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सफलतम 5 वर्ष पूर्ण
झाबुआ जिले जैसे आदिवासी अंचल में अखबार चलाने का विचार करना ही अपने आप में बहुत ही बड़ी बात होती थी और वह भी वर्तमान डिजिटल युग में प्रिंट मीडिया का अखबार चलाना अपने आप में लोहे के चने चबाने जैसा कार्य था। लेकिन माही की गूंज की दृढ़ इच्छा शक्ति और आम जनता के स्नेह और आशीर्वाद से यह मुश्किल काम भी आसानी से हो पाया है। क्योंकि दिल्ली-भोपाल में बैठकर प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलने या लिखना आसान कार्य है लेकिन जिले के छोटे से छोटे गांव में रहकर वहां के सरपंच, सचिव या अन्य नेता, अधिकारी या जनप्रतिनिधि के बारे में लिखना बहुत ही मुश्किल कार्य है। माही की गूंज टीम ने न केवल इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया है, बल्कि भय... भूख... अन्याय.... भ्रष्टाचार... के खिलाफ लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ की यह यात्रा आज 5 वर्ष पूर्ण कर छठवें वर्ष में प्रवेश कर रही है। किसी भी कार्य के आकलन के 5 वर्ष का समय कम नहीं होता है और हमारे संवैधानिक प्रावधान के अनुसार जनप्रतिनिधियों और सरकारों का कार्यकाल भी 5 वर्ष ही होता है। उस हिसाब से देखे तो माही की गूंज ने अपने 5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण कर लिया है। इन 5 वर्षों में माही की गूंज ने जिला स्तर से ऊपर उठकर प्रादेशिक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। जनता का विश्वास जीता है। वहीं अन्याय और शोषण के खिलाफ अपने तेवर तेज किए हैं। जिसका प्रतिफल यह है कि, शासन और प्रशासन में बैठे नुमाईंदे के मन में माही की गूंज का डर है और यह डर उन्हें गलत और नियम विरुद्ध कार्य करने से रोकता है। वही आम जनता के मन में माही की गूंज के प्रति विश्वास की डोर मजबूत हुई है।
इन वर्षों में अगर हम देखे तो माही की गूंज ने भ्रष्टाचारियों और माफियाओं की नींद हराम कर दी है। चाहे वह भू-माफिया हो, खनन माफिया हो, डीजल माफिया हो, शराब माफिया या फिर शासन-प्रशासन द्वारा की गई मनमानी हो माही की गूंज ने अन्याय व अत्याचार के खिलाफ बेबाकी के साथ सच लिखा है और इस सच को हमारे पाठकों के साथ आम जनता ने पसंद भी किया है और सराहा भी है।
अविभाजित झाबुआ जिले की पत्रकारिता जगत के पितृ पुरुष स्वर्गीय यशवंत जी घोड़ावत की प्रेरणा से प्रारंभ हुआ यह सफर अब कारवा बनता जा रहा है। माही की गूंज ने न केवल पत्रकारिता जगत में भ्रष्टाचार को जनता के सामने रखा है, वरन कई मोको पर अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां का भी भलीभांति निर्वाह किया है। कोविड जैसे महामारी के दौर में माही की गूंज ने पत्रकारिता के साथ अपने मानवीय गुणधर्म का निर्वहन करते हुए सरकार के साथ लॉकडाउन के पालन में व टीकाकरण प्रोत्साहन में अपनी महती भूमिका निभाई। यही नहीं समाज की प्रतिभाओं को उचित सम्मान देने के उद्देश्य से माही की गूंज द्वारा प्रतिवर्ष स्वर्गीय यशवंत घोड़ावत जी की स्मृति में प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किया जाता रहा है।
इन 5 वर्षों के कार्यकाल में कई उपलब्धियां रही। साथ ही कई संकल्पो और जन आकांक्षाओं को पूरा किया जाना शेष है। फिर भी इन 5 वर्षों में माही की गूंज ने सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं। इस अवसर पर सभी प्रभुत्वजनों, पाठकों, विज्ञापन दाताओ और शुभचिंतकों का हृदय से आभार...
साथ ही इसी जोश और उमंग से छटवे वर्ष में भी यह कलम अनवृत चलती रहेगी... न थकेगी... न झुकेगी... और न ही थमेगी... आप सभी का आशीर्वाद और स्नेह इसी प्रकार मिलता रहेगा... इन्ही आशाओं के साथ
माही की गूंज परिवार