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माही की गूंज, खवासा।
हमारे सिस्टम ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना दिया है, यह कहा जाता है। लेकिन कहते हैं कोई भी बात ऐसे ही नहीं कही जा सकती है। क्योंकि वाकई में हमारे मध्यप्रदेश में ऐसे नए-नित भ्रष्टाचार हो रहे हैं, जिसमें भ्रष्टाचार हो रहे हैं यह कहने की आवश्यकता नहीं, बल्कि निर्माण कार्य में तो भ्रष्टाचार सहज ही स्पष्ट रूप से उसकी मुंह जुबानी ही बयां कर रही है।
भ्रष्टाचार के इस शिष्टाचार रूपी सिस्टम का एक छोटा सा उदाहरण थांदला जनपद के अंतर्गत ग्राम पंचायत नारेला में हो रहे छात्रावास निर्माण में भी आकर देखा जा सकता है कि, किस तरह से भवन सुपुर्दगी के पूर्व ही यह नवनिर्माणधीन छात्रावास भवन अपनी भ्रष्टाचार की मुंह जुबानी बयां कर रहा है। बताया जाता है कि ग्राम पंचायत नारेला में लागत करीब 3 करोड़ 33 लाख से 50 सिटर कन्या छात्रावास भवन का नवनिर्माण हो रहा है।
उक्त निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन बीआईयू विभाग है तथा विभाग से टेंडर किसी अग्रवाल एंड कंपनी धार ने लिया है। खैर, उक्त छात्रावास के निर्माण कार्य की अवधि पूर्ण हो चुकी है और अब भी निर्माण कार्य अधूरा है, कहा जा रहा है। यानि कि निर्माण कार्य में ठेकेदार द्वारा लेट-लतीफी तो की ही जा रही है, लेकिन पीआईयू विभाग के इंजीनियर व बड़े अधिकारियों की मिलीभगत कहें या अनदेखी पर, जो करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए में बनने वाला यह नवनिर्माण भवन अभी जनजाति विभाग को सुपुर्दगी में नहीं किया है। उसके पूर्व ही अब तक जो निर्माण हुआ है, उक्त छात्रावास निर्माण में ही बनी दीवारें एवं भवन अपनी भ्रष्टाचार की मुंह जुबानी बयां कर रहा है, जिसमें भवन निर्माण को देखते ही पता चलता है कि, भवन में कितनी जगह अभी से दरारें आ चुकी हैं। ऐसे में ठेकेदार कार्य पूर्ण कर जब जनजाति विभाग को सुपुर्द करेगा, उसके बाद यह भवन डिस्मेंटल कार्य क्षमता कितने वर्ष की रहेगी, नहीं कहा जा सकता है।
उक्त अनियमितता पूर्ण व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा इस निर्माण को लेकर नारेला पंचायत के सरपंच बालु वसुनिया ने भी आरोप लगाया कि, ठेकेदार व अधिकारियों की मिलीभगत के चलते ही शासन की योजना को धूमिल करते हुए नारेला में बन रहे कन्या छात्रावास भवन के नवनिर्माण में जमकर अनियमितता व भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिसे हमें कहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उक्त छात्रावास के निर्माण में अब तक बनी दीवारें व निमार्ण स्वतः ही बोल रही हैं कि यहां दीवारों में दरारें व छत में भ्रष्टाचार रूपी कार्य किस निचले स्तर का किया गया है। वहीं, ग्रामीणों का भी कहना है कि, हमारे सिस्टम ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना दिया है। इसीलिए यह छात्रावास भवन अपना पूर्ण मूर्त रूप लेने के पहले ही अपने भ्रष्टाचार की कहानी लिख चुका है, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। फिर भी ग्रामीणों ने सरकार से मांग की कि, सरकार की महत्वपूर्ण योजना शिक्षा को बढ़ावा देना इसी के तहत नारेला में बनाए जा रहे उक्त कन्या छात्रावास निर्माण की जांच करें और संबंधित ठेकेदार व अधिकारी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करें तथा उक्त निर्माण में गुणवत्ता का स्वरूप दें। अब देखना है कि, शासन व प्रशासन के नुमाइंदे उक्त भ्रष्टाचार की ओर अपनी निगाहें डाल उक्त भ्रष्टाचार की जांच करवाएंगे...? या भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना दिया गया है, यह संदेश मूर्त रूप से देगे...?
निर्माणाधीन भवन, जिसे जनजाति विभाग को सुपुर्द भी नहीं किया गया है, उसके पूर्व ही छात्रावास का निर्माण भ्रष्टाचार की मुँहज़ुबानी बयाँ कर रहा है