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माही की गूंज, खवासा
2020, कोरोना काल के साथ ही कही विपदाए लेकर आया और सायद यह वर्ष विपदा के नाम से इतिहास में कभी नहीं भुला जायगा। वही खवासा के लिए वर्ष के अंतिम दिन एक शुभ घडी को लेकर आ रहा है, खवासा के इतिहास में पहली बार 31 दिसंबर को बड़ी दीक्षा का आयोजन खवासा में रखा गया है, खवासा के इतिहास के लिए सदैव 2020 का यह अंतिम व शुभ दिन भी याद रहेगा। पेटलावद-जिनशासन की विरल विभूति आचार्य-प्रवर,पूज्य गुरुदेव श्री उमेशमुनिजी अणु के सुशिष्य धर्मदास गण नायक, आगम विशारद प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी म सा के मुखारविन्द से 31 संत सतीवृन्द के पावन सानिध्य में मौन एकादशमी के पावन अवसर पर मुमुक्षु सुश्री प्रिया जयंतीलालजी कांठेड़ बदनावर ने सादगीपूर्वक जैन भगवती दीक्षा अंगीकार की।
नव दीक्षिता श्री प्रणीधिजी को पुण्यपुंज महासती पूज्या श्री पुण्यशीलाजी म सा की सुशिष्या घोषित किया गया। वही खवासा के अब तक के इतिहास में पहली बार श्री प्रणीधिजी की बड़ी दीक्षा के रूप में आयोजन 31 दिसंबर को मुनि श्री के आदेश के बाद खवासा में रखा गया है।