माही की गूंज, थांदला।
सांवरिया सेठ मंदिर पर गवली समाज द्वारा अपना पारंपरिक त्यौहार भुंजरिया पर्व बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। नाग पंचमी के दिन से इस पर्व की शुरुआत होती है, जिसमें समाज की महिलाएं एवं बालिकाएं खेतों से मिट्टी लाकर टोकरी में भुंजरिया बोती है। इन भुंजरिया को पानी से सींचने के साथ अपने घरों में झूला बांधकर झुलाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि, जितनी बड़ी भुंजरिया होगी उतनी ही क्षेत्र में वर्षा होगी फसल उत्पादन व्यापार व्यवसाय भरपूर चलेगा। इन भुंजरिया को समाज जन राखी के दूसरे दिन अपने विधि विधान से पूजा अर्चना करने के पश्चात सांवरिया सेठ मंदिर पर एकत्रित हुए, जहां से विशाल चल समारोह का आयोजन किया गया। चल समारोह में बैंड बाजे के साथ बग्गी में राधा कृष्ण की फोटो के साथ भुंजरिया रखी हुई थी। सांवलिया सेठ से अंबे माता मंदिर, आधा चौक, पीपली चौराहा, कुमार वाडा, गांधी चौक, पुराना पोस्ट ऑफिस चौराहा होते हुए भुजरिया को पूरे नगर का भ्रमण करने के पश्चात पद्मावती नदी घोड़ा कुंड स्थित घाट पर विसर्जन किया। मुख्य आकर्षण का केंद्र समाज जनों के पारंपरिक वेशभूषा और अपना पारंपरिक नृत्य डांडिया रास जहां महिलाओं ने भी गरबे से लोगों को आकर्षित किया। समस्त समाजजन अंत में सांवलिया सेठ मंदिर पर एकत्रित होकर प्रभु के चरणों में प्रसाद स्वरूप भुंजरिया अर्पित कर वरिष्ठ जनों ने आपस में गले मिलकर एक-दूसरे को बधाई दी तथा युवा लोगों ने वरिष्ठ चरणों के शरण में स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में गवली समाज युवा समिति का सराहनी योगदान रहा।