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अधिकारीयो की लापरवाही से छात्रावास समय पर नहीं हुआ प्रारंभ
28, Jul 2023 9 months ago

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जिम्मेदार मौन… छात्राएं हो रही परेशान...

माही की गूंज, झाबुआ।
          जिले का जनजाति कार्य विभाग अपनी मनमानी कार्यशैली के लिए और कर्मचारियों की गैर जिम्मेदराना कायप्रणाली के लिए जाना जा रहा है। जनजाति कार्य विभाग झाबुआ द्वारा विशेष रूप से अधीक्षीका नीता बिलवाल को उपकृत किया जा रहा है। जबकि उनके द्वारा छात्राओं व शासन की योजना अंतर्गत छात्रावास को समय पर प्रारंभ नहीं किया गया। जिससे छात्राओं में छात्रावास प्रारंभ को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है और जानकारी के लिए भटक रही है, वहीं जिम्मेदार अधिकारियों ने भी छात्रावास प्रारंभ को लेकर कोई तत्परता नहीं दिखाई।
          जानकारी अनुसार वर्ष 2021 में उक्त नीता बिलवाल का प्रशासनिक स्थानांतरण विकासखंड झाबुआ अतर्गत कन्या आश्रम पिटोल अधीक्षिका से मा.वि. बिसौली किया गया। नवीन आदेश अंतर्गत 2022-23 में पुनः सीनियर कन्या छात्रावास पिटोल की अधीक्षिका बनाकर भेज दिया गया। वर्तमान सत्र 1 जुलाई से प्रारंभ हो गया है। लेकिन आज दिनांक तक उक्त अधीक्षिका ने छात्रावास प्रारंभ नहीं किया था। दुर दराज से पढ़ाई करने वाली छात्राओं को शासन द्वारा प्रदान की जा रही छात्रावास सुविधा से वंचित किया गया। वही अधीक्षीका द्बारा हाथ फ्रैक्चर होने पर 2 माह का मेडिकल अवकाश ले लिया गया। किंतु जब शासन मेहरबान तो फिर क्या एक और चमत्कार हो गया। उक्त महिला द्वारा कन्या छात्रावास को प्रारंभ नहीं किया गया और एक नया स्वैच्छिक आदेश शासकीय कन्या आश्रम पिटोल का लेकर आ गई व चार्ज हेतू मेडिकल अवकाश भी कैंसिल करवा दिया। उक्त महिला के पूर्व में शासन की योजनाओं को सही तरीके से क्रियान्वित नहीं करने पर 3 इंक्रीमेंट भी रोके जा चुके हैं। वही पालकों में भी आक्रोश है। संभवतः शासकीय सीनियर कन्या छात्रावास पिटोल का चार्ज होने पर छात्रावास प्रारंभ नहीं किया और नया दूसरा आदेश कन्या आश्रम पिटोल का दे दिया है। पालकों का कहना है कि, जो महिला एक छात्रावास संभाल नहीं सकती उसे दो छात्रावास का संचालन देना उचित है।
          यू देखा जाए तो लगभग करीब एक माह से छात्रावास बंद रहा है जिससे छात्राएं छात्रावास प्रारंभ को लेकर असमंजस में रही। छात्रावास में वर्तमान में कौन है अधीक्षक हैं यह जांच का विषय हैं। वही अधीक्षिका नीता बिलवाल का कहना है कि, मेरे हाथ टूटने पर मैं छुट्टी पर गई थी व वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिति से अवगत भी करा दिया था। प्रश्न यह हैं कि, 2 महीने की छुट्टी पर थी परंतु 1 महीने में आ गई छुट्टी कैंसिल कराकर कयो…? यदि अधीक्षिका की बात पर विश्वास किया जाए तो फिर अधिकारियों की लापरवाही से करीब एक माह तक यह छात्रावास प्रारंभ नहीं हो पाया या यूं कहा जाए कि उनकी अनदेखी और लेटलतीफी के कारण छात्रावास समय पर नहीं खुल सका। इसके लिए विशेष रूप से जवाबदार कौन…? क्या विकास खंड अधिकारी या... फिर मंडल संयोजक या फिर प्राचार्य...! प्रश्न यह भी हैं कि, एक करीब 1 माह से यदि छात्रावास बंद रहा तो इस दौरान वाटरमैन, चौकीदार, खाना बनाने वाली रसोईयन क्या यह सभी भी छुट्टी पर थे।


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