मदरानी में प्रशासन की उपस्थिति में किए विवाद में जमकर हुई पत्थरबाजी और दिया आंतक का परिचय। जिसके बाद क्षेत्र में फेली दहशत।
मामलाः मदरानी में पीढ़ी-दर-पीढ़ी रहने वाले ओबीसी वर्ग के परिवार को मिले पट्टे व उस पर हो रहे निर्माण में विवाद कर आतंक फैलाने का
माही की गूंज, झाबुआ/मदरानी
हमारे भारत देश ही एक ऐसा देश है, जहां संस्कारों की दुहाई दी जाती है। वहीं भारत में हिंदू-मुस्लिम-सिख-इसाई हम सब भाई-भाई के नारे स्कूली शिक्षा के साथ ही एवं विशेषकर राष्ट्रीय पर्व के दौरान बोले जाते हैं। और यह नारे इसलिए बोल जाते हैं कि, हम अपने जीवन में इसका वास्तविक अर्थ समझे और हम सभी जाति, समाज व सभी वर्ग विशेष एक भाई चारे के साथ है और रहे और हम सब एक-दूसरे की ताकत बन देश का उत्थान करें।
जहां एक तरफ देश को आजादी दिलाने में भी हर जाति व वर्ग ने अपना बलिदान दिया। उन बलिदानों में हम बिरसा मुंडा व टंट्या भील को भी याद करते हैं। लेकिन इन शहीदों ने उस समय अपने बलिदान देते समय कदापि यह परिकल्पना नहीं की होगी कि, हमारी आने वाली पीढ़ी क्षणिक निजी स्वार्थ के चलते हमारे परदादाओ के समय से भाई चारे से रहने वालों के बीच आपस में द्वेषभाव उत्पन्न करेंगे। और एक तरफा विचारधारा के साथ आतंक का पर्याय बनने का प्रयास करेगें और शांत फिजाओं को बिगाड़ेंगे।
इतना ही नहीं जहां बांग्लादेश में तो धर्म विरोधी आग सुलगी हुई है और जहां हिंदू वर्ग अल्पसंख्यक है उन पर द्वेषभाव के साथ अत्याचार किया जा रहा है। जिसकी निंदा भारत ही नहीं वरन विश्व कर रहा है। वहीं अगर हम झाबुआ जिले की बात करें तो यह जिला आदिवासी बाहुल्य है और आदिवासी समाज को शबरी का वंशज माना जाता है। तथा भगवान श्री राम का अनंत भक्त भी माना है। ऐसे में तीर कमान आदिवासी समाज के शोर्य का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। ऐसे में सतयुग से लेकर देश की आजादी तक व आजादी के बाद से अब तक हम, हमारे संस्कारों को व अपनी विरासतों को नहीं भूले हैं। और हम सभी जाति, समाज व सभी धर्म के लोग भाई चारे के साथ रह रहे हैं। लेकिन वर्तमान में जिले में ऐसा देखने में भी आता है कि, जहां अपने निजी स्वार्थो के चलते हम जातिवाद को मुद्दा बनाकर सीधे-साधे लोगों को क्षणिक लाभ प्राप्ति के लिए द्वेषभाव का बीज बोने का प्रयास कर रहे हैं। जिसे कदापि सही नहीं कहा जा सकता है। पहले भी झाबुआ जिला भाईचारे के साथ रहा है और आगे भी रहेगा, यह तय है। लेकिन हम आज यहां यही कहना चाहते हैं कि, निजी स्वार्थ के लिए वैमनस्यता न फैलाएं। तथा जिले में एनआरसी लागू करने जैसी मानसिकता रखने वाले स्वार्थी तत्व के चलते एक ही धर्म के होने के बाद भी आदिवासी समाज के होने का हवाला देकर बांग्लादेश के ऊपर जाकर जहां हिंदू वर्ग अल्पसंख्यक है और उस पर जो अत्याचार किये जा रहे हैं जिसकी पूरा विश्व निंदा कर रहा है। वहीं जिले में ऐसा कोई भी जाति व वर्ग के आधार पर वैमनस्यता न फैलाएं जिससे हमारे इस जिले की मान-मर्यादा व प्रतिष्ठा की निंदा अन्य जगह की जाए।
पत्रकारिता के नाते हमारी जवाबदारी है कि, हम अपने दायित्व का निर्वहन निष्पक्ष रूप से करें और कहीं भूल से भी किसी के दिल व दिमाग में गलत बात व गलत विचारधारा किसी निजी स्वार्थ के कारण उत्पन्न हो रही है, तो हम हमारी कलम के माध्यम से उन गलत विचारों को दूर करें। इसी उद्देश्य के साथ आज का यह कालम भी लिखा गया है।
मामलाः यह सामने आया कि, जिले के मेघनगर जनपद क्षेत्र एवं काकनवानी थाना क्षेत्र के ग्राम मदरानी में भानपुरिया परिवार जो कि, पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखता है। जो हमारी जानकारी अनुसार सामने आया कि, यह परिवार पिछली छः पीढ़ियों से ग्राम मदरानी में रह रहा है। देवचंद भानपुरिया जिनके पुत्र पन्नालाल भानपुरिया थे। पन्नालाल भानपुरिया के दो पुत्र जिन्होंने मदरानी में ही जन्म लिया। एक पुत्र प्यारेलाल व दूसरा पुत्र हेमराज। प्यारेलाल के दो पुत्र रूपचंद व दूसरा पुत्र दौलतलाल भानपुरिया थे। वही हेमराज के पुत्र पूनमचन्द भानपुरिया थे। हेमराज के पुत्र पूनमचन्द व परिवार ने अपना आशियाना काकनवानी में स्थापित किया। वहीं प्यारेलाल का एक पुत्र रूपचन्द भानपुरिया मदरानी में ही उसी स्थान पर स्थापित रहे जहां उनके दादा पन्नालालजी रह रहे थे। वहीं उसी जमीन का पट्टा रूपचंद भानपुरिया को दिया गया। रूपचंद भानपुरिया के इस पुराने मकान को रूपचंद भानपुरिया के छोटे पुत्र दिनेश भानपुरिया के हक में दो भाइयों के बीच मिला। जिसमें से एक हिस्से में पूर्व में मकान बना चुका है तो दूसरे हिस्से में जो कि, दिनेश के हक में रूपचंद भानपुरिया की मृत्यु के बाद पंचायती रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया। पंचायत में 30 बाय 53 कुल 1590 वर्ग फीट पुराने रिकॉर्ड अनुसार दर्ज है। लेकिन सर्वे न 240 पर पट्टे में दी गई भूमि 30 बाई 40 है। उसी स्थान पर अपने हक व अधिकार की जमीन पर पुराना मकान तोड़ अपना नवीन मकान दिनेश भानपुरा बना रहा है।
प्रशासन भी रहा बड़े विवाद का कारण...
