रेलवे फाटक पर हुई दुर्घटना में मौत के बाद नही ली प्रशासन ने कोई सूद, न ही मिली आर्थिक सहायता
माही की गूंज, पेटलावद/करवड़।
पिछले गुरुवार को रेल्वे फाटक बामनिया पर अनियंत्रित ट्राले द्वारा तीन लोगों को कुचलने से हुई मौत के मामले में स्थानीय प्रशासन का दोहरा रवैया सामने आया है। साथ ही सत्तापक्षीय नेताओं का भी परिवार के प्रति किसी प्रकार का सहयोग देखने को नही मिला। दुर्घटना में हुई तीन लोगों की मौत में रामपुरिया के ग्रामीण कालू डोडियार के साथ-साथ करवड़ के जैन दंपति सुभाषचंद्र भंडारी और मनोरमा भंडारी को भी अपनी जान गवानी पड़ी थी। दुर्घटना के बाद जैन परिवार द्वारा दुर्घटना स्थल से शव को उठा लिया गया, जबकि अन्य मृतक के परिवार द्वारा शव को रेल लाइन पर रख कर प्रर्दशन किया गया। प्रशासन और रेल्वे के मौजूद अधिकारीयो ने परिवार को स्वांतना देते हुए आर्थिक सहायता देने के आश्वासन देने के बाद मृतक के परिजन मौके से हटे, दो लाख की नगद आर्थिक सहायता भी प्रशासन की और परिवार को दी गई। वही एक ही दुर्घटना में मृतक हुए करवड़ के भंडारी परिवार के साथ प्रशासन ने दोहरा रवैया अपनाते हुए किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता ओर सहयोग का आश्वासन तक नही दिया। प्रशासन की और से कोई भी जबाबदार परिवार के पास तक नही पहुँचा।
ग्राम पंचायत के सरपंच विकास गामड़ ने बताया कि, भंडारी परिवार के पास सम्बल कार्ड या कर्मकार कार्ड नही होने से कोई सहायता ग्राम पंचायत के माध्यम से नही मिल सकती। ऐसे में प्रशासन को पीड़ित परिवार की सूद लेकर उनको आर्थिक सहायता दिलवाई जानी थी लेकिन प्रशासन की अनदेखी से लगता है केवल मौके पर मांग करने वालो की ही सूद प्रशासन लेती हैं। एक ही दुर्घटना में मरने वालों को एक जैसी आर्थिक सहायता प्रशासन द्वारा दी जानी चाहिये।
बेटी ने माता-पिता को मुखाग्नि दी, मर कर भी रोशन कर जिंदगी
बामनिया में रेल्वे फाटक पर करवड़ निवासी सुभाष चंद्र भंडारी धर्मपत्नी मनोरमा भंडारी का रेल्वे फाटक पर तेज गति में आ रहे ट्राले ने टक्कर मार दी जिसमें मनोरमा भंडारी ने वही दम तोड़ दिया। सुभाष भंडारी को पेटलावद रेफर किया वहां से बड़ौदा रेफर किया था लेकिन रास्ते में सुभाष भंडारी ने दम तोड़ दिया। उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में समाजजन एवं ग्रामीणजन उपस्थित हुए। सुभाष भंडारी की मृत्यु के बाद माता-पिता को मुखग्नि उनकी पुत्री द्वारा दी गई। भंडारी दम्पत्ति की एक पुत्र संतान थी, लेकिन दो साल पहले उनका भी निधन हो चुका है और परिवार में केवल उनकी पुत्री ही बची है जिन्होंने बेटे होने का फर्ज निभाया ओर अंतिम क्रिया की। दुर्घटना में मृत सुभाष भंडारी भले ही दुनिया छोड़ कर चले गए, लेकिन वो जाने के बाद अपनी आँखों से दो लोगो की दुनिया रोशन कर गए। सुभाष भंडारी ने अपना नेत्रदान गीता भवन न्यास समिति बड़नगर को दान करके दो व्यक्तियों को उपहार दिया। मर कर भी दो लोगो को जीवन देने वाले परिवार ओर परिवार में बची एक मात्र बेटी की सूद प्रशासन द्वारा नही ली गई ये चर्चा का विषय बना हुआ है।
दुर्घटना के बाद क्षेत्र से गुजरते रहे सत्ता के बड़े नेता कोई स्वांतना देने नही पहुचा
दुर्घटना में मौत के दूसरे ही दिन सांरगी में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का दौरा था। जिसकी तैयारी के लिए भाजपा के छोटे-बड़े नेताओं का आना-जाना दिनभर इस क्षेत्र में होता रहा, लेकिन परिवार को कोई सत्तापक्षीय नेता स्वांतना देने नही पहुचा। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के दौरे के लिए क्षेत्र के सांसद गुमानसिंह डामोर, पूर्व मंत्री निर्मला भूरिया, जिलाध्यक्ष भानु भूरिया, जिला पंचायत सदस्य, मंडल अध्यक्ष सुखराम मोरी, क्षेत्र से महामंत्री राठौर, जनपद अध्यक्ष पेटलावद सहित कई नेता आते जाते रहे, लेकिन सत्तापक्षीय नेता और चुने हुए जनप्रतिनिधि परिवार के पास नही पहुचे। कांग्रेस विधायक वालसिंह मैडा, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष चन्द्रवीर सिंह राठौर, विधायक प्रतिनिधि शैलेन्द्र लाला जरूर परिवार को स्वातना देने पहुचे थे।
मतृक भंडारी दंपत्ति।
शोक समवित भंडारी परिवार, प्रषासन की अनदेखी से निराष।
सुभाष भंडारी द्वारा नेत्रदान पर गीता भवन न्यास समिति बडनगर द्वारा दिया गया आभार पत्र।