माही की गूंज, पेटलावद/ अमरगढ़।
कोरोना काल के बाद वृक्षो की अहमियत किसी से छुपी नही है वही सरकार हमेशा ही आमजन को विभिन्न तरीकों से पौधरोपण के लिए प्रोत्साहित करती रहती है। ऐसे में यदि कोई अंधाधुंध पेड़ो की कटाई कर दे और उसकी खबर वन विभाग के साथ पंचायत प्रशासन को भी न हो तो स्थति बहुत ही दयनीय हो सकती है। साथ ही यह भी उजागर होता है कि, प्रशासन के जिम्मेदार बड़ी से बड़ी विपदा के बाद भी चिर निंद्रा में सोए हुए है। वही जब बात बम्बूल, बेर, नीम सामान्य पेड़ की हो तो पंचायत को निगरानी रखने की आवश्यकता है। लेकिन हम जिन वृक्षो की बात कर रहे है वह सागवान, चन्दन, शीशम जैसे विशेष वृक्ष है जिनकी कटाई से लेकर परिवहन तक कि, परमिशन देना व लेना वन विभाग के जिम्मे है और ऐसे में बड़ी मात्रा में सागवान के पेड़ की कटाई बीच गांव में हो जाए और पंचायत व वन विभाग को भनक भी न लगे तो साफ तौर पर जिम्मेदारों की लापरवाही उजागर होते सामने आती है।
ऐसा ही एक मामला विकासखंड के ग्राम पंचायत अमरगढ़ में सामने आया है। ग्राम में रेलवे स्टेशन के समीप भूमि सर्वे नम्बर 43 कृषि भूमि में सागवान के पेड़ बिना किसी परमिशन काटे जाने का मामला सामने आया है। यहां एक या दो नही बल्कि 15 सागवान के पेड़ काटे गए है। जब इस मामले में ग्राम पंचायत सरपंच पिन्टू सिंह भूरिया से बात की तो उनका कहना है कि, पंचायत से किसी ने कोई पेड़ काटने की परमिशन नही ली है। वही यह भी बताते चले कि, उक्त सागवान के 15 पेड़ों की कटाई रात के समय की गई है। पेड़ो को मशीन के द्वारा काटा गया है जिससे जाहिर है की कटाई में ज्यादा समय नही लगा और एक ही रात में 15 सागवान के पेड़ जमीदोज कर दिए गए। पेड़ो को काटने के बाद उनके छोटे-छोटे टुकड़े भी किये गए जो वही रखे हुए है। अभी भी उक्त भूमि सर्वे 43 में 14 से 15 सागवान के पेड़ खड़े है, अगर समय रहते पंचायत या वन विभाग सचेत नही हुआ तो तय है की इन्हें भी काट दिया जाएगा।
जला दिया तना ताकि सुख जाए वृक्ष
हरे-भरे वृक्षो की कटाई को लेकर सरकार सख्ती बरतती है। इसीलिए कटे हुए सागवान के पेड़ के पास कुछ पेड़ो के तनो में आग लगा कर जलाया गया है। ताकि हरा-भरा वृक्ष अपनी उम्र से पहले ही सुख जाए और उसके सूखे होने का हवाला देकर काटने का कुछ जुगाड़ बिठा लिया जाए।
2 पेड़ काटने पर लगा था सवा करोड़ का जुर्माना
अप्रेल 2021 में रायसेन जिले में बम्होरी वन विभाग ने दो सागौन के पेड़ काटकर वन संपदा को नुकसान पहुंचाने वाले छोटे लाल को एक करोड़ 21 लाख 7 हजार 700 रुपए का जुर्माना लगाकर कोर्ट में चालान पेश किया था, ताकि लोग पेड़ों का महत्व को समझ सकें। वन विभाग के अधिकारियों ने यह जुर्माना एक पेड़ की उम्र 50 वर्ष मान कर तय किया था।
इसलिए महत्वपूर्ण है पेड़
एक अध्ययन के अनुसार 50 वर्ष में एक पेड़ 11 लाख 97 हजार 5 सौ रुपये का ऑक्सीजन पर्यावरण में छोड़ता है। जो लोगों के लिए प्राणवायु का काम करती है। यह पेड़ इन वर्षो में 23 लाख 68 हजार 4 सौ रुपये वायु प्रदूषण नियंत्रण में हमारे लिए मददगार बनता है। जबकी 19 लाख 97 हजार 5 सौ रुपये मूल्य की भू-क्षरण नियंत्रण व उर्वरता बढ़ाने में सहयोग प्रदान करता है। एक पेड़ बारिश के पानी को रोकने, कटाव रोकने और जल की रिसाइकिल करने में 4 लाख 37 हजार रुपये की मदद देता है।