रेल्वे ट्रक से सीधे ट्रको को ओंवरलोड़ भर ले जाया जा रहा है। जिसे देखने वाला कोई नही।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर खुलेआम रेलवे रैक पॉइंट से कर रहे गेहूं और खाद के ओवर लोड ट्रक लोड
रेलवे के अधिकारीयों ने भी इनके रसुख के आगे रेलवे के नियम व कायदे रख दिए ताक पर
माही की गूंज, झाबुआ।
आम आदमी को लायसेंस से लेकर हेलमेट तक के लिए रोकने वाला और दंड आरोपित करने वाला पुलिस विभाग, परिवहन विभाग किस तरह रसूखदारों पर मेहरबान है ये मेघनगर रेलवे रैक पॉइंट पर देखा जा सकता है। जहां सुप्रीम कोर्ट के परमजीत भसीन विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया रीट पिटीशन (सिविल) नंबर 136/2003 में ओवर लोड पर दिए गए सख्त प्रतिबंध के आदेश के बावजूद उसे हवा में उड़ाते हुए और उसकी खुली अवमानना करते हुए सुरेशचंद्र पुरणमल जैन और जिनेन्द्र बाफना के 20 टन तक पास ट्रक खुलेआम 30 टन तक गेहूं और खाद के ओवर लोड ट्रक ना सिर्फ भर रहे हैं बल्कि भरने के बाद मेघनगर सहित जिले के समस्त पुलिस थानों और जिला परिवहन कार्यालय के सामने से होते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा बताते हुए ये ट्रक निर्बाध रूप से आवागमन कर जिले के समस्त वेयर हाउस में खाली हो रहे हैं। मगर मजाल है कि जिम्मेदार अधिकारी सुरेशचंद्र पुरणमल जैन और जिनेन्द्र बाफना के इन ओवर लोड ट्रकों पर कोई कार्रवाई कर दे।
रेलवे अधिकारियों की सांठगांठ से ओवर लोड के साथ नियम विरुद्ध मालगाड़ी से लोड कर रहे खाद और गेहूं के ट्रक
जहां एक और पुलिस और परिवहन विभाग का तो इनको खुला सरंक्षण प्राप्त है। तो वहीं रेलवे के अधिकारी भी इन पर कम मेहरबान नहीं है, वो भी न सिर्फ रैक पॉइंट से गेहूं और खाद के ओवर लोड ट्रक भरवा रहें है। बल्कि गेहूं और खाद की बोरियो को रेलवे के नियमों के विरुद्ध सीधे ट्रेन पर ट्रकों को लगाकर ट्रेन मालगाडी से ट्रकों में लोड करने दे रहे हैं। जबकि नियमानुसार बोरिया पहले जमीन पर उतारी जानी चाहिए उसके बाद ट्रकों में लोड की जानी चाहिए। मगर स्थानीय रेलवे के अधिकारी इन रसूखदारों से आर्थिक सांठगांठ कर इन्हें माल उठाने में देरी ना हो और रेलवे इन पर लाखों रुपए का वार्फेज और डेमरेज का दंड ना लगा दे। उस से बचाने के लिए और साथ ही इन बोरियों को ज़मीन पर रखने और वापसरखा ट्रकों में अपलोड करने पर इन रसूखदारों को लगने वाली लाखों रुपए की दोहरी मजदूरी के भुगतान से बचाने के लिए रेलवे के सभी नियमों को ताक में रख देते हैं।
आर्थिक सांठगांठ से चल रहा पूरा खेल
माही की गूंज को सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की यू खुली अवमानना कर ओवर लोड ट्रकों का परिवहन करवाने में और रेलवे के अधिकारियों द्वारा रेक पॉइंट पर नियम विरुद्ध इन रसूखदारों को सरंक्षण देने का कारण एक बड़ी आर्थिक सांठगांठ है। जिसकी वजह से सब आंखों पर पट्टी बांध कर धृतराष्ट्र बनकर बैठें है। जबकि जिला परिवहन अधिकारी कृतिका मोहटा चाहे तो सीधा रैक पॉइंट पर छापामार कार्रवाई कर सकती है या इन रसूखदारों के ट्रकों को रोड़ पर भी रोक कार्रवाई कर सकती है। मगर ये काम न जिला परिवहन अधिकारी कर रही है न पुलिस कर रही है। जबकि थानों और पुलिस कर्मियों के सामने से ये ओवरलोड ट्रक दिन-रात गुजर रहे हैं। और तो और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए वेयर हाउस और खाद के गोदाम संचालक भी ओवर लोड ट्रकों को गोदामों में खाली करवा रहें हैं।
यह था सुप्रीम कोर्ट का आदेश पर जिसकी कर रहे अधिकारी खुली अवमानना
दरसल सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2005 में परमजीत भसीन विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया ने स्पष्ट आदेश दिया था कि, वाहन ओवर लोड पाए जाने पर मोटरयान अधिनियम की धारा 194 के अंतर्गत जुर्माना जो की 20 हजार तक, धारा 200 के अंतर्गत ऑन द स्पॉट करके अतिरिक्त वजन भी स्पॉट पर उतारा जाना चाहिए। मगर ना तो मोटर यान अधिनयम 1988 के प्रावधानों का पालन हो रहा है न उसके पालन करवाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का। जो सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। जिसके वीडियो, फोटो सब माही की गूंज के पास है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि संज्ञान लेकर जिला परिवहन अधिकारी , रेलवे के अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों पर कटेंप्त ऑफ कोर्ट यानी न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई करे। जिस से न्याय के सबसे बड़े संस्थान के आदेशों की अवहेलना करने की जरूरत और अधिकारी न कर सके। साथ ही रेलवे के विजिलेंस डिपार्टमेंट और सीबीआई को भी देखना चाहिए कि, कहीं अधिकारी इन रसूखदारों से साठगांठ कर वार्फेज और डेमरेज में इन रसूखदारों से साठगांठ कर रेलवे का आर्थिक नुकसान तो नहीं कर रहे हैं।
जवाबदार रसुख के आगे इन नियमो का नही करवा पा रहे पालन।