पशु चिकित्सालय परिसर में लगी दो सो के लगभग दुकानें
ग्राम पंचायत की हठधर्मिता की वजह से उठाना पड़ा भारी नुकसान, बिना योजना के बदल दिया हाट बाजार का स्थान
माही की गूंज , पेटलावद/बामनिया
गाव में शनिवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार में अलग ही नजारा देखने को मिला, जब हाट में सब्जी बेच रहे व्यापारीयो को अपनी सब्जी फ्री में बाटना पड़ी, फ्री सब्जी देने का कारण सब्जी सस्ती होना नही ग्राम पंचायत बामनिया की हठधर्मिता है जिसके चलते मजबूरी में हाट बाज़ार में आए सब्जी वालो ने फ्री में लोगो को अपनी सब्जियां बाट दी, फ्री में सब्जी बटी तो फिर कीमत से बेचने वालो की सब्जी बिकी भी नही। मामला ग्राम पंचायत बामनिया का है, जहां ग्राम पंचायत ने रात में अचानक हाट बाजार का स्थान परिवर्तन कर दिया, सुबह से ग्राम पंचायत के लोग हाट बाजार में आने वाले लोगो को नए स्थान पर भेजने में जुट गए वही एक दिन पहले पुलिस ने हाट में सड़क पर लगने वाली दुकानों को हाट के दिन नए स्थान पर जाने की हिदायद दी थी। नए स्थान पर दिन भर व्यापार नही होने पर कई सब्जी वालो ने ग्राम पंचायत के निर्णय के विरोध में सब्जी फ्री में बाट दी।
सब अलग-अलग बयान देते रहे, हाट बाजार का स्थान परिवर्तन के लिए किसी न नही दी जानकारी
मुख्य चौराहे पर ट्राफिक की समस्या से निपटने के लिए ग्राम पंचायत ने प्रशासन के साथ मिल कर मुख्य चौराहे और नारेला रोड़ पर लगने वाली दुकानो को शुक्रवार को पशु चिकित्सालय परिसर में व्यवस्था कर लगवा दी। जहा जगह और सरकारी भूमि पर कब्ज़ा मिलने के चक्कर मे 60 से 70 दुकानदारो की जगह 150 से 200 लोग अपनी-अपनी लारी लेकर पहुँच गए। इस दौरान जगह के चक्कर में लोगो के बीच मारपीट तक हो गई और पुलिस चौकी तक मामला पहुँच गया। इससे भी सबक नही लेते हुए पंचायत ने अगले दिन लगने वाला साप्ताहिक हाट बाजार भी उसी क्षेत्र में लगाने का निर्णय लिया और हाट के दिन बहार से आने वाली लगभग 300 दुकानो को भेज दिया। अव्यवस्था के बीच जिनको जगह मिली वो बैठ गया, जिसको जगह नही मिली वो खवासा हाट में निकल गया, तो कुछ सामान लेकर घर लौट गए। सबसे बड़ी बात ग्राम पंचायत ने हाट के स्थान परिवर्तन की कोई योजना न बनाई, न प्रशासन को जानकारी दी। खुद ग्राम पंचायत, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी गुमराह होते रहे और पूछने वालो को गुमराह करते रहे।
ग्राम पंचायत सरपंच का कहना था कि, हाट का स्थान नही बदला गया है, लेकिन हाट के दिन सुबह से पंचायत कर्मी दुकान नए स्थान पर ले जाने में जुटे रहे।
प्रभारी तहसीलदार जगदीश वर्मा ने भी हाट के सम्बंध में कोई जानकारी नही होना बताया ओर हाट को लेकर ग्राम पंचायत से बात करने को कहा। वही पशु चिकित्सालय के जिला अधिकारी को उनके परिसर में लगने वाली दुकानो की जानकारी तक नही थी, कुल मिला कर हाट बाजार की स्थिति साफ नही होने से व्यापारी दिन भर परेशान होते रहे है और नए स्थान की जानकारी नही होने के कारण दिन भर फ्री बैठे रहे और नुकसानी उठाकर घर जाना पड़ा।
चौराहे पर लग रहा था जाम, सब्जी और फ्रूट विक्रेता को करना था शिफ्ट
नगर के मुख्य चौराहे पर लग रहे जाम के कारण मुख्य चौराहे पर लगने वाली सब्जी और फ्रूट की हाथठेला का स्थान परिवर्तन किया जाना था, जिससे रतलाम-झाबुआ मार्ग पर वाहनों के जाम से निजात मिल सके। पहले भी इन दुकानों को अमरगढ़ रोड़ पर शिफ्ट की थी, लेकिन कुछ ही दिनों में सब्जी बाज़र पुनः चौराहे पर आ गया। मामला फिर से गरमाया तो इस क्षेत्र में ग्राम पंचायत ने अच्छी पहल भी की, लेकिन बिना किसी योजना के लोगो को दूसरी जगह भेज दिया जहा जमीन कब्जे के उद्देश्य से नगर सहित आसपास के कई गावो के ग्रामीण मौके पर दुकान के लिए जगह रोकने चले गए जिससे स्थिति बिगड़ गई। ऊपर से अचानक हाट परिवर्तन के निर्णय ने ग्राम पंचायत के बनी बनाई व्यवस्था पर पानी फेर दिया। वही व्यापारियों ने परेशान होने व सब्जिया नहीं बिकने के कारण फ्री में बाटनी पड़ी। अब रोज वाले दुकानदार अपने पुराने स्थान पर आने और हाट बाज़र वाले पुराने स्थान नारेला रोड पर ही दुकान लगने की स्थिति में नहीं होने के कारण बामनिया नहीं आकर खवासा हाट में जाने की बात कर रहे है। ग्राम पंचायत स्वयं क्या करना चाहती है उसे भी नही पता या कुछ लोगों को निजी आर्थिक नुकसान करने के उद्देश्य से मनमाने ढंग से दुकान शिफ्ट करने के नाम पर परेशान करना चाहती है ये आम जन को समझ नही आ रहा है।
फ्री में सब्जी बाटते सब्जी व्यापारी