दिनेश भानपुरिया अनुसार, कुछ स्वार्थीतत्वों ने एक वृद्ध महिला को आगे कर विवाद को उत्पन्न करने का प्रयास किया और मेरे पैतृक, जिस भूमि पर निवासरत रहे और जिसका पट्टा भी मेरे पिता के नाम से राजस्व विभाग को दिया गया उस भूमि को वह अपनी बताने लगे। वही जनसुनवाई में झूठी जानकारी के साथ प्रशासन को गुमराह करते हुऐं शिकायत की ओर मेरे हक व अधिकार की भूमि को उनकी भूमि होना बताया गया था।
वहीं यह भी सामने आया कि, दिनेश भानपुरिया के मकान निर्माण करते समय 19 दिसंबर को छत भरने के पूर्व मेघनगर तहसीलदार एवं राजस्व अमला मौके पर पहुंचा। और पाया कि, जिस स्थान पर दिनेश भानपुरिया अपना मकान निर्माण कर रहा है वह पंचायत परमिशन के साथ अपनी अधिकृत भूमि में ही नियमानुसार निर्माण करता पाया गया। तथा मकान निर्माण जारी रखने की मोखिक स्वीकृती दी गई। वहीं उनके कुछ दिन बाद जिस दिनांक 19 दिसंबर को दिनेश भानपुरिया अपने मकान की छत भरा रहा था, उसी दौरान दिन में वो ही राजस्व अमला जो कुछ दिन पूर्व दिनेश भानपुरा को आगे का मकान निर्माण जारी रखने की स्वीकृति दे गए थे वो ही अमले के साथ तहसीलदार अपने ही न्यायालय के आदेश पत्र क्र. 3853 / रीडर-1/2024 के साथ पहुंचे और शिकायत के आधार पर आबादी भूमि सर्वे नंबर 240 पर स्थगन आदेश का हवाला देकर निर्माण कार्य रुकवाने हेतु पहुंचा। नतीजन 19 दिसंबर को राजस्व अमले की स्वीकृति के बाद ही दिनेश भानपुरिया अपने मकान की छत भरा रहा था। वही दिनेश भानपुरिया के साथ ग्रामवासी, तहसीलदार के स्थगत आदेश को कुछ समझ पाते या उस समय कार्य को रोकते उसके पहले प्रशासनिक उपस्थिति में ही कुछ स्वार्थी तत्वों ने दिनेश भानपुरिया के यहां निर्माण कार्य कर रहे ठेकेदार, मिस्त्री व मजदूरों पर खुल्ले आम अपने आतंक का परिचय देते हुए अंधाधुंध पथराव शुरू कर दिया। जिसमें यह भी नहीं देखा गया कि, खुल्लेआम किये जा रहे पथराव में कोई जख्मी हो जाए या कोई मौत के घाट उतर जाए। और यह दिल दहला देने वाला उर्फ क्षेत्र में आतंक का पर्याय बनी यह घटना प्रशासनिक अमले की उपस्थिति में ही सब कुछ हुआ। उक्त घटना के बाद मजदूर वर्ग ने पुलिस चौकी मदरानी में रिपोर्ट दर्ज करवाई। जिसके बाद मजदूर वर्ग के विरुद्ध पथराव करने वाले स्वार्थी एवं असामाजिकता फैलाने वाले की ओर से भी रिपोर्ट दर्ज करवाई गई।
अपने पर आई तो 19 को दिया स्थगत 20 को स्थगत आदेश किया खारिज
कई बार देखने में आता है कि प्रशासन, मामले की गंभीरता ही नहीं समझ पाता और प्रशासन ही विवाद का कारण बन जाता है। और कोई कार्य सही को गलत कर दिया जाता है तो उसको तुरंत ही अपने आप को बचाने के साथ सही कर दिया जाता है।
ऐसा ही वाक्य इस मामले में हुआ है। पहले तहसीलदार व उसका अमला दिनेश भानपुरिया को मकान निर्माण हेतु मौके पर जाकर कहकर आया और 19 दिसंबर को न जाने कौन सी अदृश्य शक्ति के चलते नियमानुसार हो रहे निर्माण पर स्थगन आदेश जारी कर दिया और खुद 19 दिसंबर को हुए बड़े विवाद का कारण बना।
