माही की गूंज, खच्चरटोडी
पर्यावरण को नुकसान न हो इस उद्देश्य से वनवासी सशक्तिकरण केन्द्र बडा घोसलिया के बच्चों ने करीब 3 हजार ईको- फ्रेंडली गणेशजी की प्रतिमा बनाकर तैयार कर दी। इन ईको- फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं को बनाने में 3 माह का वक्त लगा। मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा पर्यावरण के लिए अच्छी रहती है, मिट्टी से बनी इन गणेश प्रतिमाओं में निर्माण से लेकर रंग-रोगन तक किसी भी प्रकार के रसायन का प्रयोग नहीं किया गया है, इसलिये ये प्रतिमाएं पर्यावरण के बेहद अनुकूल है। इन प्रतिमाओं को रंग-रोगन करके अंतिम रुप दे दिया गया है। सेवा भारती के पदाधिकारी इन मुर्तियों को निर्धारित मुल्य पर झाबुआ की सभी तहसीलों मे पहुचा रहे है, अधिकाश मुर्तिया बुक हो गई है, मांग ज्यादा है लेकिन अब बनाना सम्भव नही है। सेवा भारती संस्था के पुर्णकालिक पीयुष साहु, रामसिंह निनामा ने केन्द्र में रह रहे बच्चों को मिट्टी के गणेश बनाना सिखाया।
सेवाभारती के पुर्णकालिक पीयुष साहु का कहना है कि, बाजार में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियां काफी मिल जाती हैं जो देखने में बहुत सुंदर लगती हैं लेकिन ये पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। इनमें प्रयोग होने वाला कैमिकल रंग जल को प्रदूषित करता है, साथ ही पीओपी पानी में घुलती भी नहीं है। जबकि मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होती हैं ये पानी में गल जाती हैं, साथ ही इनमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है जो जल को प्रदूषित नहीं करता है। इसके अलावा चीन ओर भारत मे तनाव की स्थिति को देखते हुए सशक्त व आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर आत्मनिर्भर बनने के लिये ये मिट्टी की मुर्तिया बनाई जा रही है।