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माही की गूंज, संजय भटेवरा।
दिल्ली के विधानसभा चुनाव पिछले तीन चुनावो से लोकसभा चुनाव के महज 9 माह के भीतर ही होते आए हैं। लेकिन मतदाताओं का मूड हमेशा लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग ही रहा है। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में देश में 30 वर्षों बाद भाजपा के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी और देश में पहली बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। दिल्ली की सातों लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी विजय हुए। कुल 70 सदस्यी विधानसभावार देखे तो यहां भाजपा 60 सीटों पर आगे रही। लेकिन महज 9 माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की और भाजपा महज 3 सीटों पर ही सिमट गई ।
इसी प्रकार 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर सातों लोकसभा क्षेत्र में जीत हासिल की और पार्टी 65 विधानसभा क्षेत्रो में आगे रही लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में फिर आम आदमी पार्टी ने भाजपा को पटखती देते हुए 62 सिट ली और फिर से सरकार बना ली।
इसी प्रकार 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर दिल्ली में क्लीन स्वीप किया और सातों सीटों पर विजय प्राप्त की। तथा 52 विधानसभा क्षेत्रो पर बढ़त बनाई थी। फरवरी 2025 में फिर विधानसभा चुनाव होना है। अब देखना ये है कि, पिछले तीन चुनावो से चला आ रहा यह रिवाज कायम रहेगा या फिर बदल जाएगा राज। यह फैसला 5 फरवरी के मतदान के पश्चात 8 फरवरी को परिणाम के साथ सामने आएगा ।
दिल्ली के दिल में कौन ...?
देश की राजधानी दिल्ली को दिलवालों की दिल्ली कहा जाता है और दिलवाले की दिल्ली पर राज करने की इच्छा तमाम दलों की रहती है। अब दिल्ली के दिलों पर राज कौन करेगा...? यह तो अभी तय नहीं है। लेकिन चुनाव आयोग द्वारा घोषित मतदान की तारीख 5 फरवरी तक सभी राजनीतिक दल जी तोड़ कोशिश करेंगे। अब तो ये भविष्य ही तय करेगा कि, दिल्ली के दिल में कौन...? आम आदमी पार्टी, बीजेपी या फिर कांग्रेस..?