वही जब देखा कि, विधि सम्मत ही दिनेश भानपुरिया मकान बना रहा था। ऐसे में 19 दिसंबर को जारी स्थगन आदेश को जारी करने वाला अधिकारी, न्यायालय में मात खा सकता है और उसका नतीजा बहुत बुरा हो सकता है। ऐसे में दूसरे दिन 20 दिसंबर को ही आदेश क्रमांक 3872/रीडर-1/2024 के साथ स्थगन आदेश निरस्त कर, हवाला दिया कि, पटवारी से मौका स्थल जांच करवाई गई। मदरानी में स्थित आबादी भूमि सर्वे नंबर 240 की भूमि पर अनावेदक रूपचंद पिता प्यारेलाल भानपुरिया के नाम से 31 मार्च 2017 को पट्टा जारी किया गया था। जिसमें दर्ज चतुर्थ सीमा अनुसार अनावेदक का मौके पर कब्जा पाया गया। जिस पर 19 दिसंबर को जारी आदेश निरस्त किया जाता है।
मामले में तहसील न्यायालय से स्थगन व स्थगन के बाद 24 घंटे में ही स्थगन निरस्त किये जाने के मामले के बीच जो विवाद हुआ वह ग्राम व क्षेत्र में आतंक का पर्याय बना। उसकी जवाबदेही क्या प्रशासन लेने को तैयार है...? के सवाल क्षेत्र में उठ रहे हैं।
प्रशासन की कारस्तानी व स्वार्थी तत्वों द्वारा किए गए विवाद का ग्रामवासियो ने किया विरोध
ग्रामवासियों में प्रशासन की उपस्थिति में हुए विवाद से क्षेत्र में भय का माहौल हो गया। जिसके चलते समस्त ग्रामवासी घटना के विरोध में एकमत होकर काकनवानी थाने पर पहुंचे और घटना के विरोध में पुलिस थाना प्रभारी को एक ज्ञापन दिया।
वृद्ध महिला के साथ फिर पहुंचे जनसुनवाई में और मीडिया से भी हुए रूबरू
न्याय की गुहार लगाना किसी भी स्थिति में हमारे संविधान अनुसार गलत नहीं है और यह भी सत्य हैं कि, न्याय सत्यता के साथ मिलता ही है। मामले में हुए विवाद व ग्रामवासियों के विरोध के बाद विपक्षी वृद्ध महिला के साथ जनसुनवाई तक भी पहुंचे और भानपुरिया परिवार को दिए गए पट्टे पर आपत्ति जताई है। तथा दिनेश भानपुरिया पर आरोप भी लगाया कि, दिनेश भानपुरिया ने महिला के साथ मारपीट की, बीच बचाव करने आए व्यक्तियों को धमकाया और जाति सूचक शब्दो का प्रयोग दिनेश भानपुरिया द्वारा किया गया। साथ ही महिला के गले में से 16 ग्राम सोने की चैन भी गिर गई।
उक्त शिकायत को हम कदापि गलत है यह नहीं कह सकते, लेकिन तय है 19 दिसंबर को यह वाकिया हुआ है तो तय है यह वाकिया प्रशासन की मौजूदगी में ही हुआ होगा। और दिनेश भानपुरिया द्वारा आदिवासी महिला के साथ की गई मारपीट व कहे गए जातिसूचक शब्दों का मय वीडियो के प्रमाण भी होगा। क्योंकि 19 दिसंबर को हुए पथराव का वीडियो भी लोगों ने बनाया व घटना सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई। इसी तरह से दिनेश भानपुरिया द्वारा अगर यह करतूत की गई है तो हमारे संविधान अनुसार उस पर कार्रवाई होना ही चाहिए। पर मय प्रूफ के सीसीटीवी कैमरे व लोगो द्वारा खींचे गए वीडियो को प्रूफ के रूप में शिकायतकर्ता द्वारा पुलिस को प्रूफ देना चाहिए और मय प्रूफ के साथ ही यह अपराध दर्ज होना चाहिए। अगर यह शिकायत अपने-आप को बचाने, सामने वाले को दबाने व क्षेत्र में अपना प्रभाव व आतंक फैलाने के उद्देश्य से शिकायत हुई है तो इसे किसी भी स्थिति में सही नहीं कह सकते। पुलिस को दोनों पहलुओं पर जांच करनी चाहिए।
