
अहस्तांतरित कृषि (पट्टे) की भूमि बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के बगैर हो गई लीच रजिस्ट्री
माही की गूंज, पेटलावद।
नगर में इन दिनों भू-माफिया की पो बारह हुई पडी है। नगर में सक्रिय भू-माफिया इस कदर जमीन बेचने-खरीदने के काम में लगे है कि, जिसकी कोई हद नही। इन भू-माफिया दलालों की नजर सबसे अधिक उन जमीनो पर है जो सरकारी भूमि से लगी हुई है या फिर पट्टे की है जिसकी सरकारी तंत्र की साठ-गांठ से निजी बना कर करोड़ो के व्यारे-न्यारे किये जा रहे है। पेटलावद नगर के मुख्य मार्गो पर लगी भूमि के साथ-साथ आसपास की ग्राम पंचायतों में आने वाली ज्यादातर सरकारी जमीनो की बंदरबांट हो चुकी है। जिसकी जांच की जाए तो सरकारी मशीनरी और भू-माफियाओ की साठ-गांठ का पूरा काला चिट्ठा सामने आ जायेगा।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां नगर में शासन द्वारा भागीरथ पिता वरदा काग निवासी पेटलावद को 595/1/2 पर जीवन यापन करने हेतु कृषि भूमि पट्टे जो अहस्तांतरित कृषि पट्टा था। वर्तमान में भूमि पर कृषि नही की जा रही है और स्टेट हाइवे से लगी होने के कारण भूमि की लागत करोड़ो में है। इस भूमि को मनीष कुमार पिता मनोहर लाल भण्डारी व रवि पिता रमण लाल चौधरी निवासी पेटलावद के साथ मिलकर इन्हे उक्त भूमि की गलत तरीके से व शासन को गुमराह कर गलत जानकारी पेश कर उक्त पट्टे की अहस्तांतरित भूमि को परिवर्तित कर लीच रजिस्ट्री दिनांक 12 अप्रैल 2022 को करवाई गई। जहां पर अब कृषि ना करके अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग मे लिया जावेगा। भूमि को पंपावती तट तक दर्शाया गया, जबकि यह पेटलावद-करडावद की सीमा पर स्थित है और नगरीय सीमा मे होने से यह भूमि बेसकीमती करोड़ों रुपए की है और इस पर विगत कई वर्षों से कृषि नही की जा रही है। उक्त भूमि को कृषि पट्टे की अहस्तानतरित भूमि को डायवर्टेड याने परिवर्तित करवाया गया, जबकि नियमानुसार केवल कृषि के लिए दी गई पट्टे की भूमि को कृषि कार्य में ही उपयोग की जा सकती हैं और भूमि जो की अहस्तांतरि हैं उसे हस्तांतरित करने व लीच कराने के लिए कलेक्टर की अनुमति ली जाती हैं जो नहीं ली गई हैं। बताया जा रहा है, उक्त भूमि की खरीद फरोख्त पर्दे के पीछे हो गई है। बस दिखावे के लिए भूमि की लीच डीड तैयार की गई है। जानकारी मिली है कि, जिसके नाम से भूमि थी उनके परिवार को भी इस सौदे की जानकारी नही थी और अब भूमि की लीज करवाने वालो के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की तैयारी की जा रही है।
क्या कहता है नियम
अहस्तांतरित कृषि कार्य हेतु दिए गए पट्टे को डायवर्टेड करवा कर बिना सक्षम आधिकारी (कलेक्टर) की अनुमति लिए इसकी 20 वर्ष की लीज रजिस्ट्री करवाई गई है। जो कि, मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 (7) का पूर्ण उलंघन है जो अपराध की श्रेणी में आता है। उक्त भूमि को शासन हित में पट्टेदार को बेदखल शासकीय घोषित किया जा सकता और सम्बन्धित सभी मिली भगत करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियो के साथ पट्टेदार भागीरथ पिता वरदा काग निवासी पेटलावद, मनीष पिता मनोहर लाल भण्डारी निवासी पेटलावद, रविंद्र पिता भेरूलाल चौधरी निवासी रायपुरिया सहित गवाहदारो के खिलाफ़ प्रकरण दर्ज हो सकता है, लेकिन इसके लिए प्रशासन के उन्ही नुमाइंदों को सक्रिय होना पड़ेगा जो कही न कही इस खेल का हिस्सा बने है या फिर अपने निचले अधिकारीयो की कारगुजारियों से अनभिज्ञ है।
काम कर रहा है पूरा सिंडिकेट
पेटलावद नगर में भू-माफिया की हालत ऐसी है कि, कई ग्रुपो में मिलकर जमीनों को ठिकाने लगाने का काम कर रहे है। विवादित भूमि, सरकारी भूमि और पट्टे की भूमि पर इनकीं नजर लगी हुई रहती है। बकायदा बिना किसी पुष्टि के रिकॉर्ड के आधार पर जमीनों की रजिस्ट्री और नामांतरण हो जाता है इसके बाद कब्जेधारी को जमीन से बेदखल करने का खेल शुरू होता है। इसमें पूरा सिंडिकेट काम कर रहा है जो खरीदी से लेकर रजिस्ट्री, नामांतरण और कब्जा करने तक काम कर रहे है। बीते दस वर्षों के रेकॉर्ड की जांच की जाए तो कई रजिस्ट्रीयो में क्रेता-विक्रेता और गवाह एक जेसी ही मिलेगे।