.jpg)
माही की गूंज, झाबुआ डेस्क।
संजय भटेवरा
पिछले दिनों घटित कुछ घटनाओं ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। जिसके बाद आम आदमी यह सोचने को मजबूर है कि, क्या यह वही 21वीं सदी है जिसकी कल्पना 20वीं सदी में की गई थी। 21वीं सदी उज्जवल भविष्य का नारा दिया गया था। पूरा सरकारी सिस्टम इतना भ्रष्ट हो चुका है कि, सीनियर आईपीएस अधिकारी तक सुसाइड कर रहे हैं। सड़क, मिट्टी की तरह बह रही है। सरकारी डॉक्टर कमीशन के खेल में जहरीली दवाइयां लिख रहे हैं और अस्पताल में बच्चों को चूहे कुतर रहे हैं। जज के घर प्रचुर मात्रा में अधजले नोटों की बोरियां मिल रही है और सुप्रीम कोर्ट तक में वकील, जज पर जूता उछालने से भी नहीं डर रहे हैं। ऐसे में आम आदमी यही सोच रहा है महात्मा गांधी के इस देश में गांधी छाप नोटों के लिए आदमी का पतन और कितना होगा...?
हरियाणा के सीनियर आईपीएस अधिकारी एडीजीपी पूरन कुमार ने आत्महत्या कर ली जिसके बाद यह केश पूरे देश में चर्चित हो गया। 6 अक्टूबर को रोहतक में साइबर सेल में तैनात एएसआई संदीप लाठर ने पूरन कुमार के गनर सुशील को रिश्वत लेते पकड़ा था और अगले ही दिन पूरन कुमार ने जान दे दी। इसके बाद 13 अक्टूबंर को संदीप लाठर ने भी खुदकुशी कर ली। जिसके बाद पूरे देश में यह केश चर्चित है और आम चर्चा का विषय बना हुआ है कि, भ्रष्टाचार की जड़े कितनी फैल चुकी है। जहां आईपीएस अधिकारी के साथ ही एएसआई तक के अधिकारी भी भ्रष्टाचार की जद़ में आ रहे हैं और आत्मघाती कदम उठाने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। वहीं दूसरी घटना भोपाल के सुखी सेवनियां ओवर ब्रिज के पास बाईपास रोड ताश के पत्तों की तरह धस गया और सड़क के किनारे लगभग 60 मीटर लंबा और 8 मीटर से अधिक का हिस्सा धस गया। सड़क के उस हिस्से के फोटो को देखने के बाद आम आदमी का यही कहना है कि, इस सड़क के निर्माण में आटे में नमक नहीं नमक में आटे जितना भ्रष्टाचार हुआ होगा। इतनी घटिया स्तर की रोड वह भी प्रदेश की राजधानी में बनी है तो प्रदेश के अन्य हिस्सों की सहज ही कल्पना की जा सकती है। सड़क धसने के बाद विभाग लीपा पोती पर जुट गया है और जांच बिठा दी गई है। जिसमें कुछ लापरवाही के बिंदु को ही रेखांकित किया गया है जैसे आर ई वाल का निर्माण निर्धारित तकनीकी मानको अनुसार नहीं किया गया, उपयोग की गई मिट्टी की गुणवत्ता अच्छी नहीं थी, बेकमेन्ट में आवश्यक स्टोन कीपिंग का कार्य नहीं किया गया था। अब सवाल यह उठता है कि, सड़क के धसने के बाद उसमें कमियां निकाली गई तो सड़क को बनाते वक्त जांच क्यों नहीं की गई...? यही नहीं जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि, पूर्व में जांच की गई थी जिसमें कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई थी। जिससे यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि, किस प्रकार की जांच की गई होगी...? तथा सब कुछ अच्छा बताने के लिए कितना भ्रष्टाचार किया गया होगा...? आम आदमी यह सोचने को मजबूर है कि इतना कुछ, बिना कुछ लिए दिए संभव नहीं हो सकता है।
सिस्टम के भ्रष्टाचार की भेंट छिंदवाड़ा के 23 नव निहालों को अपनी जान चढ़ाना पड़ी जहां डॉक्टर ने महज कुछ रूपयो के कमिशन के खातिर जहरीले कफ सिरप लिखने से परहेज नहीं किया। जांच में नित नए चैंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। आरोपित डॉक्टर प्रवीण सोनी को श्री सन फार्मास्युटिकल के कोल्डडिं्रक कफ सिरप की 25.54 रुपए कीमत वाली प्रत्येक बोतल पर ढाई रुपए का कमीशन मिलता था। यानी एक बोतल पर महज 10 प्रतिशत कमीशन के लिए डॉक्टर प्रवीण सोनी ने अपना जमीर बेच दिया। जबकि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने दिसंबर 2023 में ही राष्ट्रियव्यापी निर्देश जारी किए थे। जिसमें 4 साल से कम आयु के बच्चों को फिक्स्ड डोज कांबिनेशन (एफडीसी) दवाई न लिखने की चेतावनी दी थी।
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के प्रतिष्ठ एम वाय हॉस्पिटल में चूहो की कुतर कुतर की गूंज पूरे देश में सुनाई दी और वहां जांच के नाम पर अब भी लीपा पोती जारी है। वहां चूहों ने न केवल दोनों नवजात बच्चों को कुतरा बल्कि पूरे सरकारी सिस्टम को ही कुतर कर रख दिया। वहीं अन्य घटनाओं के साथ ही न्यायपालिका में घटित दो घटनाओं ने भी देश को सोचने पर विवस कर दिया है कि आम आदमी कहीं भी सुरक्षित नहीं हैै, न सड़क, रेल और हवाई यात्रा में और न ही सिस्टम के सरकारी अस्पताल में जहां दवा के नाम पर जहर दिया जाता है और अबोध बच्चों को चूहे कुतर देते हैं। ऐसे में सरकारी दावे आम आदमी को, सरकार के द्वारा आम जनता के साथ किया जाना मजाक ही लगता है।