माही की गूंज, संजय भटेवरा।
झाबुआ। पर्यटन विभाग द्वारा गत दिनों मध्य प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक गाना लॉन्च किया गया था। जिसमें मध्य प्रदेश को अजब-गजब बताकर मध्य प्रदेश की खूबियों को चित्रांकित किया गया था। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री अजब-गजब बयान देकर मध्य प्रदेश को महिमा मंडित करने पर तुले हुए हैं। पिछले दिनों मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने अजब-गजब बयान देकर न केवल अपनी वरन अपनी सरकार को भी हंसी का पात्र बनाया है। मंत्रीजी ने कहा कि, उनके क्षेत्र में लगभग 500 ऐसे शिक्षक है जिन्होंने पढ़ाने के लिए दूसरे व्यक्ति को रख रखा है और वे स्कूल नहीं जाते हैं। इनमें से 100 से अधिक को तो वे व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, ऐसा बयान देकर मंत्री जी क्या साबित करना चाहते हैं...? अगर वे ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई की मंशा रखते हैं तो कार्रवाई करेगा कौन...? वे स्वयं प्रदेश सरकार में मंत्री है और क्या मंत्री को इतना अधिकार नहीं है कि, वे लापरवाह शिक्षकों पर कार्रवाई के निर्देश अधिकारियों को न दे पाए...?
क्या मोहन राज में मंत्री इतने असहाय है कि, वे शासन-प्रशासन चलाने संबंधी सामान्य निर्देश भी नहीं दे सकते हैं। 100 से अधिक शिक्षकों के नाम व्यक्तिगत रूप से जानने के बाद भी आखिर किसके दबाव में आप कार्रवाई करने से डर रहे हैं ये जांच का विषय है।
दूसरा पहलू यह है कि अगर मंत्रीजी इस प्रकार सार्वजनिक रूप से अपने आप को असहाय पा रहे हैं तो आम जनता किसके भरोसे...? मंत्री पद पर रहते हुए पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी आपके कंधों पर है लेकिन आप अपने आप को अपने क्षेत्र में ही असहाय महसूस कर रहे हैं तो आम जनता की उम्मीदें आप किस प्रकार पूरा करोगे...?
कहते हैं कि, एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है और मंत्रीजी के कहे अनुसार ऐसा है तो ये पूरे शिक्षा जगत की बदनामी है। ऐसे शिक्षकों को तत्काल चिन्हित कर यथायोग्य कार्रवाई करना चाहिए। क्योंकि ये न केवल उन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है बल्कि प्रदेश और देश के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है और शिक्षक जैसे सम्मानीय पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है।