माही की गूंज, संजय भटेवरा
वैसे तो न्यायालय में अपनी बात रखने का अधिकार सभी को है। लेकिन लोकतंत्र में मुख्य भूमिका आम जनता की रहती है। आम जनता ही राजा को रंक और रंक को राजा बनाती है। यह आमजनता की ताकत ही है की वह आपको अर्श से फर्श पर और फर्श से अर्श पर पहुंचा सकती है। लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधि को अगर लगता है कि, उनके साथ कुछ गलत हो रहा है तो वो जनता के बीच जाए न कि कोर्ट में।
क्या है मामला
विगत दिनों बदनावर के होटल में हुई घटना का है, जिसमें एक युवती पहचान पत्र मांगने पर भड़क जाती है और प्रदेश के उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करती है। जिसका वीडियो वायरल हो जाता है। हालांकि बाद में लड़की की तरफ से एक वीडियो जारी किया जाता है जिसमें वो घटना से इंकार करती है और वीडियो जारी करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने को कहती है। उसके बाद कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा बदनावर की होटल में तोड़फोड़ कर दी जाती है। पूरी घटना को लेकर मामले की असलियत को मंत्री जी को आम जनता के सामने रखा जाना था। लेकिन मंत्री जी मीडिया के खिलाफ कोर्ट में पहुंच जाते हैं और अपनी छवि का हवाला देकर मीडिया में वो खबरें न चलाने की कोर्ट में गुहार करते हैं। लेकिन कोर्ट द्वारा इंकार कर दिया जाता है और कहा जाता है कि, आप मानहानि का दावा दर्ज करवा सकते हैं।
मंत्री जी अपने क्षेत्र की जनता को सफाई दे
मामला प्रदेश के कैबिनेट मंत्री से जुड़ा होने के कारण मंत्री जी को न केवल अपने क्षेत्र की जनता वरन् प्रदेश की जनता के सामने आकर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहिए कि, वे क्या लड़की को जानते हैं...? यदि नहीं जानते तो लड़की ने मंत्री जी के नाम का उपयोग क्यों किया...? सोशल साइट पर मंत्री जी के साथ लड़की के फोटो फर्जी है...? अगर लड़की ने कुछ गलत किया है तो मंत्री जी को लड़की के खिलाफ केस दर्ज करवाना चाहिए न की मीडिया के खिलाफ कोर्ट में गुहार लगानी जानी चाहिए। यही नहीं होटल में तोड़फोड़ करने वाले के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। यही नहीं अगर उस लड़की को लगता है कि, वायरल वीडियो फर्जी है तो उसको अपने कथन अनुसार वीडियो जारी करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना ही चाहिए।
कुल मिलाकर पूरे घटनाक्रम के बाद यह तो तय है कि, आम जनता में मंत्री जी की छवि धूमिल हुई है और आम जनता में धूमिल हुई छवि को आम जनता के बीच में जाकर ही सुधारा जा सकता है। इसलिए बेहतर यही होगा कि, मंत्री जी आम जनता के सामने ही पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा रखें और दूध का दूध और पानी का पानी करें।