माही की गूंज, थांदला।
उच्च शिक्षा विभाग, मध्यप्रदेश शासन के निर्देशानुसार शासकीय महाविद्यालय थांदला में “वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने” के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन राष्ट्रभावना और सांस्कृतिक गौरव से ओत-प्रोत वातावरण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राएँ एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे, जिससे यह राष्ट्रीय अवसर उल्लास एवं उत्साह से भर उठा। कार्यक्रम का शुभारंभ वंदे मातरम् के सामूहिक गायन से हुआ। तत्पश्चात् विभिन्न प्राध्यापकों ने वंदे मातरम् गीत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी महत्व पर विस्तृत विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. छगन वसुनिया ने वंदे मातरम राष्टगीत के सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय महत्व पर विस्तृत विचार व्यक्त किये। उन्होंने अपने उद्बोधनों में कहा कि “वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह भारत की आत्मा की पुकार है।
प्रो. सुनील भाबोर ने वंदे मातरम को एक ऐसी अमर वाणी बताया जिसने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देशवासियों के हृदय में नवजीवन और ऊर्जा का संचार किया।
डॉ. ज्ञानेन्द्र यादव ने वंदे मातरम् गीत भारतीय अस्मिता, एकता एवं सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। यह गीत युवा वर्ग के भीतर देशभक्ति, राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को जाग्रत करता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन राष्ट्र के प्रति समर्पण और संवेदनशीलता के मूल्यों को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होते हैं।
प्रो. विजय मावी सर ने कहा आज भी यह गीत नई पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण, एकता और समर्पण की प्रेरणा प्रदान करता है। डॉ. संदीप चरपोटा, प्रो. अमर सिंह मंडलोई, प्रो. छत्तर सिंह चौहान, प्रो. विजय देवल एवं डॉ. राजेन्द्र चौधरी आदि सभी सम्मानीय प्राध्यापक शामिल थे।
कार्यक्रम के समापन पर छात्र-छात्राओं द्वारा वंदे मातरम् का सामूहिक गायन किया गया, जिससे सम्पूर्ण परिसर देशभक्ति की गूंज से गूंजित हो उठा। सभी उपस्थितजन राष्ट्रभावना से ओतप्रोत हो गए।
प्राध्यापकों ने उच्च शिक्षा विभाग के इस निर्देश की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों में राष्ट्रीय चेतना, भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व एवं कर्तव्यनिष्ठा की भावना विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
