आखिर कौन है और कहां से आए यह झोलाछाप डॉक्टर की हो जांच
पंचायतों में फर्जी रूप से पंजी रजिस्टरो में पंजीयन करवाकर बन गए ये झोलाछाप स्थानीय निवासी
कई पंचायतों में तो इनका रिकॉर्ड भी नहीं और ले रहे सभी योजनाओं का लाभ
माही की गूंज, संजय भटेवरा
झाबुआ। अगर कोई फर्जीरूप से पाकिस्तान से आकर हमारे भारत में रहता है और कोई गलत गतिविधि कर हमारी भारतीय संवेधानिक व्यवस्था को क्षति पहुंचाने या सेंध लगाने का कार्य करता है तो उसे आतंकवादी गतिविधि कहा जाता है। कुछ इसी तरह बांग्लादेश से भी घुसपैठिये भारत में आकर कई गांव-कस्बों में बस गए और फर्जी तरीके से स्थानीय निकायों में अपना निवासी पंजीयन करवाकर स्थानीय निवासी बन गए। ये किस जाति वर्ग के हैं यह भी किसी को पता नहीं रहता है, लेकिन सांठगांठ में माहिर ये पूरी प्लानिंग के साथ भारत में आकर रह रहे और यहां की जातियों का आरक्षण लिस्ट का अवलोकन कर फर्जी सरनेम के साथ स्थानीय निकायों में अपने नाम दर्ज करवाने के साथ ही अपने आप को अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग का बताकर आरक्षण का लाभ लेने के साथ ही शासन की सभी योजनाओं का लाभ फर्जी तरीके से लेकर सेंध लगाने में कोई कसर नही छोड रहे।
यह झोलाछाप डॉक्टर अपने आप को बंगाली बताकर रहते हैं वरन फर्जी डिग्रियां दलालों के माध्यम से लेकर फर्जी क्लीनिक चलाकर यहां के स्थानीय निवासी बन अपनी निजी संपत्तिया भी स्थापित कर ली। जबकि यह शासन की हर योजना का लाभ चाहे वह आवास योजना हो, कर्मकार योजना, जॉब कार्ड हो यहां तक की अपने नाम को गरीबी रेखा में दर्ज करवाकर अपनी लचीली भारतीय कानूनी व्यवस्था में सेंध लगाकर सभी योजनाओं का लाभ ले लेते है। तय हैं फर्जीरूप से किया जाने वाला उक्त कृत्य भी किसी आतंकी गतिविधि से कम नहीं आका जा सकता है।
माही की गूंज ने तत्थात्मक रूप से इन झोलाछाप डॉक्टरों का खुलासा किया था कि, किस तरह से यह बाग्लादेश से चोर रास्ते से दलालों के माध्यम से घुसपैठ कर आते हैं और एक-एक गांव-खेड़े तक में जाकर बसते हैं और बाद में कुछ समय यहां रहकर जो बांग्लादेश में भी रह रहे उनका नाम भी अपने साथ यहां की स्थानीय निकायों की पंजी रजिस्टर में पंजीयन करवा देते हैं। इतना ही नहीं कईयों की शादी भी यहा आने के बाद अब भी बांग्लादेश की लड़कियों से ही करने के साथ उन्हें भी यहां के निवासी बना देते हैं और किसी कारण से तालमेल नहीं जमता है तो महिलाओं को छोड़ पुनः उसे बांग्लादेश भेज देते हैं। उन महिलाओं के नाम भी भारत के किसी न किसी निकायों में दर्ज है का खुलासा मय प्रमाण के साथ प्रमुखता से प्रकाशित गूंज ने किये थे। लेकिन हमारी सरकार व उसका तंत्र ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर मूकदर्शक बने रहे। जबकि ऐसे बांग्लादेशी व झोलाछाप डॉक्टरों जो आम लोगों की जिंदगीयों से खिलवाड़ करने के साथ सारी भारतीय कानून व्यवस्था में सेंध लगाकर योजनाओं का लाभ लेकर एक तरह से आतंकी जैसी गतिविधि को ही संचालित कर रहे हैं, के विरुद्ध उच्चस्तरीय जांच करने के साथ सरकार व सरकार के तंत्र को आमजनता के सामने खुलासा कर इन्हें इनके वास्तविक स्थान पर रवानगी देना चाहिए।