महिला के साथ झाबुआ पहुचे शिकायतकर्ता मीडिया से भी रूबरू हुए और अपनी बात कही। जिसमें मीडिया को पैसा एक्ट का हवाला अलग-अलग व्यक्तियों ने एक यू-टूयूब न्यूज़ चैनल के माध्यम से दिया। जिसमें धाराओं का भी उल्लेख किया वो सब सही व ठीक भी है और अपनी मांग और शिकायत करना भी गलत नहीं है। लेकिन यह भी सही है कि, हमें सत्यता को भी स्वीकारना होगा। वही मीडिया से रूबरू के दौरान एक भाई ने जिले में एनआरसी लागू करने तक की बात कर डाली और अपना उद्देश्य भी। जिसे हमारा जिला ही नही बल्कि हमारा संविधान भी सही नहीं कहेगा।
एनआरसी की बात करें तो उसका उद्देश्य देश में अवैध रूप से रह रहे नागरिकों की पहचान करना होता है। ऐसे में छः पीढ़ी से रह रहे मदरानी निवासी को बाहरी बताना व यहां से चले जाने की बात कहना, कहां तक सही है...? हम यहां यही कहेंगे कि, ये विचारधारा व सोच हमारे देश के संस्कारों को तार-तार करता है और हमारे भाईचारे के बीच दुख पहुंचाने वाली बात ही कहीं जा सकती है। ऐसे विचारों से यह सामने आता है कि, हम बांग्लादेश से ऊपर उठकर जो धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक यानि हिंदुओं को प्रताड़ित करने वाले वाकियो से विश्व में निंदाहो रही है। वही दूसरी और हमारे जिले में एक ही धर्म के होने के बावजूद जाति वर्ग को बढ़ावा देकर इस तरह ओछी मानसिकता वाले कुछ लोग हमारे जिले को, हमारे भाई चारे को, हमारे समाज को और हमारी संस्कृति को कलंकित करने का प्रयास किया जा रहा है। जो किसी भी स्थिति में सही नहीं है। क्या हम यह चाहते हैं कि, हमारे जिले की भी निंदा अन्य जिले , प्रदेश या देश में करें...? जवाब यही रहेगा कि बिल्कुल नहीं।
हमने बाजना-शिवगढ़ की एक घटना पर पिछले 26 दिसंबर के अंक में “आक्रोश सही पर आतंक फैलाने गलत...‘‘ ‘‘न्याय, कानूनी व्यवस्था से चलने पर मिलता है न कि पैसों से...! ‘‘ शीर्षक के साथ समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें उल्लेख किया था कि, जयस संगठन समाज उत्थान के लिए एक अच्छे मकसद के साथ बना एक अच्छा संगठन है और हमें चाहिए कि, संगठन के मूल उद्देश्यो को समझें और समाज का उत्थान करें। न कि संगठन के नाम पर निजी हित के साथ संगठन के मूल उद्देश्यो को दरकिनार कर आतंक का परिचय दे। हमने यह भी लिखा था कि, अगर हम न्याय की बात करते हैं तो न्याय कानूनी व्यवस्था के साथ चलने पर ही हमे मिलता है न कि पैसों से...! ऐसे में आक्रोश के नाम पर आतंक फैलाने पर न्याय नहीं अपराधी ही बनते हैं।
माही की गूंज ने अपील भी की थी कि, हम न्याय व्यवस्था को पैसों से न तोले और किसी भी समाजहित में बने संगठन के नाम पर हम अपना निजी हित साधने के नाम पर किसी भी संगठन को बदनाम न करें। और भाईचारे का परिचय देकर हम सब मिलकर समस्या का समाधान शांतिपूर्वक करें।
हम बाजना, मदरानी आदि उक्त ऐसे मामलों में यही कहेंगे कि, हम ऐसा कोई कार्य नहीं करे जिससे हमारे भाई-चारे पर ऑच आए और हमारे जिले में वेमनस्याता फैले। हम सब बुद्धिजीवी है और उस बुद्धि का हम सब मिलकर सही दिशा में उपयोग करें न कि, अपने निजी स्वार्थ के लिए वेमनस्याता फैलाए...। वही प्रशासन आगे भी उक्त मदरानी मामले को गम्भीरता से लेता है या नही यह तो बाद में ही पता चलेगा।