माही की गूंज, थांदला।
आज की युवा पीढ़ी, 2047 में देश व समाज का परिपक्व जिम्मेदार नेतृत्व करने वाली है। उन्हें आज यह मनन- चिंतन करना है कि 2047 का भारत आज के भारत से किस प्रकार अलग होगा? उसे समय के हमारे लक्ष्य क्या होंगे और हम उन्हें कैसे प्राप्त करेंगे? इन्हीं बिंदुओं पर "विकसित भारत - 2047 युवाओं की आवाज" की परिकल्पना पर महाविद्यालय में परिचर्चा आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता करते हुए प्रभारी प्राचार्य डॉ. पीटर डोडियार ने उक्त विचार व्यक्त किये। प्रो. एस. एस. मुवेल ने बताया कि हम विकसित भारत की तुलना किस देश व किन परिस्थितियों के संदर्भ में करते हैं, यह महत्वपूर्ण है। जिस देश में जीवन प्रत्याशा अधिक है जैसे कि जापान में, वहां पर रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाता है। 2047 तक देश के प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से इन पांच मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना विकसित भारत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण बिंदु है।
डॉ. मीना मावी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि, विकसित भारत की परिकल्पना तभी सरकार हो सकेगी जब देश का प्रत्येक नागरिक अपनी रुचि, योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए स्वयं को विकसित होने का प्रयास करें। एक व्यक्ति के विकसित होने से, एक परिवार विकसित होगा। एक - एक परिवार के विकसित होने से गांव में विकसित होगा और गांव विकसित होने से भारत विकसित होगा। दिनेश मोरिया ने बताया कि यदि हम अपने आसपास, स्थानीय स्तर पर आज की आवश्यकता के अनुसार स्वरोजगार के अवसर तलाश कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
इस परिचर्चा में डॉ. सुनीता राज सोलंकी, डॉ. मंजुला मंडलोई, प्रो. रितु राठौर, श्रीमती नेहा वर्मा, डॉ. दीपिका जोशी सहित अन्य प्राध्यापकों ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर प्रो. विजय मावी, प्रो. सी. ए. चौहान, डॉ. आर एस चौहान, डॉ. राकेश चौरे प्रो. के एस डोडवे, विजय मावड़ा, दलसिंह मोरी, रमेश डामोर, विक्रम डामोर सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे परी चर्चा के पश्चात विद्यार्थियों को प्रो. हिमांशु मालवीया के मार्गदर्शन में विकसित भारत 2047 के माध्यम से जुड़ा तथा इस ऐप के माध्यम से अपने विचार, सलाह, सुझाव इत्यादि प्रेषित करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. छगन वसुनिया ने किया।