फर्जी इलाज करने वाला बांग्लादेशी गौतम दम्पती ने फर्जी रूप से मजदुरी करना बताकर जाबकार्ड के आधार पर भी कर ली राशि आहरण
आज हम बात झाबुआ जिले के थांदला ब्लाक के ग्राम भामल की ही करें तो यहां लंबे समय से आकर गौतम राय के नाम से झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीणों का फर्जी इलाज कर रहा है। वही स्थानीय सभ्य परिवार की महिलाओं पर बुरी नजर डालने वाला गौतम राय का नक्षत्री पुत्र अपने पिता के नक्शे कदमों पर चल बिना डिग्री के ही फर्जी इलाज तो कर ही रहा है, साथ ही गांव के जैन समाज की एक सभ्य परिवार की नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर ऐसा अपने चंगुल में लिया कि, तरुण उर्फ सुमन कहे वही वो लड़की करने को तैयार हो गई और भारतीय संस्कृति को कलंकित करने का प्रयास कर अपने बदनियत के साथ लड़की को प्रेम जाल में फंसाकर किया।
माही की गूंज ने उक्त मामला पिछले अंकों में प्रकाशित किया था। जब गूंज ने इस झोलाछाप गौतम राय के बारे में पूरी हिस्ट्री जानना चाही कि, यह असल में भारत का है या बांग्लादेश का...? कब भामल पंचायत में आकर किस गांव के नोडूयूज प्रमाण पत्र के आधार पर भामल पंचायत के पंजी रजिस्टर में अपना एवं परिवार का नाम दर्ज करवाया...? किस-किस योजनाओं का लाभ गौतम राय व परिवार ने लिया को खंगाला तो यहां भी कई चौंकाने वाली बात सामने आई। भामल पंचायत में पंजी रजिस्टर जिसमें गौतम राय व परिवार का नाम दर्ज है जाना तो, यहां 3 घंटे रिकॉर्ड को खंगालने के बाद भी पंजी रजिस्टर में कहीं भी गौतम राय का नाम पंचायत सचिव व समन्वयक को दर्ज नहीं मिला। जबकि गौतम राय यहां का फर्जी रूप से स्थानीय निवासी बनने के साथ ही यहां से राशन कार्ड बनवाया, परिचय पत्र, आधार कार्ड, जॉब कार्ड आदि सब भारतीय होने के दस्तावेज बनाए और दो मंजिला पक्का मकान बनाकर यहां रह रहा है। पर पंचायत में मकान कर पंजी रजिस्टर में भी इसका नाम नही मिला।
वही पात्रता पर्ची के साथ प्रतिमाह 40 किलो खाद्यान्न भी अपने आप को गरीबी रेखा में बताकर ले रहा है। इतना ही नहीं जब पंचायत समन्वयक ने बताया कि, गौतम राय व उसका पुत्र तरुण कर्मकार का पंजीयन करवाने भी आया था, लेकिन यह परिवार घर के झाडु-पोछा लगाने के लिए नौकर रख रखे हैं तो यह मजदूरी तो करते ही नहीं हैं। इस आधार पर कर्मकार पंजीयन नहीं किया। इतना ही नहीं जन कल्याण शिविर में तरुण राय ने आवास योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन भी किया। समन्वयक की बात सुनने के बाद जब गौतम राय के जॉब कार्ड नंबर 522 की तहकीकात गूंज ने की तो सामने आया कि, अपने घर में झाड़ू-पोछे के कार्य के लिए नौकर रखने वाला गौतम राय व उसकी पत्नी बीना राय ने 2017 में सागवा के बड़ी झरिया में लिमड़ी वाली नाकी में बने निस्तार तालाब व 2018 में रन्नी पंचायत के आंगनबाड़ी फलिये के निस्तार तालाब जो कि, आरईएस विभाग द्वारा बनाया गया के कार्य में तगारी, फावडे उठाकर मजदूरी की। वरन उक्त मजदूरी का पैसा गौतम राय ने एसबीआई शाखा व बीना राय ने नर्मदा झाबुआ की खवासा बैंक शाखा से भी आहरण किया। जबकि इस संबंध में टाईम किपर व तालाब में कार्य करने वाले मजदूरों से पूछा तो बताया, गौतम राय व बीना राय ने तालाब कार्य में कोई मजदूरी नहीं की थी, पुराने मकान मालिक से सांठ-गांठ कर मजदूरी के नाम पर फर्जी राशि गोतम ने आहरण की है।
