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माही की गूंज, बनी
आज सुबह खेत पर पशु चराते समय सुमित पिता प्रेम गामड़ ने नीम के पेड़ से मोर को गिरता देख तत्काल अपने बड़े पिताजी प्रताप गामड़ को बताया, प्रताप ने पेड़ से नाले में गिरे हुए मोर को उठाकर गांव में लेकर आया, ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा होते देख माही की गूंज के प्रतिनिधि ने पशु चिकित्सक टोकरिया और फॉरेस्ट गार्ड महेश सोलंकी को फोन पर सूचना दी गई कुछ ही समय में पशु चिकित्सक ने मौके पर आकर मोर का प्राथमिक उपचार किया, उसके बाद फॉरेस्ट गार्ड महेश सोलंकी द्वारा पेटलावद पशु चिकित्सालय पर इलाज के लिए ले जाया गया। पशु चिकित्सक के अनुसार मोर ने कीटनाशक दवाइयों से मरे हुए कीड़े-मकोड़े खाने के कारण पाइजन का शिकार हुआ है , इस वजह से मोर उल्टी-दस्त दोनों से ग्रसित है।
ग्रामीणों की मांग - मोर का उपचार होने के बाद पुनः छोड़े बनी में
मोर प्रेमियों ने फॉरेस्ट गार्ड महेश सोलंकी से निवेदन किया कि, हमारे गांव का मोर ठीक हो जाने पर इसे पुनः हमारे गांव में ही छोड़ा जाए ताकि हमारे गांव में जो 20 से 25 मोरों का झुंड है उसमें आकर वापस रहे और अपना जीवन सुखमय व्यतीत करें फॉरेस्ट गार्ड द्वारा ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया कि, मोर के ठीक होने उसे वापिस बनी गांव में मोर के झुंड में छोड़ने का प्रयास करूंगा।