माही की गूंज, थांदला।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर अनिल राठौड़ को की जोड़ जुगाड से लंबे समय से न केवल थांदला सामुदायिक स्वास्थ्य के प्रभारी बीएमओ का चार्ज भी सम्हाल रहे थे की रवानगी शासन ने पड़ोसी जिले अलीराजपुर कर ही दी। गौरतलब ही की बीएमओ रहते स्वास्थ्य केंद्र में कई तरह के विवादास्पद मामले भी सामने आए तो राठौड़ की कार्य प्रणाली, व्यहवार से स्टाफ नर्सों का विरोध भी झेलना पड़ा था। हालाकि नर्स मामले में तत्कालीन सीएमएचओ से फेविकोल का गठजोड़ होने के चलते बीएमओ पर तनिक भीं आंच नहीं आई। बताते हे बीएमओ रहे डॉक्टर राठौड़ से अंदर खाने साथी चिकित्सक सहित स्टाफ भी खफा था। उधर जिले में नाम रोशन करने वाले क्षेत्र के एक मात्र शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर का तबादला शहडोल होने से क्षेत्र की जनता निराश थी। डॉक्टर परस्ते के तबादले के बाद से ही क्षेत्र वाशी उन्हें तबादला निरस्त करवाने की मांग किए हुए थे, किंतु पारिवारिक कारणों से डॉक्टर परस्ते ने तबादला रुकवाना मुनासिब नहीं समझा। डॉक्टर परस्ते के जाने के बाद क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्था शून्य सी हो गई थी। पूरे क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं का दारोमदार डॉक्टर भारती व डॉक्टर मनीष दुबे पर आ गया था। इनमे से किसी एक के ही अवकाश पर चले जाने से मरीजों के सामने गंभीर समस्या उत्पन्न होती थी। डाक्टर भारती गायनिक होने के चलते उन्हें थांदला के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों की जवाबदारी दिए जाने से अपना पूरा समय थांदला को नही दे पा रहे हे। अब जब एक बार पुनः डॉक्टर कमलेश परस्ते की वापसी हुई तो निश्चित हीं क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आएगा।