एसडीएम के नए नियम की भेंट चढ़े 400 से ज्यादा प्रमाण पत्र, नए सिरे से करनी होगी कार्रवाई
माही की गूंज, पेटलावद ।
आदिवासी क्षेत्र में आने वाले प्रसाशानिक अधिकारियों द्वारा कई बार ऐसे नियम ओर कानून लाद दिए जाते हैं जिससे आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आम जनता का न केवल समय बल्कि पैसा भी बर्बाद होता है। सुशासन का दावा करने वाली भाजपा सरकार अपनी जनता को इस कदर कागजी कार्रवाई में उलझाए हुए है। ज्यादातर आम जनता, सरकारी कार्यालयो में कागज ही सही करवाते दिखाई देते हैं। फिलहाल मामला जाति प्रमाण-पत्र से जुड़ा है जिसको लेकर लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं। पेटलावद की नई आईएएस एसडीएम तनुश्री मीणा द्वारा जाति प्रमाण-पत्र के लिए जारी नए निर्देश के चलते लगभग 400 जाति प्रामाण-पत्र निरस्त होने की जानकारी मिली है।
1984 से पूर्व की नकल लगाओ, नही तो आवेंदन निरस्त
जाति प्रामाण-पत्र बनाने के लिए शासन ने अपनी गाइड लाइन जारी की हुई है जिंसमे कई तरह के दस्तावेजों को सलग्न करना होता है। प्रमाण-पत्र जारी करने का कार्य अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के पास होता है। जिन तक आवेंदन पहुँचने से पूर्व ग्राम पंचायत सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, पटवारी, कोटवार, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, वार्ड पंच, समाज प्रमुख, तड़वी, स्कूल आदि हस्ताक्षर होने के बाद प्रकरण अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के पास पहुँचता है। जिनकी जांच के बाद प्रमाण-पत्र जारी होता है। प्रमाण-पत्र में लगाये जाने वाले आवेंदन में आवेंदनकर्ता या उसके परिवार की कृषि खाता की नकल, मकान की रजिस्ट्री की कॉपी। या ये नही होने की दशा में शपथ-पत्र लगाने का प्रावधान हैं। जो कि लोग लगा रहे हैं लेकिन एसडीएम तनुश्री मीणा ने इसमें नया नियम जोड़ दिया। आवेंदनकर्ता का 1984 से पूर्व का प्रमाणित रिकॉर्ड लगाने का फरमान जारी कर दिया। चुकी पूर्व में वर्तमान खाता नकल ओर रजिस्ट्री की नकल होने पर प्रामाण-पत्र जारी हो रहे थे, इसलिए उसी अनुसार आवेंदन जमा किये जा चुके थे, उनको 1984 के पूर्व की नकल नही होने की स्थिति में आवेंदन निरस्त कर दिये गये। यही नही राजस्व रेकॉर्ड के अनुसार बनी वंशावली और दस्तावेजों में हेर-फेर होने की स्थिति में भी आवेंदन निरस्त किये गए।
मिली जानकारी के अनुसार, अब तक 350 से 400 आवेंदन निरस्त किये जा चुके हैं जो लोगो के लिए परेशानी का सबब बन गए।
45 दिनों की अवधि, प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करवाने के लिए होना पड़ता है परेशान
शासन के निर्देशानुसार जाति प्रमाण-पत्र बनने के लिए अधिकतम 45 दिन की अवधि दी गई है। जाति प्रमाण-पत्र जमा करने के लिए विभागों में अलग-अलग कम से कम दस लोगो के पास जाना होता है। खास कर पटवारी की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण होती है जो आवेंदनकर्ता के 1984 से पूर्व यहां निवासरत होने की दशा में ही पूरी वंशावली बनाकर हस्ताक्षर करता है। मतलब राजस्व रेकॉर्ड की पुष्टि के बाद ही पटवारी के पास से प्रकरण आगे बढ़ता है। तथा समस्त दस्तावेजों की जांच तहसीलदार द्वारा करने के बाद प्रकरण एसडीएम की और फारवर्ड होता हैं और 45 दिन की अवधि आवेंदनकर्ता को मिलती है। इसके बाद दस्तावेजो कि कमी बता कर आवेंदन निरस्त होने पर लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।
फिर से करनी पड़ती है कार्रवाई, पुरानी नकल के लिए समय और पैसा होता है बर्बाद
लगभग ढेड़ माह की परेशानी के बाद जब आवेंदन निरस्त होता है उसके लिए आवेंदनकर्ता को परेशान होना पड़ता है। नए निर्देश के अनुसार 1984 की नकल निकवाने के लिए 8 दिन अलग से परेशान होना पड़ता हैं और पैसे भी खर्च करना पड़ते हैं। इस आदिवासी अंचल में ज्यादातर गरीब वर्ग के लोग रहते हैं ओर इस प्रकार से आवेंदन निरस्त होने से समय और पैसे की बर्बादी करना पड़ती है। कई बार स्कूली बच्चों को प्रमाण-पत्र नही होने की दशा में परेशानीयो का सामना अधिक करना पड़ता है। तो कई बच्चे कॉम्पिटिशन एक्जाम से वंचित रह जाते हैं। वही कई सरकारी योजनाओं के लाभ में देरी या वंचित होना पड़ता है।
पूर्व एसडीएम ने भी निर्णय लिया था वापिस
इससे पूर्व भी आईएएस एसडीएम शिशिर गेमावत द्वारा जाति प्रमाण-पत्र के लिए 1959 के रिकॉर्ड जरूरी कर दिया था जिससे आम जन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। मामला सुर्खियों में आने के बाद एसडीएम में 1959 की नकल के प्रावधान को हटाया था और पटवारी द्वारा भरे जाने वाले फार्म के अतिरिक्त राजस्व रिकॉर्ड अनुसार वंशावली का एक और फार्म जोड़ा था। जिससे आवेंदनकर्ता के 1984 के पूर्व के रिकॉर्ड की जानकारी मिल सके। जो कि, अब भी आवेंदन के साथ पटवारी द्वारा राजस्व रिकार्ड के अनुसार भरा जा रहा है।
इस संबंध में भाजपा मंडल अध्यक्ष संजय कहार ने बताया कि, इस प्रकार की परेशानी होने की जानकारी मिली थी जिस पर एसडीएम से चर्चा की थी और उन्होंने आवेंदन निरस्त नही कर आवेंदन में जो दस्तावेज कम है उनकी पूर्ति कर उसी आवेंदन को यथावत रखने की बात कही, इस पर और प्रयास किये जा रहे हैं कि लोगो को कम से कम परेशानी हो।