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कुछ... यादें... बहुत सी उम्मीदो.. के साथ नूतन वर्षाभिन्दन
02, Jan 2025 9 months ago

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माही की गूंज, संजय भटेवरा

    ‘‘अंतः अस्ति प्रारंभः‘‘  ‘‘द एंड इस बिगनिंग‘‘ अर्थात किसी का अंत ही किसी के प्रारंभ का कारण है। जिस प्रकार सूर्यास्त ही सूर्योदय का कारण होता है उसी प्रकार एक वर्ष का अंत दूसरे वर्ष के प्रारंभ का कारण है यह प्रकृति का नियम है। अंत हमेशा ही दुखदाई रहता है ऐसा अब नहीं रहा है। अंत ही उदय का कारण बनता है अतः 2024 की सुखद विदाई और 2025 की सुखद और आनंदमयी यात्रा के लिए माही की गूंज परिवार की ओर से मंगल कामनाएं...। बदलते साल के साथ, साथ हमेशा बना रहे...। बदलाव प्रकृति का नियम है और इस नियम में हम सभी बंधे हैं। समय के साथ खुद को बदलना.... प्राकृतिक परिवर्तन को सहज स्वीकारना और समय के साथ कदमताल करने की सीख हमें प्रकृति द्वारा ही मिलती है।

2024 की यादें

    वर्ष 2024 अयोध्या के भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की आहट और आगमन की तैयारीयो के बीच शुरू हुआ था। 22 जनवरी को वह पल था जिस का भारत में 500 वर्षों से इंतजार था। जब प्रभु श्रीराम अवध में विराजे तो पूरा देश भाव विभोर था और पूरा देश राममय था। छोटे से छोटे गांव में भी आस्था का सैलाब था और पूरा देश राम भक्ति में डूबा था। वर्ष के मध्य में हुए आम चुनाव में भाजपा के 400 पार नारे की हवा निकल गई तो कांग्रेस को संजीवनी मिली और राहुल गांधी विपक्ष के नेता बने। वही रतलाम सीट पर भाजपा की अनीता नागरसिंह चौहान के रूप में पहली महिला सांसद मिली। वही मध्य प्रदेश में भाजपा ने क्लीनशिप करते हुए सभी 29 सीटे जीती। राजनीतिक रूप से यह वर्ष उथल-पुथल वाला रहा। जो कांग्रेस लोकसभा चुनाव परिणाम के आधार पर फ्रंट फुट पर खेल रही थी वर्ष के अंत में हुए महाराष्ट्र चुनाव आते-आते बैक फुट पर आ गई। वहीं पूर्ण बहुमत वाली मोदी की सरकार आम चुनाव के बाद एनडीए की सरकार में बदल गई और मोदी की गारंटी, एनडीए की गारंटी में बदल गई। आम चुनाव में कमजोर हुई भाजपा ने हरियाणा और महाराष्ट्र में शानदार वापसी की। संविधान बदलने के विपक्ष के आरोपो के बीच देश की संसद पर दो दिन संविधान पर चर्चा हुई और एक देश एक चुनाव का बिल लोकसभा में पारित हुआ। 

    वहीं पक्ष-विपक्ष के बीच डॉक्टर अंबेडकर को लेकर भी तकरार हुई और विपक्ष के नेता पर एफआईआर भी दर्ज हुई।

2025 से उम्मीदे...

    वैसे तो उम्मीदो और आशाओं का कोई भी अंत नहीं है लेकिन 2025 से सभी भारतीयों को बहुत उम्मीद है। संविधान पर चर्चा से खत्म हुए वर्ष 2024 में संविधान पर बहुत कुछ बोला गया उस पर अमल 2025 में लाया जाना चाहिए। देश भर में विभिन्न हिंसात्मक घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होना चाहिए और देश को जातिवादी संकीर्ण विचारधारा से बाहर आना चाहिए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार देश में केवल चार जातियां युवा, महिला, किसान और गरीब ही होना चाहिए और इसी दिशा में प्रयास होना चाहिए।

मॉब लीचिंग बंद हो

    देश भर में  मॉब लीचिंग यानी भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही है और ये मॉब लीचिंग सरकारी के साथ निजी संपत्तियों को भी बहुत नुकसान पहुंचाती है जो की उचित नहीं है। देश बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर चल रहा है और संविधान में कहीं भी मॉब लीचिंग को उचित नहीं कहा गया है। संगठित समाज होना चाहिए लेकिन संगठन में कट्टरता नहीं होना चाहिए। क्योंकि कहते हैं कि, फलदार वृक्ष ही झुकते हैं उसी प्रकार विन्रम व्यक्ति ही झुकता है। देश में क्षेत्रवाद, जातिवाद और वर्ग संघर्ष समाप्त होना चाहिए। हम स्वतंत्र है लेकिन हमारी स्वतंत्रता किसी अन्य व्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधक नहीं होना चाहिए। देश की अखंडता और अक्षुण्णता पर आंच नहीं आना चाहिए।

    राजनीतिक रूप से वर्ष की शुरुआत में दिल्ली विधानसभा चुनाव होना है जहां आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच मुकाबला है। यहां कांग्रेस कुछ विशेष कर पाएगी इसकी कम ही संभावना नजर आ रही है। वहीं वर्ष के उत्तरार्ध में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है जिसमें राजग व राजद के बीच मुकाबला होना है। सात बार मुख्यमंत्री बन चुके नीतीश कुमार फिलहाल तो राजग के साथ है लेकिन उनके पिछले रिकार्ड के आधार पर कहा जा सकता है कि वे कब पलटी मार दे कुछ नहीं कहा जा सकता है। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री, पर्ची वाले मुख्यमंत्री की छवि से बाहर निकल कर प्रदेश के विकास की नई ईबारत लिखेंगे इसकी उम्मीद की जा रही है ये वर्ष चुनावी राजनीति के बजाय मध्य प्रदेश के हितों की राजनीति वाला रहे ऐसी भी उम्मीद प्रदेशवासी कर रहे हैं। जिले के संदर्भ में देखे तो जिले को विकास की नई सौगातें मिले, रोजगार मूलक कार्यों को प्राथमिकता मिले व जिला पलायन के दंस से मुक्त हो... इन्हीं शुभकामनाओ के साथ नूतन वर्षाभिन्दन....


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