माही की गूंज, मेघनगर
सिद्ध पीठ पीपलखुटा आश्रम में राम कथा श्रवण करने काफी संख्या में भक्तगण पहुंच रहे है। रामानुज जी के मुखारविंद से सिद्ध पीठ पीपलखूंटा में चल रहे रामकथा के सातवें दिन शुक्रवार को राम विवाह पश्चात सीता के जनकपुरी से अयोध्या ससुराल जाने का वर्णन बताते हुए धर्म अनुरागीयों को संबोधित करते हुए आचार्य रामानुज जी ने कहा कि, विवाह पश्चात जब बेटी की विदाई होती है तो वह क्षण हर कठोर पिता को भी रोने को विवश कर देता है। आचार्य ने माता सीता के ससुराल विदाई का वर्णन सुनाते हुए कहा कि, प्रत्येक माता-पिता के साथ सास-ससुर का भी या कर्तव्य होना चाहिए कि, वह अपनी बहू को भी बेटी के समान रखें तभी इस रामकथा का सुनना सार्थक होगा, तभी बेटियां अभिशाप नहीं वरदान साबित होगी। रामानुज जी ने भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुए कहा, देश में जहां नारियों का सम्मान होता है उसी घर में शांति स्थापित होती है। रामकथा मे वर्णित माता सीता के ससुराल जाने के प्रसंग को सुन व्यासपीठ के आचार्य श्री, जन समुदाय अपने आंसुओं को नहीं रोक सके। धर्म सभा को पीपलखूंट महंत दयाराम जी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर श्रीमंत महंत भरत दास जी महाराज चाडोद गुजरात, महंत बालक दास जी मंडाला, मधुसूदन दास जी महाराज बाबुल गुजरात व अन्य संत गण उपस्थित थे।