माही की गूंज,। संजय भटेवरा
झाबुआ। पहले मुर्गी आई या अंडा की तर्ज पर अगर नया सिम कार्ड लेने जाओ तो आधार कार्ड मांगा जाता है। वही आधार कार्ड बनवाने जाओ तो मोबाइल नंबर मांगा जाता है...?
ये बात भले ही हास्य में अच्छी लगती है, लेकिन बात बहुत गहरी है। सिम कार्ड जारी करने के लिए सारे दस्तावेज मांगे जाते हैं। यानी सिम कार्ड लेने वाले की पूरी कुंडली मोबाइल कंपनी के पास रहती है। लेकिन इसके बावजूद देश भर में हजारों लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं...? लेकिन सरकार द्वारा इन पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया जाना इतना कठिन क्यों लग रहा है...? सरकार को इस पर कड़े निर्णय लेना चाहिए। लेकिन सरकार द्वारा इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मन की बात में डिजिटल अरेस्ट को लेकर लोगों से सावधान रहने की अपील कर रहे हैं। जबकि सरकार को इस मामले में तुरंत एक्शन लेना चाहिए और इस प्रकार के अपराध में लिप्त अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए।
क्या है डिजिटल अरेस्ट...
डिजिटल अरेस्ट साईबर धोखाधड़ी का एक नया तरीका है, जिसमें जालसाज कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर ऑडियो या वीडियो कॉल पर लोगों को डराते हैं और गिरफ्तारी के झूठे बहाने से उन्हें डिजिटल रूप से बंधक बनाते हैं।
डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है लेकिन इस तरह के बढ़ते अपराध की वजह से इस शब्द का जन्म हुआ है। पिछले तीन महीने में दिल्ली एनसीआर में 600 ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें लगभग 400 करोड रुपए की धोखाधड़ी हुई है। इसके अलावा कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें ठगी करने की कोशिश हुई है लेकिन सफल नहीं हुई है।
कैसे होती है डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत
डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत एक मैसेज या फोन कॉल के साथ होती है जिसमें जालसाज लोगों को फोन करके कहते हैं कि, वे पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से बात कर रहे। और कहते हैं कि, आपके पेन और आधार का इस्तेमाल करते हुए गैर कानूनी वस्तुएं खरीदी गई है या फिर मनी लांडिं्रग की गई है। कई बार वे खुद को कस्टम विभाग का अधिकारी बता कर प्रतिबंधित ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजों के पार्सल आने संबंधित कहानी भी गढ़ते हैं। यही नहीं कुछ मामलों में बाहर रहकर पढ़ाई कर रहे बच्चों के पालको से कहा जाता है कि, आपका बच्चा गैर कानूनी कार्यों में फस गया है और कैस रफा-दफा के नाम पर पैसे की डिमांड की जाती है। यही नहीं कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें ठग अपने आप को सरकारी विभाग का अधिकारी बनकर सरकारी कर्मचारियों को भी गुमराह कर देते हैं और बाद में पता चलता है कि वे ठगी का शिकार हो चुके है।ं यही नहीं इस डिजिटल अरेस्ट में बड़े-बड़े सरकारी अधिकारी तक इन जालसाजो की ठगी का शिकार हो चुके हैं। डिजिटल अरेस्ट में वीडियो कॉल करके सामने बैठे रहने को कहा जाता है और इस दौरान किसी से मिलने, मैसेज करने की अनुमति भी जालसाज नहीं देते हैं और जमानत के नाम पर पैसा ऑनलाइन जमा करवा लिया जाता है और लोग अपने घर में ही ऑनलाइन कैद हो जाते है,ं इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है।
क्या डिजिटल अरेस्ट में कोई सजा का प्रावधान है
इन मामलों में बहुत तरह की सजा हो सकती है। गलत डॉक्यूमेंट बनाने, लोगों से ठगी करने, सरकारी एजेंसी को गुमराह करने की सजा हो सकती है। इसके अलावा मनी लांडिं्रग हो रही है तो उसकी सजा, आईटी एक्ट के तहत सजा, ट्राई के कानून के तहत गलत सिम कार्ड लेने की सजा का प्रावधान है। हालांकि इसमें दिक्कत यह है कि, ऐसे मामलों में छोटी-छोटी मछलियां पकड़ में आती है और असल मास्टरमाइंड या बड़ी मछली विदेश में बैठी होती है और सरकार उन्हें पकड़ नहीं पाती है। सरकार को चाहिए कि, वे इन मामलों को गंभीरता से ले और मामले की तह तक जाए और इस इस प्रकार के अपराधों के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान रखें। क्योंकि इस प्रकार के मामले अब केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है छोटे-छोटे गांवो तक पहुंच चुके हैं। जहां जालसाज नए-नए तरीके अपनाकर आम लोगों को गुमराह कर रहे हैं और कई ठगी का शिकार भी हो जाते हैं। लेकिन भय के कारण मामला सामने नहीं लाते हैं।
कैसे बचे डिजिटल अरेस्ट से
डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए निम्न बातें ध्यान में रखें और अपना मानसिक संतुलन बनाए रखें।
1. साइबर अपराधी से संपर्क करने पर न तो जल्दबाजी करें और न ही डरे।
2. .कुछ भी करने से पहले शांति से थोड़ा सोचे।
3. अनजान नंबर से आने वाली फोन या वीडियो कॉल पर कोई भी व्यक्तिगत वित्तीय जानकारी साझा न करें।
4. दबाव में पैसे ट्रांसफर न करें, असली कानूनी एजेंसी कभी भी तुरंत पैसे ट्रांसफर करने का दबाव नहीं डालती है।
5. किसी भी अनजान नंबर से आए किसी भी लिंक पर क्लिक न करे।
6. अनजान नंबर पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी पेन, आधार या बैंक खाते की न दे।
7. पर्सनल डाटा और किसी भी ट्रांजैक्शन ऐप पर गोपनीय पासवर्ड लगा कर रखें।
8. कोई भी थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड न करें और न ही किसी अनऑफिशियल प्लेटफार्म से कुछ इंस्टॉल करें ।
एपीेके फाइलः पहले सोर्स देखें
शादी का सीजन चालू हो चुका है और कुछ लोग अपनी पत्रिका व्हाट्सएप पर भेज कर निमंत्रण दे देते हैं। ऐसे में जालसाज ने इसमें भी ठगी का तरीका ढूंढ निकाला है। जिसमें आपको एक फाइल प्राप्त होती है जिसको डाउनलोड करते ही आप ठगी का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में इस प्रकार की फाइलों को पहले आप ध्यान से देखें और भेजने वालों की व्यक्तिगत जानकारी देखकर पहले मामले की जांच कर ले।
एपीके फाइल में वायरस या मैलवेयर हो सकता है या फिर ठगी का तरीका इसके लिए एपीके फाइल को मेल या व्हाट्सएप पर डाउनलोड करने से बचे।