पैरों पर खड़ा करने की बड़ी चुनौती नए भाजपा जिलाध्यक्ष के कंधों पर हैं। जिन्हें अपनी टीम में पूरा सामंजस्य बैठाकर भाजपा के ईमानदार कार्यकर्ताओं को जगह देने होगी। साथ ही व्यक्ति विशेष के समर्थकों से दूरी बनाकर रखना होगी।