माही की गूंज, झाबुआ।
चुनाव लोकतंत्र का महत्वपूर्ण त्यौहार है चुनाव का नाम सुनते ही प्रशासनिक अमला अलर्ट हो जाता है और प्रत्येक काम में लेट लतीफी से बदनाम प्रशासनिक मशीनरी चुनाव के नाम पर अलर्ट हो जाती है। तथा सरकारी कार्यालय में चुनाव के नाम पर कोई भी कार्य द्रुरुत गति से होता है। सरकार के सभी विभागों द्वारा जारी पतो पर चुनाव तत्काल लिखा रहता है और सरकारी कार्यालय में फाइलें तेजी से दौड़ती रहती है। यही नहीं सरकारी कार्यालय में चपरासी से लेकर अधिकारी तक सभी अलर्ट मोड पर रहते है। इसको देखकर आम जनता ये सोचती है कि, चुनाव तत्काल में सरकारी कार्यालयो में इतना जल्दी काम होता है तो आम दिनों में क्यों नहीं होता है...?
आचार संहिता
चुनावी घोषणा के साथ ही एक शब्द सबसे ज्यादा प्रचलित है आचार संहिता यह आचार संहिता क्या है..? किसी व्यक्ति, दल या संगठन के लिए निर्धारित सामाजिक व्यवहार, नियम एवं उत्तरदायित्व के समूह को आचार संहिता कहते हैं। भारतीय संविधान में लोकतंत्र के स्वतंत्र और निष्पक्ष व भयरहित चुनाव के लिए राजनीतिक दलों, सरकारी कर्मचारी व आम जनता के लिए कुछ नियम बनाए है इनको आचार संहिता कहा जाता है। और ये आचार संहिता चुनावी घोषणा के साथ ही लागू हो गई है। इस आचार संहिता के मुख्य बिन्दु है चुनाव आचार संहिता की अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता है। सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा। सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा। किसी भी तरह की सरकारी योजनाएं, लोकापर्ण, शिलान्यास या भूमि पूजन भी नहीं कर सकते हैं। यदि कोई राजनीतिक पार्टी चुनावी रैली या जुलूस निकालना चाहती है तो उसे प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य है। प्रशासन कुछ शर्तों के साथ अनुमति जारी करता है। कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकता। चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी व्यक्ति के निजी जमीन पर या घर कार्यालय की दीवार पर बिना उसकी अनुमति के बैनर पोस्टर या झंडा नहीं लगा सकता है। राजनीतिक दल मतदाताओं के लिए मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए अपनी गाड़ी की सुविधा भी नहीं दे सकते हैं। राजनीतिक दल किसी भी मतदाता को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए डरा या धमका नहीं सकते हैं।
यही नहीं आचार संहिता के दौरान सभी प्रशासनिक गतिविधियों निर्वाचन आयोग के अधीन आ जाती है। आचार संहिता चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद हटाई जाती है।
आचार संहिता का आम नागरिक पर प्रभाव
आचार संहिता के दौरान आम नागरिक पर सीधा असर नहीं होता है लेकिन नए शासकीय कार्य नहीं होते हैं लेकिन पुराने चलते रहते हैं। तमाम सरकारी कार्यालय निर्धारित समय पर खुले रहते हैं। प्रत्येक मंगलवार को जिला स्तर पर होने वाली जनसुनवाई स्थगित कर दी जाती है। पूरा प्रशासनीय अमला चुनावी मोड पर अलर्ट रहता है। आचार संहिता लगने का मूल उद्देश्य आम मतदाता भय रहित होकर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में अपनी भागीदारी निभाए। कुल मिलाकर आचार्य संहिता के दौरान निर्वाचन आयोग को वे सारी शक्तियां प्राप्त है जो क्रिकेट मैच के दौरान अंपायर को प्राप्त है। जिस प्रकार अंपायर तटस्थ होकर मैच का संचालन करता है उसी प्रकार निर्वाचन आयोग तटस्थ रहकर सारी चुनावी प्रक्रिया का संचालन करता है।