माही की गूंज, थांदला।
जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. "अणु" के अंतेवासी शिष्य बुद्धपुत्र आगम विशारद प्रवर्तक पूज्य श्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती साध्वी पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा - 4 के सानिध्य में 65 तपस्वियों ने वरण, उड़द, आयम्बिल व निवि आदि विविध तप के माध्यम से नवपद ओलीजी की आराधना की। जानकारी देते हुए संघ सचिव प्रदीप गादिया व प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि, वीगत 9 दिनों से आराधक सम्पूर्ण जमीकंद, हरी व रात्रि भोजन त्यागते हुए दूध, दही, घी, तेल, मिठाई आदि विगय का सम्पूर्ण त्याग करते हुए केवल बफा हुआ भोजन ही ग्रहण कर क्रमशः पंच परमेष्ठी नवकार व ज्ञान-दर्शन-चारित्र-तप की आराधना कर रहे थे। नवपद ओलिजी आराधना के दौरान विराजित महासतियाजी द्वारा प्रतिदिन प्रवचन में गुरु गुणानुवाद, शांति प्रभावना व वेगा वेगा मोक्ष जाने के 23 बोलों के विवेचन के साथ नवपद ओलिजी की आराधना के लिए प्रतिदिन एक एक पद की विशेषताओं व गुणों का स्मरण करते हुए आराधकों को आराधना की विधि करवाई। सभी ओलिजी तप आरधकों के लिए आयम्बिल निवि का लाभ श्रीसंघ अध्यक्ष भरत भंसाली की माताश्री तारादेवी सुंदरलाल भंसाली परिवार द्वारा लिया गया। भंसाली परिवार ने सभी आरधकों का पारणा करवाते हुए धर्म प्रभावना भी वितरित की।