माही की गूंज, काकनवानी।
शिव मंदिर प्रांगण में प्रतिमाह की पूर्णिमा को अलग-अलग जजमान द्वारा धार्मिक अनुष्ठान पूजन पाठ एवं हवन पूर्णाहुति की जाती है। जिसके पश्चात महाआरती एवं प्रसादी की जाती है। इसी दौरान इस माह में शरद पूर्णिमा के पावन महोत्सव पर हवन पूजन के पश्चात 1 दिन का गरबा महोत्सव भी रखा गया, जिसमें सैकड़ों बालक-बालिकाएं, माता, बहनों ने गरबा खेल कर माता जी की आराधना की। इस बीच खीर का महा प्रसादी बनाई गई जिसे चांद की चांदनी में रखने के बाद भगवान को भोग लगाकर महा आरती की गई, महा आरती के पश्चात समस्त भक्तों में खीर बांटी गई। कहा जाता है कि, शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान में खीर बनाने पर चंद्रमा की किरणें खीर में गिरने से कई तरह की बीमारियां खासकर जिन्हें दम या सांस की बीमारी हो वह बीमारी काफी हद तक कंट्रोल में हो जाती है। इसीलिए कई भक्त महा प्रसादी खीर के लिए रात के 12 बजे तक मंदिरों में इंतजार करते रहते हैं एवं फिर प्रसादी लेने के बाद ही अपने घर के लिए प्रस्थान करते हैं।