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आदिवासी युवा क्रांति संघ मध्यभारत ने भील कुल नी माता शबरी की जयंती मनाई
03, Mar 2024 1 year ago

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माही की गूंज, झाबुआ।

          भील आदिवासी समाज की महान विभूति भील समाज की पूर्वज प्रभु श्री राम भक्त माता शबरी भील का जन्मोत्सव मनाया। जिस तरह पूरा देश राममय हुआ, अयोध्या में प्रभू श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा हुई, जब-जब दुनिया प्रभू श्री राम का नाम लेगी, तब-तब भील समाज की माता शबरी को भी जानेंगे। कार्यक्रम की शुरुआत करने से पहले वरिष्ठ साधु संत व मुख्य वक्ताओं ने भारत माता एवं प्रभू श्री राम भक्त शबरी माता की तस्वीर पर माल्यार्पण किया।  

          आदिवासी युवा क्रांति संघ मध्यभारत के बैनर तले प्रखर राष्ट्रवादी आदिवासी समाज के मुख्य वक्ता राजेश डावर ने बताया कि, हमारे भील समाज की माता शबरी जिन्होंने तन मन धन सब कुछ त्यागकर प्रभु श्री राम की आराधना करी और प्रभु श्री राम उनसे मिलने खुद पैदल चलकर वन में उनकी कुटिया में पहुंचे माता शबरी के झूठे बेर खाएं, आज इतिहास में दर्ज है। माता शबरी और प्रभू श्री राम का मिलन भील समाज के वालिया (वाल्मिक ऋषि) भील ने रामायण लिखी। भील आदिवासी समाज गर्व करता है कि, आज इन महान विभूतियों ने हिंदू धर्म की अलख जगाई और पुरे आदिवासी समाज में भक्ति के मार्ग को आगे बढ़ाया। जब-जब पूरी दुनिया प्रभु श्री राम को जानेगी तब तक इन महान भील आदिवासी समाज के देवी देवताओं को भी जानेंगे।

          आदिवासी संत मनसुख महाराज ने कहा, हम कितने सौभाग्यशाली है की हज़ारों लाखों राजा महाराजाओं से न मिलकर प्रभू श्री राम वन में माता शबरी भील से मिले। उनको आशीर्वाद दिया और आज पूरा इतिहास गवाह है की आज हम शबरी माता की जयंती मना रहे।

          आदिवासी युवा क्रांति संघ के सस्थापक सदस्य राजेश मैडा ने मंच से माता शबरी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए संगठन के उद्देश्यों को बताया। उन्होंने कहा, आदिवसी समाज शिक्षा, स्वास्थ्य में पीछे जा रहा है। भील आदिवासी समाज के बाबा देव सावन माता मंदिर के जीर्णोद्धार करना एवं आदिवासी समाज में फेल रहें धर्मान्तरण को जड़ से खत्म करना है। आदिवासी युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। आदिवासी समाज के वीर क्रांतिकारी पूर्वजों को उनकी जयंती पर याद करना एवं उनके जन्मदिन पर कार्यक्रम करना है।

          आदिवासी संत रूपसिंग महाराज ने कहा, हमारी आदिम सनातन संस्कृति को हमे बचाकर रखना एवं डीजे जैसे घातक यंत्रों से आज की युवा पीढ़ी बर्बादी की ओर जा रही है, उन्हें रोकना चाहिए। ढोल, मांदल एवं आदिवासी समाज के रीतिरिवाजों, परंपराओ की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।

          संगठन के कार्यकर्ताओं ने भील आदिवासी समाज की सनातन संस्कृति के तहत माता शबरी जयंती पर बड़े ढोल, मांदल बजाए और माता शबरी को याद किया। कार्यक्रम में पधारे सभी वरिष्ठ जनों, संतजनों का आदिवासी युवा क्रांति संघ मेघनगर ब्लॉक अध्यक्ष गोविंद खड़िया ने सभी का आभार व्यक्त किया और मंच का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता मनीष मेडा ने किया।



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