बांग्लादेश के लोखईडंगा का रहने वाला गौतम राय ने बनाए सभी फर्जी दस्तावेज व ले रहा आरक्षण का लाभ
गौतम राय की उक्त कारस्तानियां सामने आने के बाद गूंज के विशेष मुखबीर जो इन झोलाछापों की आतंकवादी रूपी सभी कारस्तानियों को पूरी तह तक जानता है और यह झोलाछाप कहां के रहने वाले हैं भी जानते हैं। ऐसे हमारे विश्वसनिय मुखबिर ने बताया कि, गौतम राय असल में बांग्लादेश के ग्राम लोखईडंगा तहसील मोनीरामपुर जिला जेस्सोर का रहने वाला है तथा खवासा में रह रहे बांग्लादेशी अजीत राय की तरह ही दलाल के माध्यम से घुसपैठ कर भारत आया और स्थानीय निकाय में फर्जी रूप से पंजीयन करवाकर भारतीय हो गया। हमारे मुखबीर बताते हैं कि, सरकार व सरकार के तंत्र गौतम राय व इसे संरक्षण देने वाला अजीत राय के ही स्कूली प्रमाणपत्र के साथ सभी दस्तावेजों की जांच कर कारवाई की जाए तो दूध का दूध व पानी का पानी सामने आ जाएगा और देश में रह रहे ऐसे सभी बांग्लादेशीयो का पुरा पर्दा फाश हो जायेगा। मुखबिर ने यहां तक बताया कि, पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से आए किसी भी व्यक्ति के फर्जी दस्तावेज नहीं बनते हैं जिसके लिए यह मध्यप्रदेश के साथ अन्य राज्य के फर्जी रूप से स्थानीय निवासी बन यहां के दस्तावेज के साथ ही पश्चिम बंगाल के निवासी बन जाते हैं।
एससी वर्ग के संबंध में भी मुखबिर बताते हैं पश्चिम बंगाल में यह समाज वर्ग एससी वर्ग में जरूर आते हैं परंतु मध्यप्रदेश में यह सामान्य वर्ग में ही आते हैं। अन्य दस्तावेज की तरह गौतम राय व अजीत राय की तरह कईयों ने फर्जी दस्तावेजों के साथ एससी वर्ग का आरक्षण लाभ भी ले रहे और इस तरह से यह भारत में रहकर एक आतंकी गतिविधि की तरह ही भारतीय संवेधानिक व्यवस्था में सेंध लगा रहे हैं।
अजीत राय को पकड़ने से भगाई गई लड़की बांग्लादेश से भी आ सकती है
मुखबिर ने बताया कि, तरुण जिस नाबालिक लड़की को भगाकर ले गया है उस लड़की की वापसी के लिए प्रशासन गौतम राय के साथ अजीत राय के उपरोक्त लिखी सभी जानकारी की जांच करें साथ ही गौतम राय व अजीत राय से सख्ती से पूछताछ करे तो भले ही अजीत राय के माध्यम से लड़के-लड़की को भारत के किसी कोने से ही नहीं बल्कि बांग्लादेश भी भेज दिया होगा तो वहां से भी लड़की आ सकती है।
बांग्लादेशी गौतम ने पक्की इमारत भी की भामल में कायम पर ग्राम पंचायत में कोई दस्तावेज नही।
बांग्लादेशी दम्पती का फर्जी कारनामा ऐसा की जाब कार्ड के आधार पर बिना मजदुरी किये ही मजदुरो के हक की राशि की फर्जी रूप से आहरण।
बांग्लादेशी गौतम दम्पती षंडयंत्र के साथ आया भारत और गांव की लडकी को बेटे के साथ भगवाकर रचा एक नया इतिहास।
अजित राय के साथ पुलिस करती है सख्ती से पुछताछ तो यह नाबालिक प्रेमी जोडा बांग्लादेश मे भी चला गया हो तो भी आ सकता हैं भामल।