माही की गूंज, संजय भटेवरा
झाबुआ। गालिब का यह शेर वर्तमान में कांग्रेस पार्टी पर सटीक बैठता है कि,''ग़ालिब ताउम्र ये भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी आईना साफ करता रहा'' पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में हारने के बाद बुलाई गई समीक्षा बैठक में हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़कर महज कुछ सेकंडों में हर विधानसभा का विश्लेषण किया गया। भारत में चुनाव आयोग के माध्यम से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव किए जाते हैं और ईवीएम में खराबी का दोषारोपण यानी चुनाव आयोग को दोष देता है। ऐसे में चुनाव आयोग को तय करना चाहिए कि, इस तरह के आरोपों का जवाब किस तरह दिए जाएं। आयोग द्वारा एक से अधिक बार राजनीतिक दलों से यह कहा जा चुका है कि, अगर वे ईवीएम में किसी भी तरह की गड़बड़ी की पुष्टि कर सकते हैं तो प्रमाण आयोग को उपलब्ध करवाए, आयोग हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। बावजूद इसके कोई भी राजनीतिक दल ईवीएम में गड़बड़ी संबंधी कोई प्रमाण आयोग को पेश नहीं कर पाया है। ऐसे में हर चुनाव में ईवीएम के दोषारोपण पर आयोग को नियमानुसार कार्यवाही करना चाहिए।
चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष
भारत में किसी भी क्षेत्र में चुनावो की तारीखों के ऐलान के साथ ही आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो जाती है और पूरा प्रशासनिक अमला चुनाव आयोग के अधीन हो जाता है। किस मतदान केंद्र पर कौन सी मशीन जाएगी इसका निर्धारण रैण्डमली होता है। यही नहीं किस मतदान केंद्र पर कौन-कौन से कर्मचारी रहेंगे इसका निर्धारण भी रेण्डमली किया जाता है और इसका पता संबंधित कर्मचारियों को मतदान के एक दिन पूर्व ही चलता है जब वह चुनावी ड्îूटी के लिए पहुंचता है। इसके अलावा भी मतदान के दिन वास्तविक मतदान के पहले संबंधित राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष प्रत्येक मतदान केंद्र पर दिखावटी मतदान (मॉक पोल) किया जाता है। जिसमें संबंधित क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीद्वार को समान रूप से न्यूनतम 50 वोट दिए जाते हैं। उसके पश्चात उम्मीद्वारों के एजेंट के समक्ष ही रिजल्ट दिखाया जाता है। वीवीपेट में निकाली गई पर्चियों से मशीन के रिजल्ट का मिलान किया जाता है, उसके पश्चात मशीन को क्लियर कर उसमें डाले गए मतों की संख्या शून्य दिखाकर एजेंटो के हस्ताक्षर लेकर मशीन को निर्वाचन आयोग द्वारा दी गई नंबर युक्त सील से सील किया जाता है। मशीन का नंबर व सील का नंबर एजेंटो को नोट करवाया जाता है। उसके पश्चात मतदान प्रारंभ किया जाता है। यही नहीं मतदान के दौरान अगर किसी मतदाता को यह लगता है कि, उसके द्वारा दबाए गए बटन के नाम व चिन्ह वाली पर्ची वीवीपेट में नहीं गिर रही है ता,े वह इसकी शिकायत संबंधित मतदान केंद्र पर कर सकता ह। ऐसी स्थिति में आयोग द्वारा निर्धारित नियमानुसार टेस्ट वोटिंग करवाई जा सकती है। अगर मतदाता का दावा सही निकलता है तो, तत्काल मतदान को रोक दिए जाने के नियम है। वहीं अगर मतदाता का दावा गलत निकलता है तो उसे हवालात की हवा खाना पड़ सकती है। मतदान समाप्ति के पश्चात कुल डाले गए मतों का विवरण पीठासीन अधिकारी द्वारा संबंधित एजेंट को दिया जाता है और एजेंट के समक्ष ही ईवीएमको सील्ड किया जाता है, जिस पर एजेंट के हस्ताक्षर के साथ ही आयोग द्वारा दी गई नंबर युक्त सील लगाई जाती है। उसके पश्चात सभी सामग्री को उम्मीद्वार के समक्ष स्ट्रांग रूम में रखा जाता है ।तथा उस पर मतगणना तक लगातार कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही कैमरे की नजर भी रहती है। वही मतगणना के दौरान सबसे पहले उम्मीद्वार या उसके प्रतिनिधि को एजेंट के हस्ताक्षर युक्त सील्ड मशीन दिखलाई जाती है। उसके पश्चात पारदर्शी तरीके से रेण्डमली नियुक्त कर्मचारी, अधिकारियों तथा आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षको की निगरानी में मतगणना की जाती है। अब इस पूरी व्यवस्था में ईवीएम में छेड़खानी कैसे की जा सकती है...? इतनी चाॅक-चैबंद व्यवस्था के बीच अगर कोई व्यक्ति ऐसा दावा करता है तो वो सबूत दे या फिर आयोग उस पर विधि सम्मत कार्यवाही करें... क्योंकि प्रजातंत्र में निर्वाचन प्रक्रिया को बार-बार चेलेंज दिए जाने व आयोग द्वारा कोई कार्यवाही न करने पर आयोग की छवि को नुकसान होता है। बेहतर यही होता कि, कांग्रेस ईवीएम पर आरोप लगाने के बजाय खुद के द्वारा की गई गलतियों को सुधार करें और आगामी चुनाव बेहतर तैयारी के साथ मुद्दे के आधार पर लड़े।