बीमारियों के मामले में जिले को नंबर वन बनाना चाहते हैं या कर रहे बड़ी जनहानि का इंतजार
माही की गूंज, मेघनगर।
मेघनगर क्षेत्र के सूंदर और स्वच्छ वातावरण को दूषित करने वाली केमिकल इकाइयां दिन हो या रात क्षेत्र के वातावरण को दूषित कर रहे हैं। केमिकल से निकलने वाला केमिकल मिला पानी खुली जमीनों में रिसकर आसपास के गांव में नदी, तालाब, कूप में जमीन के अंदर ही अंदर पहुंचकर दूषित कर रहा है और इसी जल का उपयोग नगर व आसपास के रहने वाले ग्रामीण लोग भी कर रहे हैं। कहीं यही जल यहां के रहने वाले लोगों को किसी बड़ी बीमारी से ग्रसित न कर दे। ऐसे में यह प्रश्न उठना लाजमी है कि, क्या प्रदूषण नियंत्रण विभाग किसी भयावह स्थति का इंतजार कर रहा है...? क्या इस जिले को कैंसर जैसी बीमारी से नंबर वन बनाना चाहता है...? या इस जिले के मेघनगर में हर एक व्यक्ति को बीमारी देना चाहता है...? आंख, कान, नाक व चर्म रोग जैसी बीमारी तो हर एक व्यक्ति को हो रही है। औद्योगिक क्षेत्र मेघनगर की केमिकल इकाइयों द्वारा जो प्रदूषित पानी छोड़ा जा रहा है उस कारण से बेडावली जंगल पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है। वहां रहने वाले राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित अन्य वन जीवो का जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। यह पानी आगे जाकर पाठ नदी में मिल रहा है जिसके चलते पाठ नदी का पानी पूरी तरीके से प्रदूषित हो रहा है। वहां से अभी वर्तमान में मेघनगर नगर परिषद की जनता सहित लगभग 20 ग्राम पंचायतों को पानी सप्लाई हो रहा है। इस प्रदूषण के चलते इन गांव में रहने वाले निवासियों के लिए पानी का संकट खड़ा हो सकता है। शारीरिक हानि, चर्म रोगी, फेफड़े सम्बन्धित शिकायत पूर्व से ही झेल रहे क्षेत्रवासियो को आगे स्थापित होने वाली नई इकाइयो से कितना ही नुकसान होगा ये तो अभी से तई माना जा रहा है। अगर ट्रीटमेंट प्लांट शीघ्र शुरु नहीं हुआ तो यहाँ बड़ी जानहानि होना संभव है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों की चुप्पी बड़े सवाल खड़े कर रही है। साथ ही शिवराज सरकार पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है। भविष्य मे बड़ी इकाईयो के स्थापित होने से पूर्व ट्रीटमेंट प्लांट शुरु होगा या नहीं...? यह प्रश्न हर आमजन की जुबान पर है, लेकिन जवाब देने वाला कोई नही।