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ज्ञान गंगा भागवत गीता का हुआ शुभारंभ
Report By: ऋषभ गुप्ता 15, May 2023 2 years ago

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दान में आने वाली राशि दी जाएगी सरस्वती शिशु मंदिर निर्माण में

माही की गूंज, बनी। 

         सप्त दिवसीय भागवत गीता का शुभारंभ बैंड बाजो के साथ कलश यात्रा से शुरू हुआ। सिर पर कलश रख माता व बहने खुशी-खुशी कथा स्थल पहुंची। कलश यात्रा में भागवत गीता गांव के वरिष्ठ समाजसेवी बगदीराम पाटीदार सिर पर रखकर चल रहे थे।

         आज से शुरू हुई सप्त दिवसीय भागवत गीता का रसपान डॉ. देवेंद्र जी शास्त्री के मुखार बिंद से व्यास गादी पर विराज मान होकर करवाया गया। कथा में एकत्र होने वाली राशि सरस्वती शिशु मंदिर निर्माण के लिए अर्पित की जाएगी।ग्राम बनी में निर्मित होने वाले गढ़ कंखारी माता मंदिर के समीप सरस्वती शिशु मंदिर के लिए भूमि दान दाता रतिचंद्र रामचंद्र जी के द्वारा की गई। जिनका सरस्वती शिशु के भूमि पूजन पर सम्मान कर भामा शाह की उपाधि दी गई। सप्त दिवसी कथा का आयोजन समस्त ग्राम वासियों की ओर से रखा गया। जिसमे अपनी इच्छाशक्ति के अनुरूप दान किया गया।

         सप्त दिवसीय होने वाली कथा में एकत्रित होने वाली  समस्त धन राशि डॉ. देवेंद्र जी शास्त्री के द्वारा सरस्वती शिशु मंदिर के निर्माण में समर्पण की जावेगी, जिस की वजह से समस्त ग्राम वासियों में  उत्साह का माहोल हे। वही कथा प्रारंभ होने के पूर्व सप्त दिवसीय होने वाली आरती का लाभ लेने वाले जजमानों के द्वारा बोली लगा कर धन रासी एकत्रित की गई। ताकि अधिक से अधिक धन रासी एकत्रित कर निर्माण कार्य को सुगम बनाने में उपयोग लाई जा सके। 

         प्रथम दिवस की कथा में आचार्य देवेंद्र जी शास्त्री ने अपने मुखार बिंद  से कहा श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है। भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। जब पुण्यों का उदय होता है एवं ईश्वर एवम पूर्वजों का अनुग्रह मिलता है, तब मनुष्य को श्रीमद भागवत कथा के श्रवण का लाभ मिलता है। धन, ऐश्वर्य, मान सम्मान सब क्षणिक वस्तुएं हैं, यदि आपके जीवन में सही सत्संग है तो आपका जीवन धन्य हो जाएगा। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से जन्मों जन्मों के पाप क्षीण हो जाते हैं और मनुष्य मोक्ष को प्राप्त होता है। श्रीमदभागवत कथा भगवान का साक्षात स्वरूप है। श्रीमद् भागवत कथा के अनुष्ठान का बहुत पुण्य लाभ मिलता है। इस कथा के श्रवण मात्र से मनुष्य दुखों से दूर होता है।

         ये उद्गार पेटलावद अंचल के प्रसिद्ध श्रीहरिहर आश्रम, ग्राम बनी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस पर श्री हरिहर आश्रम के पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. देवेन्द्र शास्त्री ने व्यक्त किये। कथा पांडाल में पहले दिन ही अंचल से सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा हुआ। विशाल धर्मसभा का सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि, चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमदभागवत कथा सुननी चाहिए। भागवत श्रवण मनुष्य के सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। उन्होंने अच्छे ओर बुरे कर्मों की परिणिति को विस्तार से समझाते हुए आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी ओर गौमाता के पुत्र गोकरण के कर्मों के बारे में विस्तार से वृतांत समझाया और धुंधकारी द्वारा एकाग्रता पूर्ण भागवत कथा श्रवण से प्रेतयोनी से मुक्ति बताई। वहीं धुंधकारी की माता द्वारा संत प्रसाद का अनादर कर छल-कपट से पुत्र प्राप्ती ओर उसके बुरे परिणाम को समझाया। मनुष्य जब अच्छे कर्मो के लिए आगे बढता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है और हमारे सारे कार्य सफल होते है। ठीक उसी तरह बुरे कर्मों की राह के दौरान सम्पूर्ण जी बुरी  शक्तियां हमारे साथ हो जाती है। इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है। छल ओर छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर सुरेश पाटीदार, कमलेश पाटीदार, राधेश्याम पाटीदार, कृष्णा पाटीदार, अमृत पटेल एवं सरस्वती शिशु मंदिर समिति के समस्त कार्य करता और पदाधिकारी मौजूद थे। इस शुभ अवसर पर विधायक पुत्र विक्रम मेड़ा ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर आचार्य डॉ. देवेंद्रजी शास्त्री के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया।



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