माही की गूंज, झाबुआ/पिटोल।
सरकार एवं उनका तंत्र कन्याओं को शिक्षण सुविधाओं व छात्रावासों में संपूर्ण सुविधाएं मुहैया कराने के लाख दावे कर ले किंतु हकीकत इससे कुछ अलग है। जिसका ज्वलंत उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब पिटोल के कन्या शिक्षा परिसर में सत्र चालु होने के डेढ माह बाद तक उसके ताले तक नहीं खुले। अधिक्षिका के छुट्टी पर होने के कारण इस दौरान न तो वहां कोई नवीन पद स्थापना की गई न वहां का किसी को चार्ज दीया गया। नतीजा यह हुआ कि वहां रहने वाली 50 छात्राऐं कई किलोमीटर दूर से स्कुल आना जाना करती रही। इस मामले को लेकर माही की गूंज वेब न्यूज़ पोर्टल पर प्रमुखता से खबर को प्रकाशित किया गया था।
मामला प्रकाश में आने के बाद आनन-फानन में स्कुल में अधिकारीयों का दल पहुंचा। मामले की जांच की उसके बाद शनिवार को जनजातीय कार्य विभाग के मंडल संयोजक जयनारायण वैरागी ने यहां पहुंच कर व्यवस्था को दुरुस्त करवाया व छात्राओं के लिये राशन बुलवाकर छात्राओं को सूचना करवाई कि अब वे छात्रावास में रह सकती है। दरअसल, यहां पदस्थ अधीक्षिका की हाथ में फ्रेक्चर हो जाने के कारण वह दो माह के अवकाश पर थी। यह था मामला। जिला मुख्यालय से महज 17 किमी दूर यानी यहां पहुंचने में मात्र 20 मिनट लगते है। यहां का जनजातीय सीनियर कन्या छात्रावास डेढ माह से बंद पड़ा था वह भी इसलिये कि यहां की अधिक्षिका अवकाश पर थी। अफसरों ने किसी दूसरे कर्मचारी को अधीक्षक बना के नहीं भेजा। रहा सहा अनुपस्थित अधीक्षिका को एक अन्य छात्रावास का भी प्रभार भी दे दिया। चार्ज लेने से हर्षित अधीक्षिका तत्काल एक माह की छुट्टी भी निरस्त करवा ली। अन्दर ही अन्दर क्या खिचडी पक रही थी कि खंड शिक्षा अधिकारी नें इसकी जानकारी अफसरों को भी नहीं दी।
शुक्रवार को सहायक आयुक्त ने टीम भेजकर जांच करवाई। जांच रिपोर्ट के बाद शनिवार को मंडल संयोजक ने छात्राओं के लिये छात्रावास चालु करवाने की कवायदें कर उन्हें सुचना भेजी। अब छात्राऐं सत्र प्रारम्भ होने के डेढ माह बाद चरमराई सरकारी सुविधाओं के बीच अपना अध्ययन जारी रखेगी।
जांच में इस पर भी होगी नजर...!
मंडल संयोजक वैरागी ने बताया कि, अधीक्षिका ने नियमानुसार अवकाश लिया भी या नही। ओर अगर लिया तो अधिकारीयों नें यहां के लिये वेकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की। बताया जा रहा है कि प्राचार्य मालवी में 6 आर्डर अलग अलग कर्मचारीयों के लिये निकाले किंतु किसी एक ने भी इस जिम्मेदारी को संभालना क्यों स्वीकार नहीं किया।
वर्ष 2021 में पदस्थ अधीक्षिका नीता बिलवाल का प्रशासनिक स्थानांतरण विकासखंड झाबुआ अंतर्गत कन्या आश्रम पिटोल से माध्यमिक विद्यालय बिसौली (कल्याणपुरा) किया गया था। वर्ष 2022- 23 में फिर से अधीक्षिका बनाकर भेजा गया। पर वह घर बेठकर शासकीय टेबलेट से जानकारीयां देती रही। फिर छात्रावास में उपस्थित क्यों नहीं हुई। खाद्ययान रजिस्टर 2020-23 का वहां क्यों उपलब्ध नहीं था। मंडल संयोजक वैरागी ने कहा की जांच में यह भी देखा जाएगा की छात्रावास में लगे 8 सीसीटीवी केमरों में से एक भी चालु क्यों नहीं है। आश्रम बंद होने की दशा में छात्राओं के उपस्थित रहने की इंट्री तो नहीं की गई। राशन, पानी, के साथ ही छात्राओं के लिये लगने वाली अन्य आवश्यक सामग्रीयों का क्रय किया जाना तो नहीं बताया गया। अवकाश के दौरान हाजरी रजिस्टर में उपस्थिती हस्ताक्षर का होना। चोकीदार, रसोईयन व दुसरे कर्मचारी इस दौरान कौन सा काम करते रहे।
इधर पालकों में रोष है कि शासन जब उनके बच्चों को हर संभव सुविधा मुहैया करवा रहा है तो प्रशासकीय स्तर पर इतनी लेटलाली क्यों हो रही है। पिटोल हायर सेकेण्डरी के प्राचार्य भी महिने में एक या दो बार आते है बाकी समय वे बाहर रहते है तो आखिर कैसे चलेंगे स्कुल ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की है कि, जिन जवाबदार अधिकारियों की लापरवाही से बच्चे परेशान हुए है उन पर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।