विपक्ष और सरकार दोनों है बेकरार
माही की गूंज, संजय भटेवरा।
चुनाव सर पर आते ही अचानक सभी राजनीतिक दलों में अपने आप को महिलाओं को ज्यादा हितेषी बतलाने की होड़ सी मच गई है। एक और जहां कांग्रेस ने महिलाओं को प्रतिमाह 15 सौ रूपये महीना देने की गारंटी दी थी और अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से आवेदन भी भरवाए थे। उसके ऊपर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए लाडली बहना योजना लॉन्च कर दी और प्रतिमाह 1 हजार रूपये से आरंभ कर इसे 3 हजार रूपये तक करने का आश्वासन दिया है। वर्तमान में 1250 प्रतिमाह दिया जा रहा है और चुनाव की आचार संहिता के पूर्व इसे 15 सो रुपए प्रतिमाह करने की सुगबुगाहट है। यही नहीं केंद्र भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने भी इस मामले में एक कदम आगे बढ़ते हुए 27 वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को नाम बदलकर नारी शक्ति वंदन अधिनियम बनाकर इसे दोनों सदनों से पास भी करवा लिया और इस बिल पर चर्चा के दौरान सभी दल नारियों का सम्मान करते दिखाई दिए। वरन अपने आप को अन्य दलों से ज्यादा नारी हितेषी बतलाते नजर आए।
इस गहमा-गहमी में एक बात तो तय है कि, सभी दल केवल और केवल देश की आधी आबादी के वोट पाने की जुगाड़ में दिखाई दे रहे है। अब जबकि मध्य प्रदेश सहित चार अन्य राज्यों में चुनावी आचार संहिता कभी भी लग सकती है। वहीं आगामी लोकसभा चुनाव में भी 6 माह से कम समय बचा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों द्वारा महिलाओं के वोट पाने के लिए कई लोग लुभावना घोषणा की जा रही है। मध्य प्रदेश में तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना के बाद लाडली बहनों को उज्जवला गैस सिलेंडर 450 रुपए देने व लाडली बहन का मुफ्त आवास देने जैसी घोषणा भी की है। अब देखना यह है कि, देश के आधे वोटरों से पूरे वोट की इच्छा रखने वाले दलों में सफलता किसे मिलती है। क्योंकि नारी से नारी के मन की बात जानना मुश्किल है ये तो ईवीएम मशीन ही बताएगी।