माही की गूंज, झाबुआ।
शिक्षा का अर्थ ही है कि अच्छा ज्ञान और अच्छा ज्ञान हमेशा ही नियम पालन की अवधारणा पर आधारित है। सूर्य और चंद्रमा अपने नियमबद्धता के चलते ही पूजनीय है और नियम से चलने वाली हर चीज अनुकरणीय है। जहां नियम है वहा विश्वास अपने आप बढ़ता चला जाता है, लेकिन दूसरों को शिक्षा देने वाले खुद ही अपने ही बनाए नियम का पालन नहीं करेंगे तो इसे आप क्या कहेंगे....?
वह भी शिक्षा विभाग जैसे आम जनता से जुड़े विभाग में जो देश की भावी पीढ़ी को तैयार करता है और यही पीढ़ी आगे चलकर देश को चलाएगी।
हम बात कर रहे जनजातीय कार्य विभाग अंतर्गत आने वाले छात्रावास के अधीक्षकों की नियुक्ति संबंधी आदेश की। जिसमें नियमों को ताक में रखकर आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और मलाईदार पद पर अपने चहेतो की मनमाने तरीके से नियुक्ति की जा कर भ्रष्टाचार के रूप में छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक की जेबे भरी जा रही है।
जनजातिय कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास, आश्रम में अधीक्षक की नियुक्ति के संबंध में सामान्य नियम है कि, इस पद पर यथासंभव उच्च माध्यमिक शिक्षक के समकक्ष पद पर कार्यरत कर्मचारी को छात्रावास अधीक्षक का कार्य सोपा जा सकता है। यही नहीं छात्रावास अधीक्षक के पद पर कोई भी कर्मचारी 3 वर्ष से अधिक समय तक लगातार कार्य नहीं कर सकता है। लेकिन जिले के अधिकांश छात्रावासों में इन दोनों नियमों को ताक में रखकर मनमाने तरीके से न केवल नियुक्तिया की गई है, बल्कि अधिकांश छात्रवासो में कई अधीक्षक लंबे समय से अंगद के पांव की तरह जमे हुए हैं। आरटीआई कार्यकर्ता को सूचना के अधिकार के तहत 23 नवंबर 2023 को प्राप्त हुई जानकारी में अधिकांश जगह शासन के द्वारा तय नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है यह स्पष्ट रूप से सामने आया।
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने जिले में समस्त छात्रावासों में पदस्थ अधीक्षकों की जानकारी मांगी तो, देश के भविष्य विद्यार्थियों को ज्ञान देने वाले शिक्षक व अधिकारी ही सारे नियमों को ताक में रख उक्त पदों पर मनमानी सामने आई है। कार्यालय आयुक्त जनजाति कार्य विभाग भोपाल द्वारा छात्रावासो में की जा रही भर्ती की अनियमितताओं की शिकायतों पर पत्र क्रमांक 164/23255 13 सितंबर 2017 को जारी आदेश में भी उल्लेख किया गया कि, संदर्भित पत्रों का अवलोकन करें जिसके द्वारा समय-समय पर अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रावास, आश्रमों में पूर्णकालिक अधीक्षको, संविदा शिक्षक, अधीक्षक के पद पर शिक्षकों की पद स्थापना किए जाने के दिशा निर्देश जारी किए गए है। परंतु आप के द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है पत्र में दर्शाया गया है।
साथ ही आदेश में लिखा गया कि, अधीक्षकों की पद स्थापना के संबंध में पूर्व में जारी निर्देशों एवं अतिरिक्त जारी किए जा रहे निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना सुनिश्चित करें। आदेश में उल्लेख किया गया कि, उच्च माध्यमिक स्तर, सविदा शिक्षक वर्ग-2 के शिक्षकों की छात्रावास, आश्रम में अधीक्षक पद हेतु अधिकतम तीन वर्ष की अवधि के लिए पदस्थ किया जाए। तीन वर्ष की पदस्थापना के उपरांत अधीक्षकों को पुनः अपने स्कूल शालाओं में पदस्थ किया जाए और उसके बाद कम से कम तीन वर्ष के बाद ही उक्त शिक्षक की पदस्थापना अधीक्षक के रूप में किया जा सकता है आदेश जारी हुए। लेकिन झाबुआ जिले में ऐसे आदेशों का कोई महत्व नहीं है यह देखा जा सकता है।
23 नवंबर 2020 से 23 नवंबर 2023 तक के मध्य इन तीन वर्षों में पदस्थ अधीक्षक 55 के करीब है जिसमें 40 से अधिक प्राथमिक स्तर के शिक्षक संविदा वर्ग 1 या फिर सहायक शिक्षक की पदस्थापना की गई है।
वहीं तीन वर्ष से अधिक जिसमें एक ही स्थान पर ऐसे भी कई छात्रावास है जिसमें सारे नियमों व आदेशों को ताक में रख 3 वर्ष से अधिक समय से लेकर 15 से 20 वर्ष के मध्य तक छात्रावासों में अधीक्षक के रूप में पदस्थ है। वहीं सूचना अधिकार में प्राप्त जानकारी में 12 ऐसे शिक्षकों की पदस्थापना है जिसमें आदिम जाति कल्याण विभाग मध्य प्रदेश शासन के मंत्री या प्रभारी मंत्री के आदेश पर जनजाति कार्यालय झाबुआ ने आदेश जारी किया। जिसमें अधीक्षकों को पदस्थ किया गया जो तीन वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक छात्रावास के अधीक्षक पदों पर जमे हुए हैं। उक्त आदेशों में भी प्राथमिक स्तर के शिक्षक, अधीक्षक पद पर पदस्थ है।
वहीं इसके अलावा भी 65 से अधिक ऐसे शिक्षक है जो तीन वर्ष से लेकर 15 से 20 वर्ष के मध्य तक अपने पद पर आसीन है। जिसमें भी गिनती के ही माध्यमिक स्तर, वर्ग 2 के या उच्च शिक्षक पदस्थ है। बाकी प्राथमिक स्तर के ही शिक्षक वर्ग एक, सहायक शिक्षकों को नियम के विरुद्ध अधीक्षकों के पद पर स्थापित कर रखे है।ं ऐसे में दूसरों को शिक्षा देने वाले शिक्षक व संबंधित विभाग खुद ही अपने ही बनाए नियमों का पालन नहीं करेंगे तो हमारे देश का भविष्य किस दिशा में जाएगा...? यह समझा जा सकता है।
इस तरह के आदेषो का कोई महत्व नही है कार्यालय कलेक्टर (जनजातीय कार्य विभाग) झाबुआ को, इसलिए आदेषो को ताक में रख कर रहे अपनी मनमानी।